केंद्रपड़ा : ओडिशा के भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में कछुओं की गणना में नया रिकॉर्ड बना है. नासी-एक और नासी-दो द्वीपों पर लगभग 2,45,188 ओलिव रिडले समुद्री कछुए गिने गए हैं. ये कछुए सामूहिक घोंसले लगाने के लिए रिकॉर्ड संख्या में तट पर आए. भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के संभागीय वन अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त पति ने कहा, लगभग 2,45,188 ओलिव रिडले समुद्री कछुए रिकॉर्ड संख्या में तट पर आए. पिछले साल नौ मार्च से 23 मार्च तक 3,49,694 मादा कछुए अंडे देने के लिए तट पर आए थे. वन विभाग के अनुसार, गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में स्पॉनिंग डे (spawning day at the Gahirmatha Marine Sanctuary) मार्च के पहले सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद है.
कवच के रंग के आधार पर इन कछुओं का यह नाम पड़ा है. अधिकारियों ने बताया कि तट पर कछुओं का जमावड़ा अपने आप में एक दुर्लभ और प्राकृतिक घटनाक्रम है, जिसका नजारा स्तब्ध करता है. गहिरमाथा समुद्र तट को इन कछुओं का दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात घोंसला माना जाता है. उन्होंने कहा कि गहिरमाथा के अलावा कछुए सामूहिक घोंसले के लिए रुशिकुल्या और देवी नदी के मुहाने पर भी आते हैं. राजनगर मैंग्रोव (वन्यजीव) संभागीय वन अधिकारी यज्ञदत्त पति ने कहा कि शुक्रवार, 25 मार्च को करीब 2.45 लाख मादा कछुए रेंगकर समुद्र किनारे गड्ढे खोदने के लिए आये. वन अधिकारी ने कहा कि समुद्र तट पर घोंसला बनाने के लिए आये कछुओं की एक दिन में यह संभवत: सबसे बड़ी संख्या है.
एक हजार में एक बच्चा होता है वयस्क : इससे पहले इस बात की आशंका थी कि ओलिव रिडले कछुए अपनी वार्षिक यात्रा त्याग सकते हैं, क्योंकि इस बार घोंसले बनाने में लगभग एक पखवाड़े की देरी हुई है. मादाएं अंडे देने के लिए आमतौर पर रात में समुद्र तट पर बने घोंसले में आती हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि एक मादा कछुआ आमतौर पर लगभग 120-150 अंडे देती है और फिर समुद्र में लौट जाती है. इस अंडे से 45-60 दिनों के बाद बच्चा निकलता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार समुद्र में प्रवेश करने वाले कछुओं के 1,000 बच्चों में से केवल एक ही वयस्क होने की उम्र तक पहुंच पाता है.
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24 घंटे होगी अंडों की निगरानी
अधिकारियों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के अलावा अंडे का अवैध शिकार, कछुओं को पकड़ना और इंसान द्वारा घोंसले को नष्ट करने समेत कई खतरों से कछुओं को जूझना पड़ता है. उन्होंने कहा कि घोंसलों की सुरक्षा को वन विभाग प्राथमिकता दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि वन्यजीव कर्मचारी 24 घंटे निगरानी करते हैं, ताकि सियार, लकड़बग्घा और जंगली कुत्तों जैसे शिकारियों को अंडों से दूर रखा जा सके.