चेन्नई : आईआईटी मद्रास (IIT Madras) की एक शोधार्थी के यौन उत्पीड़न के आरोप में पुलिस ने एक व्यक्ति को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आरोपी किंग्शुक देबशर्मा को रविवार रात पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर पुलिस थाने में हिरासत में लिया गया और उसे पूछताछ के लिए चेन्नई लाया जाएगा.
देबशर्मा के खिलाफ उनकी साथी शोधार्थी ने कई बार यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. वह जून 2021 में मायलापुर 'ऑल वुमन पुलिस थाने' द्वारा दर्ज किए मामले के आठ आरोपियों में से एक है. पीड़िता ने बाद में एक नयी शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की. पीड़िता अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है.
मामले में तेजी तब आई जब अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआईडीडब्ल्यूए) ने पीड़िता के मामले को अपने हाथ में लिया और उसे न्याय दिलाने और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की. एआईडीडब्ल्यूए की तमिलनाडु इकाई की महासचिव पी सुगंती ने मांग की कि मामले को जांच और उचित कार्रवाई के लिए सीआईडी की अपराध शाखा को सौंपा जाए. बता दें कि आईआईटी मद्रास में एक शोधार्थी ने अपने साथी पर करीब चार वर्ष तक बार-बार उसका यौन शोषण करने और कार्य स्थल पर उसका उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. उसका आरोप है कि इन साथियों में उसके दो प्रोफेसर भी शामिल हैं. उसने 2016 में संस्थान में दाखिला लिया था.
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पीड़िता ने दावा किया कि संस्थान के पुरुषों के एक समूह ने और कुर्ग की यात्रा के दौरान भी उसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया. इसके अलावा शोधार्थी को उसके शोध पर काम करने के लिए प्रयोगशाला के उपकरण का इस्तेमाल करने से भी रोका गया. शुरुआत में शोधार्थी चुप रही लेकिन बाद में वह इस सदमे से बाहर आयी और यौन शोषण के खिलाफ आंतरिक शिकायत समिति (सीसीएएसएच) को शिकायत करने का साहस जुटाया, जिसने अपनी अंतरिम सिफारिश में मुख्य आरोपी समेत तीन साथी शोधार्थियों को तब तक परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया, जब तक कि वह अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर लेती. समिति ने शोधार्थी के शोध पत्र जमा करने तक जांच स्थगित करते हुए कहा, 'आगे गाइड्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिवादी तब तक अपना शोध पत्र जमा न कराए जब तक कि शोधार्थी (पीड़ित) अपना शोध पत्र जमा नहीं करा देती.'
इस बीच, आईआईटी मद्रास ने एक बयान में कहा कि उसने यौन शोषण की शिकायत करने वाली छात्रा के मामले की जांच के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया. छात्रा के अनुसार, ये घटनाएं 2018 और 2019 में हुई और अगस्त 2020 में वह इसे संस्थान के संज्ञान में लेकर आयी. उसने कहा, 'संस्थान ने तुरंत मामले को जांच के लिए सीसीएएसएच के पास भेज दिया. हम जांच प्राधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं. संस्थान ने उसकी शोध की अवधि खत्म होने के बाद भी बाहरी जांच के दौरान उसे पूरा सहयोग दिया है.'