नई दिल्ली: भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 2 वर्ष पूरे होने पर 29 जुलाई को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में शिक्षा और कौशल विकास से संबंधित कई नई पहलों का शुभारंभ करेंगे. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक शुरू की जाने वाली पहलों में डिजिटल शिक्षा, नवाचार, शिक्षा एवं कौशल विकास में सामंजस्य, शिक्षक प्रशिक्षण और आकलन जैसे क्षेत्रों सहित शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्षेत्रों के पूरे दायरे को शामिल किया जाएगा.
विभिन्न पहलों के शुभारंभ के अलावा इस आयोजन के दौरान विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जाएगी. इस दौरान विचार-विमर्श राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के विभिन्न चरणों पर भी केंद्रित होगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने से पहले स्कूलों में 10 प्लस 2 पैटर्न था. अब नई शिक्षा नीति में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के पैटर्न को लागू किया जा रहा है.
इसके तहत 12वीं तक की स्कूली शिक्षा में प्री स्कूली शिक्षा को भी शामिल किया गया है. इसका अर्थ है कि स्कूली शिक्षा को 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बीच विभाजित किया गया है. इसमें प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा. तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा. छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा है.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फाउंडेशन स्टेज में 3 से 8 साल के बच्चे शामिल हैं. इस स्टेज में 3 साल की अपनी स्कूली शिक्षा तथा 2 साल प्री स्कूली शिक्षा जिसमें कक्षा 1 तथा दो शामिल है. फाउंडेशन स्टेज में छात्रों को भाषा कौशल और शिक्षण के विकास के बारे में सिखाया जाएगा और इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. वहीं, यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में भी बड़े बदलाव किए गए हैं.
इन बदलावों के अंतर्गत इसी वर्ष से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले हेतु कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट लागू किए गए हैं. 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को भी विश्वविद्यालयों में लागू किया जा रहा है. नए क्रेडिट स्कोर सिस्टम को लागू किया जा चुका है. यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि यूजीसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ गठजोड़ किया है.
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से सुदूर क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बनाने के लिए 'सामान्य सेवा केंद्रों' (सीएससी) और 'विशेष प्रयोजन वाहन' (एसपीवी) केंद्रों का सहयोग लिया जाएगा. ग्राम पंचायतों और देश के कोने-कोने में 5 लाख से अधिक सीएससी व एसपीवी केंद्र कार्यरत हैं. यूजीसी क्षेत्रीय भाषाओं में इस नेटवर्क के माध्यम से साथ संचार प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रम प्रदान करेगा.
(आईएएनएस)