हैदराबाद : दक्षिण कोरिया के रिसर्चर्स की टीम ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वैरिएंट की पुष्टि 20 से 30 मिनट के भीतर हो जाएगी. पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलजी (Postech) ने बताया है कि प्रोफेसर ली जंग-वूक के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने इस तकनीक को ईजाद किया है. जल्द ही इसके नतीजे ऑनलाइन प्रकाशित किए जाएंगे. टीम का दावा है कि जांच की यह तकनीक ओमीक्रोन के वैरिएंट का पता लगा सकती है, जिसकी पुष्टि कई आरटीपीसीआर टेस्ट में भी मुश्किल है.
अभी ओमीक्रोन वैरिएंट की जांच के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग, टारगेट डीएनए विश्लेषण और आरटीपीसीआर का इस्तेमाल हो रहा है. कोरियन रिसर्चर्स ने ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान के लिए मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी विकसित की है.
प्रोफेसर ली के अनुसार, पीसीआर टेस्ट के दौरान ओमीक्रोन के एन जीन का पता चलता है लेकिन एस जीन के लिए यह कमजोर है. मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी सिंगल-न्यूक्लियोटाइड आधार पर म्यूटेशन को अलग कर सकती है, इसलिए यह 'स्टील्थ ऑमीक्रोन ' का पता लगा सकती है. नई तकनीक 30 मिनट में 125 से अधिक सैंपल की जांच की जा सकती है.
प्रोफेसर ली ने कहा कि इस तकनीक के हमें जल्द से जल्द सामान्य दैनिक जीवन में लौटने में मदद मिलेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी के कारण भविष्य में भी कोरोना वैरिएंट की जांच में मदद मिलेगी.
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