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कुछ लोगों को विदेश से अपने ही देश को बदनाम करने की कोशिश करते देखना दुखद: जगदीप धनखड़

कुछ समय पहले कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी ने अपने भाषण में भारत के लोकतंत्र को खतरे में बताया था. अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके उस बयान की आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह देखना दुखद है कि कुछ लोग अपने ही देश को विदेशों में जाकर बदनाम कर रहे हैं.

Vice President Jagdeep Dhankhar
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
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Published : Apr 7, 2023, 7:07 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक भाषण के हफ्तों बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि यह देखना दर्दनाक है कि कुछ लोग अपने ही देश को विदेशों से बदनाम करते हैं. नई दिल्ली में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए धनखड़ ने कहा कि 'कुछ लोगों को विदेश जाते और वहां से अपने ही देश को बदनाम करने की कोशिश करते देखना दुखद है.'

उन्होंने कहा कि भारत और भारतीयता में सच्चा विश्वास करने वाला हमेशा अपने देश के बारे में पहले सोचेगा और विदेशी धरती से हमारे संस्थानों पर निराधार टिप्पणी करने के बजाय राष्ट्र की सुधार प्रक्रिया में योगदान देगा. उन्होंने विदेशी धरती से देश का नाम बदनाम करने की ऐसी गतिविधियों पर कुछ प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया. गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अपने पिछले दौरे के दौरान कहा था कि भारत में लोकतंत्र और संसद खतरे में है.

गांधी परिवार के वंशज द्वारा दिए गए बयान ने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के सांसदों के साथ एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जो संसद के हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं. धनखड़ ने आगे कहा कि कुछ विदेशी संगठन भारत की प्रगति को रोकने के अपने प्रयास में हमेशा हमारे देश को बदनाम करने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा धनखड़ ने स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान को भी याद किया.

इस दौरान उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासन के दौरान, जब भारत ने अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन खो दिए थे, स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारत के सभ्यतागत लोकाचार को पुनर्जीवित करने के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ वैदिक ज्ञान को फिर से स्थापित किया. धनखड़ ने याद दिलाया कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सबसे पहले स्वराज का आह्वान किया था, जिसे लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया और एक जन आंदोलन बन गया.

धनखड़ ने कहा कि स्वामी जी के लिए स्वतंत्रता मन और आत्मा की वास्तविक स्वतंत्रता से अलग नहीं थी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती की दृष्टि और कार्य आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं, और बेटी बचाओ-बेटी पढाओ और नई शिक्षा नीति जैसी सरकारी पहलों में प्रतिध्वनि पाते हैं. धनखड़ ने कहा कि 'अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वामी दयानंद जी के समर्पित प्रयास स्वतंत्र भारत में सामाजिक कल्याण की नींव रखते हैं.'

पढ़ें: संसद का कामकाज ठप करके जनता के मन में हम तिरस्कार और उपहास के पात्र बन रहे - जगदीप धनखड़

धनखड़ ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्वामी दयानंद के योगदान को रेखांकित किया कि संस्कृत और हिंदी जैसी भाषाओं को उनकी योग्य पहचान मिले. धनखड़ ने कहा कि दुनिया में कोई भाषा नहीं है और ऐसा कोई व्याकरण नहीं है जिसमें संस्कृत की गहराई हो. यह सभी भाषाओं की जननी की तरह है.

नई दिल्ली: कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी द्वारा दिए गए एक भाषण के हफ्तों बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि यह देखना दर्दनाक है कि कुछ लोग अपने ही देश को विदेशों से बदनाम करते हैं. नई दिल्ली में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए धनखड़ ने कहा कि 'कुछ लोगों को विदेश जाते और वहां से अपने ही देश को बदनाम करने की कोशिश करते देखना दुखद है.'

उन्होंने कहा कि भारत और भारतीयता में सच्चा विश्वास करने वाला हमेशा अपने देश के बारे में पहले सोचेगा और विदेशी धरती से हमारे संस्थानों पर निराधार टिप्पणी करने के बजाय राष्ट्र की सुधार प्रक्रिया में योगदान देगा. उन्होंने विदेशी धरती से देश का नाम बदनाम करने की ऐसी गतिविधियों पर कुछ प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया. गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अपने पिछले दौरे के दौरान कहा था कि भारत में लोकतंत्र और संसद खतरे में है.

गांधी परिवार के वंशज द्वारा दिए गए बयान ने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के सांसदों के साथ एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जो संसद के हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं. धनखड़ ने आगे कहा कि कुछ विदेशी संगठन भारत की प्रगति को रोकने के अपने प्रयास में हमेशा हमारे देश को बदनाम करने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा धनखड़ ने स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान को भी याद किया.

इस दौरान उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासन के दौरान, जब भारत ने अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन खो दिए थे, स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारत के सभ्यतागत लोकाचार को पुनर्जीवित करने के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ वैदिक ज्ञान को फिर से स्थापित किया. धनखड़ ने याद दिलाया कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सबसे पहले स्वराज का आह्वान किया था, जिसे लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया और एक जन आंदोलन बन गया.

धनखड़ ने कहा कि स्वामी जी के लिए स्वतंत्रता मन और आत्मा की वास्तविक स्वतंत्रता से अलग नहीं थी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती की दृष्टि और कार्य आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं, और बेटी बचाओ-बेटी पढाओ और नई शिक्षा नीति जैसी सरकारी पहलों में प्रतिध्वनि पाते हैं. धनखड़ ने कहा कि 'अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वामी दयानंद जी के समर्पित प्रयास स्वतंत्र भारत में सामाजिक कल्याण की नींव रखते हैं.'

पढ़ें: संसद का कामकाज ठप करके जनता के मन में हम तिरस्कार और उपहास के पात्र बन रहे - जगदीप धनखड़

धनखड़ ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्वामी दयानंद के योगदान को रेखांकित किया कि संस्कृत और हिंदी जैसी भाषाओं को उनकी योग्य पहचान मिले. धनखड़ ने कहा कि दुनिया में कोई भाषा नहीं है और ऐसा कोई व्याकरण नहीं है जिसमें संस्कृत की गहराई हो. यह सभी भाषाओं की जननी की तरह है.

Last Updated : Apr 7, 2023, 7:38 PM IST
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