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आयुध डिपो 77 प्रतिशत तक आपूर्ति सुनिश्चित करने में विफल रहे : कैग

रक्षा आयुध डिपो (Ordnance depots) वर्दी, हथियार, गोला-बारूद और अन्य उपकरणों की भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों की जरूरतों को पूरा करने में विफल हो रहे हैं. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

Ordnance depots failing to meet up to 77% of military requests
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Published : Jul 25, 2022, 7:13 PM IST

नई दिल्ली : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सेना की जरूरत का सामान उपलब्ध कराने में देरी और असमर्थता को लेकर केंद्रीय आयुध डिपो (सीओडी) और आयुध डिपो (ओडी) के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. कैग ने इस संबंध में हाल ही में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट दी है.

'ऑर्डनेंस सर्विसेज में इन्वेंटरी मैनेजमेंट' शीर्षक से दी गई रिपोर्ट में राष्ट्रीय लेखा परीक्षक ने कहा है ' लेखा परीक्षा विश्लेषण से पता चला है कि 2014-15 से 2018-19 की अवधि के दौरान चयनित सीओडी / ओडी स्टोर आपूर्ति करने में अक्षम रहे. इनकी अक्षमता का प्रतिशत 48.80 प्रतिशत से 77.05 प्रतिशत के बीच रहा.' हालांकि डिपो द्वारा रिपोर्ट की गई औसत अक्षमता प्रतिशत 11 से 35% के बीच थी, जबकि CAG के आंकड़ों के मुताबिक ये प्रतिशत कई गुना ज्यादा 48.80% से 77.05% के बीच थी.

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'इसलिए वास्तविक अक्षमता प्रतिशत डिपो द्वारा रिपोर्ट की गई अक्षमता प्रतिशत से काफी अधिक था.' मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, उपयोगकर्ता इकाइयों की सभी मांगों को मांगपत्र प्राप्त होने के 22 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए. जो सामान उपलब्ध नहीं होता है उसे डिपो में 'बकाया-आउट' के रूप में रखा जाता है. मार्च 2019 तक 22 दिन की समयावधि पूरी होने के बाद बकाया उपयोगकर्ताओं की संख्या 6,49,045 थी.

कैग के निष्कर्षों के अनुसार, छह महीने तक बकाया मांग 14% -62% के बीच थी, जबकि छह महीने से अधिक की मांग 38% -86% थी. ये आवश्यक पुर्जों की सोर्सिंग में डिपो की अक्षमता को दर्शाता है.' हालांकि रक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2021 में 'बकाया-आउट' के स्तर को कम करने के लिए खरीद, आपूर्ति के अतिरिक्त स्रोतों का पता लगाने की बात कही थी. साथ ही 'मेक इन इंडिया' के तहत सामान की खरीद पर जोर दिया था. कैग ने रक्षा मंत्रालय के इस कदम को स्वीकार किया है, लेकिन उसने जोर दिया कि बकाया-आउट की बढ़ती स्थिति को देखते हुए मंत्रालय को प्रभावी और निरंतर कदम उठाने चाहिए.

सेना आयुध कोर (एओसी) युद्ध और शांति के दौरान भारतीय सेना को सामग्री और रसद सहायता प्रदान करता है. सशस्त्र बलों को भंडार की आपूर्ति डिपो और स्टोर-होल्डिंग इकाइयों के एक नेटवर्क के माध्यम से की जाती है. फील्ड स्तर पर विभिन्न स्टेशनों पर सीओडी स्थित हैं. इनमें खरीद, स्टॉक और प्रबंधन किया जा रहा है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में 2014-15 से 2018-19 तक की स्थिति को कवर किया है. इसमें केवल 'ए' श्रेणी स्टोर या हथियार टैंक, रडार, बंदूकें, वाहन और हेलीकॉप्टर जैसे पूर्ण उपकरण शामिल हैं.

पढ़ें- कैग ने जबलपुर आयुध कारखाने के भंडारण पर उठाए सवाल

नई दिल्ली : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सेना की जरूरत का सामान उपलब्ध कराने में देरी और असमर्थता को लेकर केंद्रीय आयुध डिपो (सीओडी) और आयुध डिपो (ओडी) के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. कैग ने इस संबंध में हाल ही में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट दी है.

'ऑर्डनेंस सर्विसेज में इन्वेंटरी मैनेजमेंट' शीर्षक से दी गई रिपोर्ट में राष्ट्रीय लेखा परीक्षक ने कहा है ' लेखा परीक्षा विश्लेषण से पता चला है कि 2014-15 से 2018-19 की अवधि के दौरान चयनित सीओडी / ओडी स्टोर आपूर्ति करने में अक्षम रहे. इनकी अक्षमता का प्रतिशत 48.80 प्रतिशत से 77.05 प्रतिशत के बीच रहा.' हालांकि डिपो द्वारा रिपोर्ट की गई औसत अक्षमता प्रतिशत 11 से 35% के बीच थी, जबकि CAG के आंकड़ों के मुताबिक ये प्रतिशत कई गुना ज्यादा 48.80% से 77.05% के बीच थी.

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'इसलिए वास्तविक अक्षमता प्रतिशत डिपो द्वारा रिपोर्ट की गई अक्षमता प्रतिशत से काफी अधिक था.' मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, उपयोगकर्ता इकाइयों की सभी मांगों को मांगपत्र प्राप्त होने के 22 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए. जो सामान उपलब्ध नहीं होता है उसे डिपो में 'बकाया-आउट' के रूप में रखा जाता है. मार्च 2019 तक 22 दिन की समयावधि पूरी होने के बाद बकाया उपयोगकर्ताओं की संख्या 6,49,045 थी.

कैग के निष्कर्षों के अनुसार, छह महीने तक बकाया मांग 14% -62% के बीच थी, जबकि छह महीने से अधिक की मांग 38% -86% थी. ये आवश्यक पुर्जों की सोर्सिंग में डिपो की अक्षमता को दर्शाता है.' हालांकि रक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2021 में 'बकाया-आउट' के स्तर को कम करने के लिए खरीद, आपूर्ति के अतिरिक्त स्रोतों का पता लगाने की बात कही थी. साथ ही 'मेक इन इंडिया' के तहत सामान की खरीद पर जोर दिया था. कैग ने रक्षा मंत्रालय के इस कदम को स्वीकार किया है, लेकिन उसने जोर दिया कि बकाया-आउट की बढ़ती स्थिति को देखते हुए मंत्रालय को प्रभावी और निरंतर कदम उठाने चाहिए.

सेना आयुध कोर (एओसी) युद्ध और शांति के दौरान भारतीय सेना को सामग्री और रसद सहायता प्रदान करता है. सशस्त्र बलों को भंडार की आपूर्ति डिपो और स्टोर-होल्डिंग इकाइयों के एक नेटवर्क के माध्यम से की जाती है. फील्ड स्तर पर विभिन्न स्टेशनों पर सीओडी स्थित हैं. इनमें खरीद, स्टॉक और प्रबंधन किया जा रहा है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में 2014-15 से 2018-19 तक की स्थिति को कवर किया है. इसमें केवल 'ए' श्रेणी स्टोर या हथियार टैंक, रडार, बंदूकें, वाहन और हेलीकॉप्टर जैसे पूर्ण उपकरण शामिल हैं.

पढ़ें- कैग ने जबलपुर आयुध कारखाने के भंडारण पर उठाए सवाल

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