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हिमाचल चुनाव में ओपीएस सबसे बड़ा मुद्दा, पुरानी पेंशन कांग्रेस का सहरा या BJP की टेंशन? - न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ

हिमाचल में चुनाव की तारीखों का ऐलान (Election dates announced in Himachal) होने के साथ ही आचार संहिता लग गया है. ऐसे में हिमाचल में ओपीएस इस बार सबसे बड़े चुनावी मुद्दों में से एक है. प्रदेश के कर्मचारी पिछले लंबे वक्त से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग कर रहे हैं. जिसे लेकर कर्मचारी प्रदर्शन भी कर चुके हैं. इस बीच कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ओल्ड पेंशन स्कीम का समर्थन किया है. (OPS Demand in Himachal Pradesh)

OPS Demand in Himachal Pradesh
हिमाचल चुनाव में ओपीएस सबसे बड़ा मुद्दा
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Published : Oct 16, 2022, 3:04 PM IST

शिमला: हिमाचल में चुनावी बिगुल (Himcahal Assembly Elections 2022) बज चुका है. चुनावों में अबकी बार विकास, गर्वनेंस जैसे मुद्दे तो हैं ही, लेकिन ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा इस बार विधानसभा चुनाव में उभरकर सामने आया है. हिमाचल में ओपीएस का मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बकायदा ऐलान कर दिया है सरकार बनते ही सबसे पहले वे सूबे में ओपीएस लागू करेंगे. हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन भी कर चुके हैं. अब आचार संहिता लगने के साथ ही एनपीएस संघ ने क्रमिक अनशन खत्म करके डोर-टू-डोर वोट फॉर ओपीएस अभियान की शुरुआत कर दी है. यानी एक तरह से देखा जाए तो पुरानी पेंशन योजना भाजपा की गले की फांस बनती जा रही है. और इसका फायदा आने वाले चुनाव में कांग्रेस उठा सकती है. आइए जानते हैं आखिर प्रदेश में ओपीएस इतना बड़ा मुद्दा क्यों है, जिसे कांग्रेस ने अपनी गारंटी में शामिल किया है. (Vote for OPS in Himachal)

वीडियो.

क्या है ओपीएस: एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. वहीं, NPS में उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए है. कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. बता दें कि, पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है. ओपीएस खत्म करने के बाद 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारी अब एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आ गए हैं. अन्य राज्यों की तरह हिमाचल ने भी इस योजना को लागू किया है. मगर लागू करने के करीब 18 साल बाद यह मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए इसको नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है. (issue in himachal assembly elections)

हिमाचल चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम सबसे बड़ा मुद्दा: ओपीएस का मुद्दा, मौजूदा वक्त में हिमाचल में सबसे ज्वलंत मुद्दा है. वैसे तो देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने झंडा बुलंद किया है, लेकिन हिमाचल में चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे की गूंज ज्यादा सुनाई दे रही है. सरकारी कर्मचारी कई प्रदर्शन कर चुके हैं और मौजूदा वक्त में भी चल रहे हैं. कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लिया है और सरकार बनने पर ओपीएस लागू करने का ऐलान किया है. कांग्रेस छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ओपीएस लागू करने का हवाला दे रही है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे को एक तरह से दरकिनार कर दिया है. हिमाचल में 2,40,640 सरकारी कर्मचारी और 1,90,000 पेंशनर्स हैं. इस लिहाज से ये एक बड़ा वोट बैंक है. (OPS Demand in Himachal Pradesh)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

हिमाचल के कर्मचारी ओल्ड पेंशन की मांग कर रहे हैं और इसके लिए वे सड़कों पर भी उतरे हैं. मौजूदा जयराम सरकार ओपीएस के मसले को हल नहीं कर पाई. विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस मुद्दे को हवा दे रही है और वह ओपीएस के सहारे सता में आने का सपना देख रही है. यही वजह है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं. (NPS employees in himachal)

