गांधीनगर: गुजरात में राजस्व अधिकारियों ने कोरोना महामारी के दौरान पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय सहायता योजना में लाखों रुपये के कथित घोटाले को उजागर किया है. सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक, राजस्व अधिकारियों की जांच में यह पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान मरने वाले कम से कम 30 लोगों के परिवार फर्जी प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कामयाब रहे, जिसमें गलत तरीके से मौत का कारण कोरोना वायरस बताया गया. जिससे वे राज्य में तत्कालीन सरकार की ओर से घोषित वित्तीय सहायता के पात्र बन गए.
याद दिला दें कि तत्कालीन सरकार ने कोरोना से मरने वालों के प्रत्येक परिवार को 50,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की थी. सूत्रों ने कहा कि गांधीनगर जिले के दहेगाम इलाके में कम से कम 30 परिवार फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कामयाब रहे. बताया जा रहा है कि देहगाम के नायब मामलातदार कौशल चौधरी ने इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज कराई है कि मामलातदार कार्यालय ने मृतकों के परिवारों को 50,000 रुपये की मंजूरी दी है.
इसी तरह की शिकायत जनवरी-फरवरी में तालोद पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी. शिकायतों के बाद, पुलिस ने कथित घोटाले की जांच शुरू की. देहगाम पुलिस स्टेशन के पीआई भरत गोयल ने कहा कि पुलिस जांच से पता चला है कि 30 मृतकों के रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार की जांच के दौरान अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग करके सहायता प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की.
ये भी पढ़ें |
बताया जाता है कि ये प्रमाणपत्र कथित तौर पर सनोदा पीएचसी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंकित शाह के कार्यालय से जारी किए गए थे. दहेगाम मामलातदार कार्यालय में क्रॉस वेरिफिकेशन से पता चला कि ये सभी दस्तावेज झूठे हैं. मामले की आगे की जांच जारी है.