तिरुवनंतपुरम : गौरतलब है कि पीसी चाको पार्टी के लिए तब अवांछित हो गए, जब उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य (सीडब्लूसी) के रूप में उन 23 नेताओं के साथ हस्ताक्षर किए थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र देकर कांग्रेस के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने की मांग की थी.
चाको को तब भी झटका लगा जब कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट किया कि वह कार्यसमिति के सदस्य नहीं हैं. आलाकमान ने स्पष्ट किया कि वे कार्यसमिति में एक विशेष आमंत्रित सदस्य थे, क्योंकि वह तब दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रभारी थे. एक बार जब उन्हें दिल्ली पीसीसी की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया तब वे आमंत्रित सदस्य के रूप में कार्यसमिति का हिस्सा नहीं होंगे. इन सबके बीच पीसी चाको जो एक समय कांग्रेस की आंखों के तारे हुआ करते थे, को ये महसूस होने लगा की पार्टी पर उनकी पकड़ अब ढीली पड़ने लगी है.
उतार-चढ़ाव जारी रहा
2014 के लोक सभा चुनावों के दौरान चाको ने त्रिशूर की मजबूत सीट छोड़ दी थी और सीट खोने के डर से चालक्कुडी से चुनाव लड़े थे, लेकिन वहां उनको हार का सामना करना पड़ा. 2019 में जब 20 में से 19 लोक सभा सीटें कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ उम्मीदवारों ने जीती तब भी चाको को किसी सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया गया था. केरल कांग्रेस में अलग-थलग पड़ने के कारण वे पूरी तरह से निराश हो गए थे. जिसके बाद चाको के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी. हालांकि, इसी बीच उन्होंने अचानक कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस से कई बार अलग हुए
इससे पहले जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विभाजित हुई और शरद पवार के नेतृत्व वाले एक धड़े ने कांग्रेस एस का गठन किया. तब भी चाको, पवार के साथ थे. वे उस जुड़ाव को हमेशा जीवित रखते रहे हैं. पीसी चाको कांग्रेस की छात्र शाखा, केरल छात्र संघ (KSU) के माध्यम से पार्टी की राजनीति में आए. वे हमेशा कांग्रेस की गुटबाजी और संघर्षों का हिस्सा रहे. जब 1978 में केरल में कांग्रेस का विभाजन हुआ और एके एंटनी के नेतृत्व वाला एक गुट अलग हो गया, तो चाको एंटनी गुट के साथ चले गए. जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इंदिरा गुट के खिलाफ था.
कम उम्र में बने उद्योग मंत्री
1979 में एंटनी और चाको ही थे जिन्होंने केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के साथ गठबंधन में शामिल होने की पहल की. 1980 के विधानसभा चुनाव में चाको और एंटनी के नेतृत्व में कांग्रेस ए ने वाम पैनल पर चुनाव लड़ा. सीपीएम सरकार जो कांग्रेस एंटनी गुट के समर्थन से सत्ता में आई, चाको को उद्योग मंत्री बनाया गया. तब उनकी उम्र महज 31 साल थी. चाको को पीरवोम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुना गया था.
कई बार जीते लोक सभा चुनाव
1981 में जब एके एंटनी कांग्रेस में लौटे तब भी चाको, शरद पवार के साथ रहे. जिन्होंने कांग्रेस का विभाजन किया और एलडीएफ में बने रहे. चाको 1982 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ के टिकट पर चुनाव लड़े. 1982 में केरल में शरद पवार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे चाको 1986 में कांग्रेस में वापस आ गए. चाको उस समय राज्य कांग्रेस में सबसे प्रमुख नेता रहे और करुणाकरन के साथ खड़े थे. उन्होंने त्रिशूर से लोक सभा का चुनाव लड़ा और 1991 में पहली बार सीट जीती. 1996 में चाको ने करुणाकरण के लिए त्रिशूर सीट छोड़ी और मुकुंदपुरम से लोक सभा सीट जीती. वह 1998 में इडुक्की से सांसद बने और 2004 में कोट्टायम में वे पराजित हो गए.
अलग गुट में कामयाबी नहीं
2009 में त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए चुने गए चाको ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया. चाको कभी भी उसी निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए, जहां से वे जीते थे. 2004 में उन्होंने बैठकुसुर को छोड़कर चालक्कुडी को चुना और चालाक्कुडी में बुरी तरह हार गए. के करुणाकरण की मृत्यु के बाद चाको ने कांग्रेस में उनके नेतृत्व में एक और समूह बनाने की कोशिश की. जो ओमान चांडी और रमेश चेन्निथला गुटों का विकल्प था. हालांकि वे इसमें कामयाब नहीं हुए.
राज्य कांग्रेस ने किया दरकिनार
दिल्ली में लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे चाको केरल में पार्टी में प्रभावशाली व्यक्ति नहीं हो सकते थे. हालांकि, चाको 2021 विधानसभा चुनाव की उम्मीदवार चयन समिति के सदस्य थे. लेकिन चांडी और चेन्निथला ने उनके द्वारा सुझाए गए एक भी उम्मीदवार को मंजूरी नहीं दी. चाको का पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय राज्य कांग्रेस के नेताओं द्वारा इन कार्यों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन है. उन्होंने कांग्रेस को यह कहते हुए छोड़ दिया कि पार्टी में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है.
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चाको की पार्टी में वापसी इस बात पर निर्भर करती है कि 76 वर्षीय कांग्रेस नेता के विरोध को पार्टी द्वारा कैसे माना जाएगा.