पुरानी पेंशन कांग्रेस का सहरा या BJP की टेंशन: हिमाचल में ओपीएस एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. राजनीतिक पार्टियां इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. कांग्रेस ने चुनावों को देखते ऐलान किया है कि सता में आने पर वह पुरानी पेंशन कर्मचारियों के लिए बहाल करेगी. कांग्रेस ने अपनी दस गारंटियों में से एक गारंटी पुरानी पेंशन बहाली की दी है. कांग्रेस पुरानी पेंशन बहाल करने का कर्मचारियों को भरोसा दे रही है. कांग्रेस नेताओं की मानें तो उनकी पार्टी ने राजस्थान और छतीसगढ़ में ओपीएस बहाल कर दी है और अब बारी हिमाचल की है. कांग्रेस की सरकार बनते ही इसे भी बहाल कर दिया जाएगा. झारखंड भी पुरानी पेंशन को बहाल कर चुका है. (OPS issue important in Himachal elections)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

भाजपा की जयराम सरकार ओपीएस बहाल नहीं कर पाई, लेकिन ओपीएस खत्म करने के लिए वह तत्कालीन वीरभद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कहते हैं कि जिस कांग्रेस की सरकार ने तब ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म किया था, वो आज कर पुरानी पेंशन बहाल कर कर्मचारी हितैषी बनने का दावा कर रही है, उनका कहना है कि हिमाचल के कर्मचारी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं. वे किसी के बहकावे में आने वाले नहीं हैं.

ओपीएस को लेकर कर्मचारी कर चुके हैं बड़ा आंदोलन: हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं. कर्मचारियों ने इस साल 23 फरवरी को 9 दिन की पदयात्रा मंडी से शिमला के लिए शुरू की थी. इसके बाद कर्मचारियों ने 3 मार्च को विधानसभा का बड़ा घेराव भी किया था. इसके बाद भी कर्मचारियों ने विभिन्न जिलों में धरने प्रदर्शन जारी रखे. शिमला में एनपीएस कर्मचारी लंबे अरसे से क्रमिक अनशन पर थे. मगर अब चुनावों का ऐलान होने के बाद कर्मचारियों ने अपना अपना आंदोलन खत्म कर दिया है. (new pension scheme employees protest in shimla)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

प्रियंका गांधी ने की एनपीएस कर्मचारियों से की मुलाकात: 14 अक्टूबर को सोलन में कांग्रेस की परविर्तन प्रतिज्ञा रैली में शामिल होने से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ओपीएस की मांग को लेकर धरने पर बैठे एनपीएस कर्मचारियों से मुलाकात की. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. इस दौरान प्रियंका गांधी ने एनपीएस कर्मचारियों को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही ओपीएस बहाल करने का आश्वासन दिया. (Priyanka Gandhi Meet NPS Employees in Solan)

'कांग्रेस सरकार ने गलती की थी तो जयराम सरकार इसे सुधारती': कर्मचारियों की पेंशन को बहाल करने के लिए गठित पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा हिमाचल के महामंत्री एलडी चौहान का कहना है कि पेंशन बहाली को लेकर 2015 में कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया था. इसके बाद डीसीआरजी (डेथ कम रिटायरेंट ग्रेच्युटी) बहाल की. इसके बाद सरकार पर दवाब बनाया गया और सरकार ने अपंगता और मृत्यु होने की स्थिति में कर्मचारियों के लिए पेंशन की सुविधा भी. मगर ओपीसी बहाल करने की मांग आज तक पूरी नहीं की गई. (OPS implemented in Congress government)

हिमाचल की राजनीति में सरकारी कर्मचारियों का बड़ा रोल: एलडी चौहान कहते हैं कि यह बड़े दुख का विषय है कि कर्मचारियों के कई संगठनों ने ओपीएस बहाली को लेकर आंदोलन किए, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष भी यह मांग उठाई, लेकिन उनकी यह सबसे बड़ी मांग पूरी नहीं हुई. इससे हिमाचल के कर्मचारियों में बड़ी मायूसी है. उन्होंने कहा कि अगर 2003 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पेंशन खत्म करने का गलत फैसला लिया था तो मौजूदा जयराम सरकार को इस गलती को सुधारना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया. अब आचार संहिता लग गई है, जिससे यह मामला लटक गया है. उनका कहना है कि हिमाचल की राजनीति में कर्मचारियों का बड़ा रोल रहता है. कर्मचारियों ने ओपीएस को लेकर मुहिम चलाई है और यह मुद्दा विधानसभा चुनावों में अहम रहेगा. (Government Employees in Himachal)

