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किसानों को एक इंच भी जमीन का नुकसान हुआ तो छोड़ देंगे राजनीति : कृषि राज्यमंत्री

दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन के बीच खुद पीएम मोदी भी किसानों को वार्ता जारी रखने के संकेत दे चुके हैं. उन्होंने कहा है कि किसानों और सरकार के बीच वार्ता आगे बढ़ाने में बस एक फोन कॉल की दूरी है. इसी बीच कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि अगर इस कानून की वजह से किसानों को एक इंच जमीन का भी नुकसान होता है तो वह अपना मंत्रीपद के साथ राजनीति भी छोड़ देंगे.

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी
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Published : Feb 4, 2021, 11:55 AM IST

Updated : Feb 4, 2021, 2:00 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों में आक्रोश है. हालांकि, आपत्तियों के निराकरण के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. ताजा घटनाक्रम में कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन के समाधान के लिए वार्ता का रास्ता ही एक जरिया हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार गतिरोध दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है. चौधरी ने कहा कि सरकार संसद के अंदर भी चर्चा को तैयार है, और किसान संगठनों से भी वार्ता करने को तैयार है. मंत्री ने कहा कि कानून किसानों के पक्ष में है लेकिन विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है.

बता दें कि किसान आंदोलन में शामिल 41 यूनियनों और केंद्र के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को बेनतीजा रही थी. केंद्र ने यूनियनों से कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है.

इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है .उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आसपास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने की बात को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया.

पढ़ें : नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की गोलीबारी में सेना का जवान शहीद

क्या सरकार, किसान यूनियनों के साथ अनौपचारिक तौर पर बातचीत कर रही है? इस प्रश्न पर तोमर ने कहा, 'नहीं. जब औपचारिक वार्ता होगी, तब हम अवगत कराएंगे.' उनसे यह भी पूछा गया था कि सरकार अगले दौर की वार्ता कब करेगी.

सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं
यह पूछे जाने पर कि प्रदर्शनकारी यूनियनों ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा 'परेशान' करना बंद करने और हिरासत में लिए गए किसानों को रिहा किए जाने तक सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं होगी, केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'उन्हें पुलिस आयुक्त से बात करनी चाहिए. मैं कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. यह मेरा काम नहीं है.'

सरकार का प्रस्ताव अब भी कायम, वार्ता के द्वार खुले हैं
गौरतलब है कि किसान नेताओं और केंद्र के बीच 22 जनवरी के बाद से वार्ता नहीं हुई है. वहीं, सरकार ने दोहराया है कि उसका प्रस्ताव अब भी कायम है और वार्ता के द्वार खुले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को कहा कि जब तक किसानों को पुलिस और प्रशासन द्वारा 'परेशान करना' बंद नहीं किया जाता है, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक वार्ता नहीं होगी. एसकेएम ने यह भी कहा था कि वार्ता के लिए उसे कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है.

तत्काल रिहाई के बाद ही कोई वार्ता
एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'यद्यपि सरकार की ओर से वार्ता का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से बताना चाहते हैं कि अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखे गये किसानों को बिना किसी शर्त के तत्काल रिहाई के बाद ही कोई वार्ता हो सकती है.'

वार्ता के संबंध में पीएम मोदी का बयान
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव 'अब भी बरकरार' है तथा बातचीत को आगे बढ़ाने में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.

आंशिक रूप से बाधित हुआ रास्ता
प्रदर्शनकारियों का आवागमन रोकने के लिए पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर मुख्य राजमार्ग के किनारे सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगा दी हैं. दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग के एक अन्य हिस्से पर सीमेंट की अस्थायी दीवार बनाने से वह हिस्सा भी आंशिक रूप से बाधित हो गया है. दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी है, जहां किसान दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों में आक्रोश है. हालांकि, आपत्तियों के निराकरण के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. ताजा घटनाक्रम में कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन के समाधान के लिए वार्ता का रास्ता ही एक जरिया हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार गतिरोध दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है. चौधरी ने कहा कि सरकार संसद के अंदर भी चर्चा को तैयार है, और किसान संगठनों से भी वार्ता करने को तैयार है. मंत्री ने कहा कि कानून किसानों के पक्ष में है लेकिन विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है.

बता दें कि किसान आंदोलन में शामिल 41 यूनियनों और केंद्र के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को बेनतीजा रही थी. केंद्र ने यूनियनों से कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है.

इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है .उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आसपास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने की बात को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया.

पढ़ें : नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की गोलीबारी में सेना का जवान शहीद

क्या सरकार, किसान यूनियनों के साथ अनौपचारिक तौर पर बातचीत कर रही है? इस प्रश्न पर तोमर ने कहा, 'नहीं. जब औपचारिक वार्ता होगी, तब हम अवगत कराएंगे.' उनसे यह भी पूछा गया था कि सरकार अगले दौर की वार्ता कब करेगी.

सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं
यह पूछे जाने पर कि प्रदर्शनकारी यूनियनों ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा 'परेशान' करना बंद करने और हिरासत में लिए गए किसानों को रिहा किए जाने तक सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं होगी, केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'उन्हें पुलिस आयुक्त से बात करनी चाहिए. मैं कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. यह मेरा काम नहीं है.'

सरकार का प्रस्ताव अब भी कायम, वार्ता के द्वार खुले हैं
गौरतलब है कि किसान नेताओं और केंद्र के बीच 22 जनवरी के बाद से वार्ता नहीं हुई है. वहीं, सरकार ने दोहराया है कि उसका प्रस्ताव अब भी कायम है और वार्ता के द्वार खुले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को कहा कि जब तक किसानों को पुलिस और प्रशासन द्वारा 'परेशान करना' बंद नहीं किया जाता है, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक वार्ता नहीं होगी. एसकेएम ने यह भी कहा था कि वार्ता के लिए उसे कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है.

तत्काल रिहाई के बाद ही कोई वार्ता
एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'यद्यपि सरकार की ओर से वार्ता का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से बताना चाहते हैं कि अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखे गये किसानों को बिना किसी शर्त के तत्काल रिहाई के बाद ही कोई वार्ता हो सकती है.'

वार्ता के संबंध में पीएम मोदी का बयान
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव 'अब भी बरकरार' है तथा बातचीत को आगे बढ़ाने में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.

आंशिक रूप से बाधित हुआ रास्ता
प्रदर्शनकारियों का आवागमन रोकने के लिए पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर मुख्य राजमार्ग के किनारे सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगा दी हैं. दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग के एक अन्य हिस्से पर सीमेंट की अस्थायी दीवार बनाने से वह हिस्सा भी आंशिक रूप से बाधित हो गया है. दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी है, जहां किसान दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Feb 4, 2021, 2:00 PM IST
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