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पाकिस्तान ड्रोन से आतंकी समूहों तक आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने की कोशिश कर रहा है : दिलबाग सिंह

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Published : Jul 25, 2021, 6:33 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिए गिराया गए IED का जिक्र किया है. और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ड्रोन के जरिए आतंकी समूहों तक आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिए गिराया गया आईईडी जम्मू क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले बाजार में विस्फोट करने के लिए था और यह दिखाता है कि पाकिस्तान फरवरी में हुए संघर्षविराम समझौते के बावजूद विभिन्न आतंकी समूहों तक अपनी आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.

सिंह ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के पास हथियारों और गोला-बारूद की कमी हो गई है, क्योंकि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादी समूहों के सक्रिय सदस्यों के मॉड्यूल के कई लोगों को गिरफ्तार कर इसे रोकने में कामयाबी हासिल की है.

उन्होंने कहा, 'पिछले साल सितंबर से पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित कुछ तत्व हथियार, गोला-बारूद और यहां तक ​​कि नकदी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आतंकवादी समूहों की मांगों को पूरा किया जा सके.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू क्षेत्र के कानाचक इलाके में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन को 23 जुलाई को मार गिराया था.

सिंह ने बताया कि ड्रोन में आईईडी था जिसका वजन पांच किलोग्राम था जो इस्तेमाल करने के लिए लगभग तैयार था.

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि जैश-ए-मोहम्मद आतंकी समूह इससे जम्मू में भीड़-भाड़ वाली जगह पर विस्फोट करना चाहता था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग हताहत हो सकें.

पुलिस प्रमुख ने कहा कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस साल फरवरी में लागू हुए संघर्षविराम समझौते के बावजूद, पाकिस्तान के 'राज्य प्रायोजित कुछ तत्व हथियारों, गोला-बारूद और नकदी की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने की कोशिश कर, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों की मदद कर रहे हैं.

सिंह ने कहा कि 23 जुलाई को गिराए गए ड्रोन और एक साल पहले जम्मू क्षेत्र के कठुआ के हीरानगर सेक्टर में गिराए गए अन्य ड्रोन की उड़ान नियंत्रण क्रम संख्या में एकल अंक का अंतर है. पिछले सप्ताह गिराए गए ड्रोन में लगे कुछ उपकरण चीन और ताइवान के थे.

पढ़ें : J&K DGP का बड़ा बयान, 'आतंकी समूहों में शामिल होने युवाओं की संख्या घटी'

उन्होंने कहा कि ड्रोन की वजह से आतंकी समूहों की ओर से सुरक्षा खतरों में एक नया आयाम जुड़ा है, इसलिए इस नए एवं उभरते खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है.

पुलिस प्रमुख ने पूर्व में कहा था कि 27 जून को जम्मू वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन के जरिए किए गए हमले में इस्तेमाल हुई विस्फोटक सामग्री पर हस्ताक्षर इसे बनाने में पाकिस्तान के आयुध कारखाने की भूमिका का स्पष्ट संकेत देते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिए गिराया गया आईईडी जम्मू क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले बाजार में विस्फोट करने के लिए था और यह दिखाता है कि पाकिस्तान फरवरी में हुए संघर्षविराम समझौते के बावजूद विभिन्न आतंकी समूहों तक अपनी आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.

सिंह ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों के पास हथियारों और गोला-बारूद की कमी हो गई है, क्योंकि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादी समूहों के सक्रिय सदस्यों के मॉड्यूल के कई लोगों को गिरफ्तार कर इसे रोकने में कामयाबी हासिल की है.

उन्होंने कहा, 'पिछले साल सितंबर से पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित कुछ तत्व हथियार, गोला-बारूद और यहां तक ​​कि नकदी गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि आतंकवादी समूहों की मांगों को पूरा किया जा सके.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जम्मू क्षेत्र के कानाचक इलाके में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन को 23 जुलाई को मार गिराया था.

सिंह ने बताया कि ड्रोन में आईईडी था जिसका वजन पांच किलोग्राम था जो इस्तेमाल करने के लिए लगभग तैयार था.

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि जैश-ए-मोहम्मद आतंकी समूह इससे जम्मू में भीड़-भाड़ वाली जगह पर विस्फोट करना चाहता था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग हताहत हो सकें.

पुलिस प्रमुख ने कहा कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस साल फरवरी में लागू हुए संघर्षविराम समझौते के बावजूद, पाकिस्तान के 'राज्य प्रायोजित कुछ तत्व हथियारों, गोला-बारूद और नकदी की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने की कोशिश कर, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों की मदद कर रहे हैं.

सिंह ने कहा कि 23 जुलाई को गिराए गए ड्रोन और एक साल पहले जम्मू क्षेत्र के कठुआ के हीरानगर सेक्टर में गिराए गए अन्य ड्रोन की उड़ान नियंत्रण क्रम संख्या में एकल अंक का अंतर है. पिछले सप्ताह गिराए गए ड्रोन में लगे कुछ उपकरण चीन और ताइवान के थे.

पढ़ें : J&K DGP का बड़ा बयान, 'आतंकी समूहों में शामिल होने युवाओं की संख्या घटी'

उन्होंने कहा कि ड्रोन की वजह से आतंकी समूहों की ओर से सुरक्षा खतरों में एक नया आयाम जुड़ा है, इसलिए इस नए एवं उभरते खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है.

पुलिस प्रमुख ने पूर्व में कहा था कि 27 जून को जम्मू वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन के जरिए किए गए हमले में इस्तेमाल हुई विस्फोटक सामग्री पर हस्ताक्षर इसे बनाने में पाकिस्तान के आयुध कारखाने की भूमिका का स्पष्ट संकेत देते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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