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पाकिस्तानी पत्रकार का दावा, पाक की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति से भारत-पाक संबंधों में सुधार की गुंजाइश नहीं

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 2022 (Pakistan's National Security Policy 2022) में भारत-पाक संबंधों को शांत करने की संभावना नहीं (India-Pak ties unlikely to calm down) है. एक प्रमुख पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत अमीन (Pakistani journalist Nusrat Amin) ने यह दावा किया है. ईटीवी भारत संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 3, 2022, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : पाकिस्तान की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) का मूल दस्तावेज अभी सार्वजनिक डोमेन में जारी नहीं किया गया है. लेकिन एक चीज जिसने नई दिल्ली को सोचने पर मजबूर किया है, वह ये कि क्या नया दस्तावेज भारत-पाक संबंधों को मजबूत करेगा? या यथास्थिति जारी रहेगी.

जैसा कि नई दिल्ली पिछले कुछ वर्षों से पड़ोस की शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों का प्रतिकार और पलटवार करने के लिए साहसिक रुख अपना रहा है. इस बीच एक बात जो अभी भी महत्वपूर्ण है वह यह है भारत-पाक संबंधों का भविष्य क्या होगा? पाक की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) दस्तावेज का मूल उद्देश्य उसकी रक्षा और विदेश नीतियों का मार्गदर्शन करना है.

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ (Pakistan's National Security Advisor Moeed Yusuf) ने कहा कि यह वास्तव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. एक नागरिक केंद्रित व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जिसके मूल में आर्थिक सुरक्षा भी है.

पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसूफ ने कहा कि सुरक्षा के प्रति नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए एनएसपी ने आर्थिक सुरक्षा को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया है. एक मजबूत अर्थव्यवस्था अतिरिक्त संसाधनों का निर्माण करेगी, जो बदले में सैन्य और मानव सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए विवेकपूर्ण तरीके से वितरित किए जाएंगे.

हालांकि पाकिस्तानी पत्रकार इसका दूसरी तरह से विश्लेषण कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि इस नीति से देश के मौजूदा हालात में कोई बदलाव नहीं आने वाला है. ईटीवी भारत से बात करते हुए एक प्रमुख पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत अमीन कहती हैं कि एनएसपी के संबंध में हालिया विकास से भारत के साथ द्विपक्षीय और राजनयिक संबंधों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव या किसी भी तरह के प्रतिमान में बदलाव की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ ऐसी संभावनाएं हैं जो एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से भारत-पाक संबंधों को आशावादी तरीके से प्रभावित कर सकती है लेकिन यह भविष्यवाणी करना मूर्खता होगी कि यह एनएसपी भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुगम बनाएगा.

नुसरत अमीन आगे कहती हैं कि यह केवल सेना ही नहीं है जो राष्ट्र को चलाती है बल्कि विभिन्न प्रकार की परतें हैं. चाहे वह युद्ध के दिग्गज हों जिन्होंने 1965, 1971 और कारगिल युद्ध लड़ा हो, पूर्व राजनयिक, व्यापारिक समुदाय और निश्चित रूप से राजनीतिक समुदाय, वर्तमान सैन्य प्रतिष्ठान और धार्मिक समुदाय, वे सभी एक साथ राष्ट्र के आंतरिक मामलों और बाहरी नीतियों को प्रभावित करते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह दस्तावेज या ऐसा मंच भारत-पाक संबंधों को मजबूत कर सकता है. पाकिस्तान के एक अन्य पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक युद्ध के दिग्गज या पूर्व राजनयिक के बारे में कल्पना करें, जिन्होंने नई दिल्ली से तमाम जंग हारने के बाद पाकिस्तान के पतन को देखा हो. उसके बदले ये लोग नई दिल्ली से मैत्रीपूर्ण संबंध कैसे रखना चाहेंगे?

लेकिन किसी को यह समझने की जरूरत है कि इस्लामाबाद जानता है कि उनके फंड मर रहे हैं और आर्थिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए यह एनएसपी अप्रत्यक्ष रूप से आंतरिक और बाहरी कारकों को फिर से आकार दे सकता है.

पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही इस्लामाबाद की स्थापना पर हावी सैन्य प्रतिष्ठान ने भयावह नीतियां बनाई हैं. जो भारत विरोधी बयानबाजी, इस्लामवाद और आतंक की लहरों से प्रभावित हैं. सेना ने हमेशा देश के राजस्व पर अपने पहले अधिकारों का दावा किया है और उन्होंने अतीत में कभी भी रक्षा व्यय की राशि सार्वजनिक नहीं की है.

इसलिए एनएसपी जब पाकिस्तान के लोगों के लिए आर्थिक सुरक्षा हासिल करने का दावा करती है तो एक बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि क्या यह एनएसपी पाकिस्तान की गहरी स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित करेगा?

पाकिस्तान के समाज में बढ़ते चरमपंथ पर तंज कसते हुए नुसरत अमीन कहती हैं कि जो लोग जिहाद के रास्ते पर चलते हैं और इस्लाम के लिए खुद को उड़ा लेते हैं, वे देश की सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक मामलों के लिए एक आसन्न खतरा हैं. ऐसे में लोकतंत्र कैसे कायम हो सकता है?

पाकिस्तान के एक अन्य प्रमुख पत्रकार सज्जाद अनवर (Another prominent Pakistani journalist Sajjad Anwar) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) के साथ भारत-पाक संबंधों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा. जब तक दोनों देश उद्देश्यपूर्ण बातचीत के लिए एक मंच पर एक साथ नहीं आ जाते, तब तक भारत के लिए पाकिस्तान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा.

यह भी पढ़ें- China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' ने शुरू किया पुल का निर्माण, सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद

कौन हैं नुसरत अमीन

नुसरत अमीन एक पत्रकार, स्तंभकार हैं, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े दैनिक जंग के लिए कॉलम लिखती हैं. वे एक वृत्तचित्र फिल्म निर्माता हैं. वर्तमान में जियो टीवी के वृत्तचित्र विभाग की एचओडी हैं, जिसे जियोमेंटरी कहा जाता है.

उन्होंने 1992 में अंग्रेजी दैनिक द न्यूज इंटरनेशनल से करियर की शुरुआत की और 9 वर्षों से अधिक समय तक प्रिंट के लिए काम किया. बाद में वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ गईं. 2005-2006 में सरकार द्वारा संचालित पीटीवी के समाचार विभाग का नेतृत्व करने के अलावा इंडसन्यूज, डॉन न्यूज और जियो न्यूज जैसे चैनल भी लॉन्च किए हैं.

नई दिल्ली : पाकिस्तान की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) का मूल दस्तावेज अभी सार्वजनिक डोमेन में जारी नहीं किया गया है. लेकिन एक चीज जिसने नई दिल्ली को सोचने पर मजबूर किया है, वह ये कि क्या नया दस्तावेज भारत-पाक संबंधों को मजबूत करेगा? या यथास्थिति जारी रहेगी.

जैसा कि नई दिल्ली पिछले कुछ वर्षों से पड़ोस की शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों का प्रतिकार और पलटवार करने के लिए साहसिक रुख अपना रहा है. इस बीच एक बात जो अभी भी महत्वपूर्ण है वह यह है भारत-पाक संबंधों का भविष्य क्या होगा? पाक की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) दस्तावेज का मूल उद्देश्य उसकी रक्षा और विदेश नीतियों का मार्गदर्शन करना है.

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ (Pakistan's National Security Advisor Moeed Yusuf) ने कहा कि यह वास्तव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. एक नागरिक केंद्रित व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जिसके मूल में आर्थिक सुरक्षा भी है.

पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसूफ ने कहा कि सुरक्षा के प्रति नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए एनएसपी ने आर्थिक सुरक्षा को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया है. एक मजबूत अर्थव्यवस्था अतिरिक्त संसाधनों का निर्माण करेगी, जो बदले में सैन्य और मानव सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए विवेकपूर्ण तरीके से वितरित किए जाएंगे.

हालांकि पाकिस्तानी पत्रकार इसका दूसरी तरह से विश्लेषण कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि इस नीति से देश के मौजूदा हालात में कोई बदलाव नहीं आने वाला है. ईटीवी भारत से बात करते हुए एक प्रमुख पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत अमीन कहती हैं कि एनएसपी के संबंध में हालिया विकास से भारत के साथ द्विपक्षीय और राजनयिक संबंधों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव या किसी भी तरह के प्रतिमान में बदलाव की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ ऐसी संभावनाएं हैं जो एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से भारत-पाक संबंधों को आशावादी तरीके से प्रभावित कर सकती है लेकिन यह भविष्यवाणी करना मूर्खता होगी कि यह एनएसपी भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुगम बनाएगा.

नुसरत अमीन आगे कहती हैं कि यह केवल सेना ही नहीं है जो राष्ट्र को चलाती है बल्कि विभिन्न प्रकार की परतें हैं. चाहे वह युद्ध के दिग्गज हों जिन्होंने 1965, 1971 और कारगिल युद्ध लड़ा हो, पूर्व राजनयिक, व्यापारिक समुदाय और निश्चित रूप से राजनीतिक समुदाय, वर्तमान सैन्य प्रतिष्ठान और धार्मिक समुदाय, वे सभी एक साथ राष्ट्र के आंतरिक मामलों और बाहरी नीतियों को प्रभावित करते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह दस्तावेज या ऐसा मंच भारत-पाक संबंधों को मजबूत कर सकता है. पाकिस्तान के एक अन्य पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक युद्ध के दिग्गज या पूर्व राजनयिक के बारे में कल्पना करें, जिन्होंने नई दिल्ली से तमाम जंग हारने के बाद पाकिस्तान के पतन को देखा हो. उसके बदले ये लोग नई दिल्ली से मैत्रीपूर्ण संबंध कैसे रखना चाहेंगे?

लेकिन किसी को यह समझने की जरूरत है कि इस्लामाबाद जानता है कि उनके फंड मर रहे हैं और आर्थिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए यह एनएसपी अप्रत्यक्ष रूप से आंतरिक और बाहरी कारकों को फिर से आकार दे सकता है.

पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही इस्लामाबाद की स्थापना पर हावी सैन्य प्रतिष्ठान ने भयावह नीतियां बनाई हैं. जो भारत विरोधी बयानबाजी, इस्लामवाद और आतंक की लहरों से प्रभावित हैं. सेना ने हमेशा देश के राजस्व पर अपने पहले अधिकारों का दावा किया है और उन्होंने अतीत में कभी भी रक्षा व्यय की राशि सार्वजनिक नहीं की है.

इसलिए एनएसपी जब पाकिस्तान के लोगों के लिए आर्थिक सुरक्षा हासिल करने का दावा करती है तो एक बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि क्या यह एनएसपी पाकिस्तान की गहरी स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित करेगा?

पाकिस्तान के समाज में बढ़ते चरमपंथ पर तंज कसते हुए नुसरत अमीन कहती हैं कि जो लोग जिहाद के रास्ते पर चलते हैं और इस्लाम के लिए खुद को उड़ा लेते हैं, वे देश की सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक मामलों के लिए एक आसन्न खतरा हैं. ऐसे में लोकतंत्र कैसे कायम हो सकता है?

पाकिस्तान के एक अन्य प्रमुख पत्रकार सज्जाद अनवर (Another prominent Pakistani journalist Sajjad Anwar) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (Pakistan's National Security Policy 2022) के साथ भारत-पाक संबंधों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा. जब तक दोनों देश उद्देश्यपूर्ण बातचीत के लिए एक मंच पर एक साथ नहीं आ जाते, तब तक भारत के लिए पाकिस्तान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा.

यह भी पढ़ें- China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' ने शुरू किया पुल का निर्माण, सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद

कौन हैं नुसरत अमीन

नुसरत अमीन एक पत्रकार, स्तंभकार हैं, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े दैनिक जंग के लिए कॉलम लिखती हैं. वे एक वृत्तचित्र फिल्म निर्माता हैं. वर्तमान में जियो टीवी के वृत्तचित्र विभाग की एचओडी हैं, जिसे जियोमेंटरी कहा जाता है.

उन्होंने 1992 में अंग्रेजी दैनिक द न्यूज इंटरनेशनल से करियर की शुरुआत की और 9 वर्षों से अधिक समय तक प्रिंट के लिए काम किया. बाद में वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ गईं. 2005-2006 में सरकार द्वारा संचालित पीटीवी के समाचार विभाग का नेतृत्व करने के अलावा इंडसन्यूज, डॉन न्यूज और जियो न्यूज जैसे चैनल भी लॉन्च किए हैं.

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