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परमबीर सिंह के निर्देश पर हुई थी वाजे की बहाली : मुंबई पुलिस - बंबई उच्च न्यायालय

अंबानी के घर के बाहर से लावारिस कार में विस्फोटक मिलने के मामले में परमबीर सिंह एनआईए के दफ्तर पहुंचे. इस मामले से पूरे महाराष्ट्र में हलचल मची हुई है. परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद अनिल देशमुख ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया और सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है. वहीं, लावारिस कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के मामले में मुख्य आरोपी वाजे से जुड़े कई राज खुले हैं.

Param Bir Singh
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Published : Apr 7, 2021, 10:00 AM IST

Updated : Apr 7, 2021, 12:35 PM IST

मुंबई : उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर से लावारिस कार में विस्फोटक मिलने के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है. इसी को लेकर मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह एनआईए के दफ्तर पहुंचे.

इस बीच मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने सचिन वाजे की बहाली और मुंबई सीआईयू, अपराध शाखा में उनके नौ महीने के कार्यकाल के बारे में महाराष्ट्र गृह विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी है. मुंबई पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिन वाजे को तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मौखिक निर्देशों के बाद क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में तैनात किया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वाजे कई अन्य अधिकारियों को दरकिनार करते हुए सीधे सिंह को रिपोर्ट किया करते थे.

एनआईए के दफ्तर पहुंचे परमबीर सिंह

25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी से जिलेटिन की छड़ें बरामद होने और फिर हिरेन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद शक की सुई निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे पर अटकी थी, जिसके बाद उसे 13 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.

इसके अलावा परमबीर सिंह को मामले के तूल पकड़ने के बाद मुंबई पुलिस के आयुक्त के पद से हटा दिया गया था. इसी के ठीक बाद सिंह ने दावा किया था कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य अधिकारियों से बार एवं रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था.

इसको लेकर परमबीर सिंह ने 25 मार्च को अदालत में याचिका दाखिल कर देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी. इसी कड़ी में बंबई उच्च न्यायालय ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख सिंह के खिलाफ सीबीआई द्वारा जांच करने के आदेश दिए थे.

सोमवार के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, विदर्भ के अनुभवी नेता, देशमुख ने राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह 'असाधारण' और 'अभूतपूर्व' मामला है जिसमें स्वतंत्र जांच की जरूरत है. उच्च न्यायालय ने अपने 52 पन्नों के आदेश में कहा कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने राज्य पुलिस में नागरिकों के विश्वास को दांव पर लगा दिया है.

दूसरी ओर मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) व्यापारी मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच के सिलसिले में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) ले गई. हिरेन की जिस दिन मौत हुई थी, वाजे ने उसी दिन यहीं से निकटवर्ती ठाणे के लिए ट्रेन पकड़ी थी.

इससे पहले, एनआईए वाजे को एक पांच सितारा होटल, जहां वह नकली पहचान पत्र दिखाकर रुके थे, उपनगरीय अंधेरी स्थित एक कार्यालय, जहां कथित तौर पर पूरी साजिश रचने के लिए बैठक की गई थी और मुंब्रा क्रीक सहित कई स्थानों पर ले जा चुकी है. एनआई ने जांच के दौरान वाजे द्वारा इस्तेमाल किए गए जाने वाले कई महंगे वाहन भी जब्त किए हैं.

पढ़ें-सीबीआई ने अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज की प्राथमिक जांच

मुंबई : उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर से लावारिस कार में विस्फोटक मिलने के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है. इसी को लेकर मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह एनआईए के दफ्तर पहुंचे.

इस बीच मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने सचिन वाजे की बहाली और मुंबई सीआईयू, अपराध शाखा में उनके नौ महीने के कार्यकाल के बारे में महाराष्ट्र गृह विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी है. मुंबई पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिन वाजे को तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मौखिक निर्देशों के बाद क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में तैनात किया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वाजे कई अन्य अधिकारियों को दरकिनार करते हुए सीधे सिंह को रिपोर्ट किया करते थे.

एनआईए के दफ्तर पहुंचे परमबीर सिंह

25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी से जिलेटिन की छड़ें बरामद होने और फिर हिरेन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद शक की सुई निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे पर अटकी थी, जिसके बाद उसे 13 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.

इसके अलावा परमबीर सिंह को मामले के तूल पकड़ने के बाद मुंबई पुलिस के आयुक्त के पद से हटा दिया गया था. इसी के ठीक बाद सिंह ने दावा किया था कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य अधिकारियों से बार एवं रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था.

इसको लेकर परमबीर सिंह ने 25 मार्च को अदालत में याचिका दाखिल कर देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी. इसी कड़ी में बंबई उच्च न्यायालय ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख सिंह के खिलाफ सीबीआई द्वारा जांच करने के आदेश दिए थे.

सोमवार के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, विदर्भ के अनुभवी नेता, देशमुख ने राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह 'असाधारण' और 'अभूतपूर्व' मामला है जिसमें स्वतंत्र जांच की जरूरत है. उच्च न्यायालय ने अपने 52 पन्नों के आदेश में कहा कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने राज्य पुलिस में नागरिकों के विश्वास को दांव पर लगा दिया है.

दूसरी ओर मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) व्यापारी मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच के सिलसिले में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) ले गई. हिरेन की जिस दिन मौत हुई थी, वाजे ने उसी दिन यहीं से निकटवर्ती ठाणे के लिए ट्रेन पकड़ी थी.

इससे पहले, एनआईए वाजे को एक पांच सितारा होटल, जहां वह नकली पहचान पत्र दिखाकर रुके थे, उपनगरीय अंधेरी स्थित एक कार्यालय, जहां कथित तौर पर पूरी साजिश रचने के लिए बैठक की गई थी और मुंब्रा क्रीक सहित कई स्थानों पर ले जा चुकी है. एनआई ने जांच के दौरान वाजे द्वारा इस्तेमाल किए गए जाने वाले कई महंगे वाहन भी जब्त किए हैं.

पढ़ें-सीबीआई ने अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज की प्राथमिक जांच

Last Updated : Apr 7, 2021, 12:35 PM IST
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