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बॉर्डर पर कड़ी चौकसी से परेशान पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन, अब अपना रहे साइबर तकनीक

सीमा पर सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के कारण पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन को नए सदस्यों की भर्ती करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. सुरक्षा एजेंसियों द्वारा 2020 में 24 से अधिक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. बॉर्डर पर कड़ी चौकसी से परेशान पाकिस्तानी आतंकी संगठन, अब साइबर तकनीक से भर्ती करने में जुटे

सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी
सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी
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Published : Jan 3, 2021, 10:58 PM IST

श्रीनगर : भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के चलते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकवादी समूह अब साइबर और मोबाइल स्पेस में ‘एप्लिकेशन’ का इस्तेमाल करते हुए जम्मू कश्मीर में भर्ती करने में जुट गए हैं.

सुरक्षा बलों की चौकसी के कारण उनके लिए प्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने संपर्क करना कठिन हो गया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने खुफिया सूचनाओं रिपोर्टों और तकनीकी निगरानी के हवाले से बताया कि नये लोगों को शामिल करने के लिए उनकी भावनाओं को भड़काने के वास्ते पाकिस्तान के आईएसआई ‘हैंडलर’ सुरक्षा बलों द्वारा किए गए कथित अत्याचारों के फर्जी वीडियो का अक्सर इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए झूठे विमर्श गढ़े जा रहे हैं.

इससे पहले आतंकवाद समर्थक ये लोग आतंकवादी संगठनों में नये लोगों को शामिल करने के लिए उनसे भौतिक रूप से संपर्क साधते थे लेकिन, सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बाद इन लोगों को अपने तौर-तरीके बदलने को मजबूर होना पड़ा.

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा 2020 में 24 से अधिक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. 40 से अधिक इस तरह के आतंकी समर्थकों या इनसे सहानुभूति रखने वालों की गिरफ्तारी हुई.

पिछले महीने दो आतंकवादियों तवर वाघेई और अमीर अहमद मीर ने 34 राष्ट्रीय राइफल्स के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. इन लोगों ने आतंकी माड्यूल्स में अपने शामिल होने के संबंध में गहन जानकारी दी, जिससे पता चला था कि साइबर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर लोगों को शामिल किया जा रहा है.

पढ़ें- झारखंड के रांची में युवती की सिर कटी लाश मिली

अधिकारियों ने बताया कि दोनों आतंकवादी फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तान के एक हैंडलर के संपर्क में आए थे, जिसने उन्हें भर्ती होने के लिए राजी किया और एक भर्ती करने वाले के हवाले कर दिया, जिसका नाम खालिद और मोहम्मद अब्बास शेख था. उन्होंने बताया कि दोनों आतंकवादियों को यूट्यूब जैसे मंचों पर उपलब्ध विभिन्न लिंकों का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय निवासियों द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी के बाद कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 40 ऐसे मामले थे.

इन लोगों को सीमा पार से आदेशों का इंतजार था. उन्होंने बताया कि आतंकवादी समूहों को निश्चित रूप से हथियारों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यही एक कारण है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अधिक हथियार भेजने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

श्रीनगर : भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के चलते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकवादी समूह अब साइबर और मोबाइल स्पेस में ‘एप्लिकेशन’ का इस्तेमाल करते हुए जम्मू कश्मीर में भर्ती करने में जुट गए हैं.

सुरक्षा बलों की चौकसी के कारण उनके लिए प्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने संपर्क करना कठिन हो गया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने खुफिया सूचनाओं रिपोर्टों और तकनीकी निगरानी के हवाले से बताया कि नये लोगों को शामिल करने के लिए उनकी भावनाओं को भड़काने के वास्ते पाकिस्तान के आईएसआई ‘हैंडलर’ सुरक्षा बलों द्वारा किए गए कथित अत्याचारों के फर्जी वीडियो का अक्सर इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए झूठे विमर्श गढ़े जा रहे हैं.

इससे पहले आतंकवाद समर्थक ये लोग आतंकवादी संगठनों में नये लोगों को शामिल करने के लिए उनसे भौतिक रूप से संपर्क साधते थे लेकिन, सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बाद इन लोगों को अपने तौर-तरीके बदलने को मजबूर होना पड़ा.

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा 2020 में 24 से अधिक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. 40 से अधिक इस तरह के आतंकी समर्थकों या इनसे सहानुभूति रखने वालों की गिरफ्तारी हुई.

पिछले महीने दो आतंकवादियों तवर वाघेई और अमीर अहमद मीर ने 34 राष्ट्रीय राइफल्स के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. इन लोगों ने आतंकी माड्यूल्स में अपने शामिल होने के संबंध में गहन जानकारी दी, जिससे पता चला था कि साइबर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर लोगों को शामिल किया जा रहा है.

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अधिकारियों ने बताया कि दोनों आतंकवादी फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तान के एक हैंडलर के संपर्क में आए थे, जिसने उन्हें भर्ती होने के लिए राजी किया और एक भर्ती करने वाले के हवाले कर दिया, जिसका नाम खालिद और मोहम्मद अब्बास शेख था. उन्होंने बताया कि दोनों आतंकवादियों को यूट्यूब जैसे मंचों पर उपलब्ध विभिन्न लिंकों का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय निवासियों द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी के बाद कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 40 ऐसे मामले थे.

इन लोगों को सीमा पार से आदेशों का इंतजार था. उन्होंने बताया कि आतंकवादी समूहों को निश्चित रूप से हथियारों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यही एक कारण है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अधिक हथियार भेजने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

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