नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट और देश भर के विभिन्न हाई कोर्ट में वकालत करने वाले 323 वकीलों ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) के बयान की निंदा की है. बता दें कि रिजिजू ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा बन गए हैं. इस संबंध में वकीलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि केंद्रीय मंत्री एक संदेश दे रहे हैं कि असंतोष की आवाज को नहीं बख्शा जाएगा.
वकीलों ने केंद्रीय मंत्री की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की हेकड़ी और धौंस जमाना मंत्री जैसे पद के लिए शोभा नहीं देता है. उन्होंने कहा कि हम मंत्री को याद दिलाना चाहते हैं कि सरकार की आलोचना ना तो राष्ट्र के खिलाफ है और ना ही देशद्रोही और कोई भारत विरोधी नहीं है. वकीलों ने पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकारों के खिलाफ सबसे कठिन सवाल और आलोचना की जानी चाहिए, क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे सरकारों को सतर्क और उत्तरदायी रखा जाता है. बयान में कहा गया है कि हम बेझिझक कहते हैं कि सरकार के आलोचक हर तरह से उतने ही देशभक्त हैं जितने कि सरकार में हैं और आलोचक जो प्रशासन में विफलताओं या कमियों या संवैधानिक मानदंडों के उल्लंघन को उजागर करते हैं वे एक अंतर्निहित और सबसे बुनियादी मानव अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.
इतना ही नहीं बयान में यह भी कहा गया है कि पूर्व न्यायाधीशों, जिम्मेदार महिलाओं और पुरुषों द्वारा व्यक्त किए गए विचार भले ही सत्ताधारी राजनीतिक विवाद के लिए अप्रिय हों लेकिन मंत्री को इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करने का अधिकार नहीं देता है. इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए. वकीलों ने मंत्री से अपनी टिप्पणी वापस लेने और भविष्य में इस तरह के बयान देने से बचने का आग्रह किया.
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