मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को निलंबित (parambir singh suspended ) कर दिया है. जानकारी के मुताबिक परमबीर सिंह पर अनुशासनहीनता और अन्य गड़बड़ियों की वजह से यह कार्रवाई की गई है.
तत्कालीन गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए इस साल मार्च में महाराष्ट्र सरकार द्वारा न्यायमूर्ति के यू चांदीवाल आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने परमबीर को पेश होने को कहा था. लेकिन वह पेश नहीं हुए. इसके बाद आयोग ने उन पर जुर्माना भी लगाया था. उनके खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया था.
जबरन वसूली के एक मामले में मुंबई की एक अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर दिया था. हालांकि, अब कोर्ट ने यह आदेश वापस ले लिया है. छह महीने बाद पिछले गुरुवार को वह सार्वजनिक रूप से सामने आए और अपना बयान दर्ज कराने के लिए मुंबई अपराध शाखा (Mumbai Crime Branch) के समक्ष पेश हुए थे. उच्चतम न्यायालय ने उन्हें गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा दी है.
एक स्थानीय बिल्डर की शिकायत पर अपने और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के मामले में सिंह शुक्रवार को ठाणे पुलिस के समक्ष पेश हुए. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी परमबीर सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कम से कम पांच मामले दर्ज हैं.
बता दें कि, शीर्ष अदालत ने हाल ही में उन्हें छह दिसंबर तक गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है.
सिंह, जो पुलिस आयुक्त थे, पिछले लगभग छह महीनों से 'ऑफ-ड्यूटी' बने हुए थे. सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र राज्य होम गार्डस के कमांडेंट-जनरल के रूप में स्थानांतरित कर दिया था. यह वो समय था, जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी में 20 जिलेटिन की छड़ें पाई गई थीं और इसके मालिक ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी.
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बाद में सिंह ने तत्कालीन गृह मंत्री और वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था, जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया था. उन्हें इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं.