नई दिल्ली : पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआईए जज ने लस्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकवादी को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. आतंकवादी की पहचान बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर के रूप में की गई है. सैफुल्ला ने भारत में हमले की एक बड़ी साजिश रची थी. एनआईए के विशेष जज ने जांच में पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्ला को यूएपीए, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम तथा अन्य मामलों में दोषी पाया है और जुर्माना सहित 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
भारत में दहशत फैलाना चाहता था आतंकी सैफुल्ला
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यह केस 27 जुलाई, 2016 को राजधानी नई दिल्ली में दर्ज किया था. पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने अपने दो साथियों के साथ भारत में हमले की साजिश रची थी. आतंकी सैफुल्ली ने अपने दो साथी अबु साद और अबु दरदा के साथ जम्मू-कश्मीर में कई हमलों को अंजाम दिया था. इन आतंकियों ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा से ट्रेनिंग ली थी. इनका इरादा नई दिल्ली समेत भारत के कई जगहों पर हमला करने और दहशत फैलाने का था.
जब्त किया गया था हथियारों का जखीरा
25 जुलाई, 2016 के दिन एनआईए ने आतंकी बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला को कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से गिरफ्तार किया था. जानकारी के मुताबिक, आतंकी के पास से बड़ी मात्रा में गोला बारूद के साथ हथियारों का जखीरा जब्त किया गया था. आतंकी सैफुल्ला के पास से एके-47 राइफल, यूबीजीएल, कारतूस, हैंड ग्रेनेड, मैप, वायरलेस हैंडसेट तथा अन्य सामग्री बरामद की गई थी.
एनआईए की जांच में आतंकी ने किए थे कई खुलासे
एनआईए की जांच के वक्त सैफुल्ला ने लश्कर की कई साजिशों का खुलासा किया. उसने लश्कर के बारे में कई अहम जानकारी दी. उसने जांच टीम को लश्कर में आतंकियों की भर्ती के बारे में और तमाम ट्रेनिंग सेंटरों के बारे में बताया.
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उसने बताया कि लश्कर में आतंकियों को गोला-बारूद, हथियार चलाने सहित कई तरह के विस्फोटकों और नाइट विजन डिवाइसेज, जीपीएस चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. उसने भारत में आतंक फैलाने के लिए लश्कर में आतंकियों की भर्ती के लिए चलाए गए अभियान तथा मॉडस ऑपरेंडी का खुलासा किया था. एनआईए ने 6 जनवरी, 2017 को आतंकी सैफुल्ली के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.
अन्य आरोपियों के खिलाफ भी आगे की सुनवाई जारी
बाद में सैफुल्ला के सहयोगी अबु साद और अबु दरदा 14 फरवरी, 2017 को कुपवाड़ा जिले के हाजिन में एक मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे. जांच के दौरान सैफुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले अपने दो साथियों के बारे में भी खुलासा किया था.
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जिसके बाद सैफुल्ला की मदद करने वाले जहूर अहमद पीर और नजीर अहमद पीर को गिरफ्तार कर लिया गया था. जहूर अहमद और नजीर अहमद पीर दोनों जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं और इन दोनों आरोपियों के खिलाफ भी आगे की सुनवाई जारी है.