ये भी पढ़ें: हिमाचल के सियासी दंगल में प्रियंका का वार और अमित शाह का पलटवार

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा चुनाव में मुद्दों की भरमार, जो बिगाड़ सकते हैं सियासी दलों का समीकरण

शिमला: हिमाचल में चुनावी बिगुल (Himcahal Assembly Elections 2022) बज चुका है. चुनावों में अबकी बार विकास, गर्वनेंस जैसे मुद्दे तो हैं ही, लेकिन ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा इस बार विधानसभा चुनाव में उभरकर सामने आया है. हिमाचल में ओपीएस का मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बकायदा ऐलान कर दिया है सरकार बनते ही सबसे पहले वे सूबे में ओपीएस लागू करेंगे. हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन भी कर चुके हैं. अब आचार संहिता लगने के साथ ही एनपीएस संघ ने क्रमिक अनशन खत्म करके डोर-टू-डोर वोट फॉर ओपीएस अभियान की शुरुआत कर दी है. यानी एक तरह से देखा जाए तो पुरानी पेंशन योजना भाजपा की गले की फांस बनती जा रही है. और इसका फायदा आने वाले चुनाव में कांग्रेस उठा सकती है. आइए जानते हैं आखिर प्रदेश में ओपीएस इतना बड़ा मुद्दा क्यों है, जिसे कांग्रेस ने अपनी गारंटी में शामिल किया है. (Vote for OPS in Himachal)

वीडियो.

क्या है ओपीएस: एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. वहीं, NPS में उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए है. कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. बता दें कि, पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है. ओपीएस खत्म करने के बाद 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारी अब एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आ गए हैं. अन्य राज्यों की तरह हिमाचल ने भी इस योजना को लागू किया है. मगर लागू करने के करीब 18 साल बाद यह मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए इसको नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है. (issue in himachal assembly elections)

हिमाचल चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम सबसे बड़ा मुद्दा: ओपीएस का मुद्दा, मौजूदा वक्त में हिमाचल में सबसे ज्वलंत मुद्दा है. वैसे तो देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने झंडा बुलंद किया है, लेकिन हिमाचल में चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे की गूंज ज्यादा सुनाई दे रही है. सरकारी कर्मचारी कई प्रदर्शन कर चुके हैं और मौजूदा वक्त में भी चल रहे हैं. कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लिया है और सरकार बनने पर ओपीएस लागू करने का ऐलान किया है. कांग्रेस छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ओपीएस लागू करने का हवाला दे रही है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे को एक तरह से दरकिनार कर दिया है. हिमाचल में 2,40,640 सरकारी कर्मचारी और 1,90,000 पेंशनर्स हैं. इस लिहाज से ये एक बड़ा वोट बैंक है. (OPS Demand in Himachal Pradesh)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

हिमाचल के कर्मचारी ओल्ड पेंशन की मांग कर रहे हैं और इसके लिए वे सड़कों पर भी उतरे हैं. मौजूदा जयराम सरकार ओपीएस के मसले को हल नहीं कर पाई. विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस मुद्दे को हवा दे रही है और वह ओपीएस के सहारे सता में आने का सपना देख रही है. यही वजह है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं. (NPS employees in himachal)

पुरानी पेंशन कांग्रेस का सहरा या BJP की टेंशन: हिमाचल में ओपीएस एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. राजनीतिक पार्टियां इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. कांग्रेस ने चुनावों को देखते ऐलान किया है कि सता में आने पर वह पुरानी पेंशन कर्मचारियों के लिए बहाल करेगी. कांग्रेस ने अपनी दस गारंटियों में से एक गारंटी पुरानी पेंशन बहाली की दी है. कांग्रेस पुरानी पेंशन बहाल करने का कर्मचारियों को भरोसा दे रही है. कांग्रेस नेताओं की मानें तो उनकी पार्टी ने राजस्थान और छतीसगढ़ में ओपीएस बहाल कर दी है और अब बारी हिमाचल की है. कांग्रेस की सरकार बनते ही इसे भी बहाल कर दिया जाएगा. झारखंड भी पुरानी पेंशन को बहाल कर चुका है. (OPS issue important in Himachal elections)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

