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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन पर विवाद, केंद्र को नोटिस - अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन पर विवाद शुरू हो गया है. निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप नहीं बना है. इसमें जो लोग चुन-चुन कर रखे हैं, उनकी हैसियत का कोई प्रमाण नहीं है.

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Published : Nov 12, 2020, 9:46 PM IST

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए गठित 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन को लेकर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्रस्ट के गठन में हुई अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है. साथ ही दो महीने में जवाब देने का समय दिया है.

ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत
महंत धर्मदास ने कहा कि जब सारी संपत्ति भगवान की है तो भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया. पूर्व में आए दान और चढ़ावे को क्यों नवगठित ट्रस्ट में प्रदर्शित नहीं किया गया. उनका यह भी आरोप है कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से किसी को ट्रस्ट में जगह क्यों नहीं दी गई. यही नहीं उन्होंने सवाल उठाया कि ट्रस्ट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, वह ट्रस्ट का व्यवसाय और व्यापार कर रहे हैं. ऐसे लोगों को ट्रस्ट में कैसे शामिल किया गया. लिहाजा यह ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें-अयोध्या में दीपोत्सव शुरू होने में कुछ घंटे शेष, दुल्हन की तरह सजी रामनगरी

इससे साफ जाहिर है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट और उसमें चयनित व्यक्तियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. लिहाजा अब महंत धर्मदास ने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को कानूनी नोटिस भेजकर राम मंदिर विवाद का नया अध्याय खोल दिया है.

विवादित ढांचे में मूर्ति रखने के लिए बनाया गया था आरोपी
महंत धर्मदास के गुरु अभिराम दास के समय ही रामलला का प्रकटीकरण हुआ था और इसके बाद उन्हें विवादित ढांचे में मूर्ति रखने के लिए आरोपी बनाया गया था, लेकिन प्रकट हुए रामलला की पूजा-अर्चना उसी समय से निरंतर चल रही है.

वैष्णव संप्रदाय से किसी को ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया
महंत धर्मदास ने कहा कि केंद्र सरकार को नोटिस इसलिए दिया गया है, क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप नहीं बना है. इसमें जो लोग चुन-चुन कर रखे हैं, उनकी हैसियत का कोई प्रमाण नहीं है. वैष्णव संप्रदाय के किसी भी व्यक्ति को ट्रस्ट में नहीं लिया गया है. अयोध्या से किसी को नहीं लिया गया है. इस ट्रस्ट को केवल व्यवसाय का केंद्र बनाकर छोड़ दिया गया है.

अयोध्या में होना चाहिए था ट्रस्ट का निर्माण
महंत धर्मदास ने कहा कि एक रुपये देकर दिल्ली में ट्रस्ट बनाया गया, वह गलत है. ट्रस्ट का निर्माण अयोध्या में होना चाहिए था. सभी संपत्ति भगवान की है. मालिक भगवान हैं. इसलिए भगवान के निमित्त सब कुछ ट्रस्ट में होना चाहिए था. भगवान को रखकर ट्रस्ट बनाना पड़ता है, लेकिन ट्रस्ट में न भगवान हैं और न भगवान की संपत्ति का विवरण है. भगवान के ट्रस्ट में जितना पैसा पहले से जमा था, उसका भी खुलासा नहीं किया गया है कि कितना पैसा पहले से जमा है और बाद में कितना पैसा मिलाया जा रहा है. भगवान का जो 8 से 10 करोड़ रुपये पहले से था, उसको भी नहीं दिखाया गया है.

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए गठित 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन को लेकर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्रस्ट के गठन में हुई अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है. साथ ही दो महीने में जवाब देने का समय दिया है.

ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत
महंत धर्मदास ने कहा कि जब सारी संपत्ति भगवान की है तो भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया. पूर्व में आए दान और चढ़ावे को क्यों नवगठित ट्रस्ट में प्रदर्शित नहीं किया गया. उनका यह भी आरोप है कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से किसी को ट्रस्ट में जगह क्यों नहीं दी गई. यही नहीं उन्होंने सवाल उठाया कि ट्रस्ट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, वह ट्रस्ट का व्यवसाय और व्यापार कर रहे हैं. ऐसे लोगों को ट्रस्ट में कैसे शामिल किया गया. लिहाजा यह ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें-अयोध्या में दीपोत्सव शुरू होने में कुछ घंटे शेष, दुल्हन की तरह सजी रामनगरी

इससे साफ जाहिर है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट और उसमें चयनित व्यक्तियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. लिहाजा अब महंत धर्मदास ने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को कानूनी नोटिस भेजकर राम मंदिर विवाद का नया अध्याय खोल दिया है.

विवादित ढांचे में मूर्ति रखने के लिए बनाया गया था आरोपी
महंत धर्मदास के गुरु अभिराम दास के समय ही रामलला का प्रकटीकरण हुआ था और इसके बाद उन्हें विवादित ढांचे में मूर्ति रखने के लिए आरोपी बनाया गया था, लेकिन प्रकट हुए रामलला की पूजा-अर्चना उसी समय से निरंतर चल रही है.

वैष्णव संप्रदाय से किसी को ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया
महंत धर्मदास ने कहा कि केंद्र सरकार को नोटिस इसलिए दिया गया है, क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप नहीं बना है. इसमें जो लोग चुन-चुन कर रखे हैं, उनकी हैसियत का कोई प्रमाण नहीं है. वैष्णव संप्रदाय के किसी भी व्यक्ति को ट्रस्ट में नहीं लिया गया है. अयोध्या से किसी को नहीं लिया गया है. इस ट्रस्ट को केवल व्यवसाय का केंद्र बनाकर छोड़ दिया गया है.

अयोध्या में होना चाहिए था ट्रस्ट का निर्माण
महंत धर्मदास ने कहा कि एक रुपये देकर दिल्ली में ट्रस्ट बनाया गया, वह गलत है. ट्रस्ट का निर्माण अयोध्या में होना चाहिए था. सभी संपत्ति भगवान की है. मालिक भगवान हैं. इसलिए भगवान के निमित्त सब कुछ ट्रस्ट में होना चाहिए था. भगवान को रखकर ट्रस्ट बनाना पड़ता है, लेकिन ट्रस्ट में न भगवान हैं और न भगवान की संपत्ति का विवरण है. भगवान के ट्रस्ट में जितना पैसा पहले से जमा था, उसका भी खुलासा नहीं किया गया है कि कितना पैसा पहले से जमा है और बाद में कितना पैसा मिलाया जा रहा है. भगवान का जो 8 से 10 करोड़ रुपये पहले से था, उसको भी नहीं दिखाया गया है.

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