भाजपा की जयराम सरकार ओपीएस बहाल नहीं कर पाई, लेकिन ओपीएस खत्म करने के लिए वह तत्कालीन वीरभद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कहते हैं कि जिस कांग्रेस की सरकार ने तब ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म किया था, वो आज कर पुरानी पेंशन बहाल कर कर्मचारी हितैषी बनने का दावा कर रही है, उनका कहना है कि हिमाचल के कर्मचारी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं. वे किसी के बहकावे में आने वाले नहीं हैं.

ओपीएस को लेकर कर्मचारी कर चुके हैं बड़ा आंदोलन: हिमाचल में कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं. कर्मचारियों ने इस साल 23 फरवरी को 9 दिन की पदयात्रा मंडी से शिमला के लिए शुरू की थी. इसके बाद कर्मचारियों ने 3 मार्च को विधानसभा का बड़ा घेराव भी किया था. इसके बाद भी कर्मचारियों ने विभिन्न जिलों में धरने प्रदर्शन जारी रखे. शिमला में एनपीएस कर्मचारी लंबे अरसे से क्रमिक अनशन पर थे. मगर अब चुनावों का ऐलान होने के बाद कर्मचारियों ने अपना अपना आंदोलन खत्म कर दिया है. (new pension scheme employees protest in shimla)

NPS union demands OPS in Himachal
हिमाचल में ओपीएस सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा

प्रियंका गांधी ने की एनपीएस कर्मचारियों से की मुलाकात: 14 अक्टूबर को सोलन में कांग्रेस की परविर्तन प्रतिज्ञा रैली में शामिल होने से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ओपीएस की मांग को लेकर धरने पर बैठे एनपीएस कर्मचारियों से मुलाकात की. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. इस दौरान प्रियंका गांधी ने एनपीएस कर्मचारियों को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही ओपीएस बहाल करने का आश्वासन दिया. (Priyanka Gandhi Meet NPS Employees in Solan)

'कांग्रेस सरकार ने गलती की थी तो जयराम सरकार इसे सुधारती': कर्मचारियों की पेंशन को बहाल करने के लिए गठित पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा हिमाचल के महामंत्री एलडी चौहान का कहना है कि पेंशन बहाली को लेकर 2015 में कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया था. इसके बाद डीसीआरजी (डेथ कम रिटायरेंट ग्रेच्युटी) बहाल की. इसके बाद सरकार पर दवाब बनाया गया और सरकार ने अपंगता और मृत्यु होने की स्थिति में कर्मचारियों के लिए पेंशन की सुविधा भी. मगर ओपीसी बहाल करने की मांग आज तक पूरी नहीं की गई. (OPS implemented in Congress government)

हिमाचल की राजनीति में सरकारी कर्मचारियों का बड़ा रोल: एलडी चौहान कहते हैं कि यह बड़े दुख का विषय है कि कर्मचारियों के कई संगठनों ने ओपीएस बहाली को लेकर आंदोलन किए, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष भी यह मांग उठाई, लेकिन उनकी यह सबसे बड़ी मांग पूरी नहीं हुई. इससे हिमाचल के कर्मचारियों में बड़ी मायूसी है. उन्होंने कहा कि अगर 2003 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पेंशन खत्म करने का गलत फैसला लिया था तो मौजूदा जयराम सरकार को इस गलती को सुधारना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया. अब आचार संहिता लग गई है, जिससे यह मामला लटक गया है. उनका कहना है कि हिमाचल की राजनीति में कर्मचारियों का बड़ा रोल रहता है. कर्मचारियों ने ओपीएस को लेकर मुहिम चलाई है और यह मुद्दा विधानसभा चुनावों में अहम रहेगा. (Government Employees in Himachal)

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