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उत्तराखंड के इस गांव में ग्रामीणों के अनुशासन के कारण कोरोना भी फेल!

नैनीताल जिले के सतोली (satoli) गांव में अभीतक कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिला है. ये गांव कोरोना से पूरी तरह मुक्त है. कुल मिलाकर उत्तराखंड के इस गांव में ग्रामीणों के अनुशासन के कारण कोरोना भी फेल है.

उत्तराखंड के इस गांव में ग्रामीणों के अनुशासन के कारण कोरोना भी फेल!
उत्तराखंड के इस गांव में ग्रामीणों के अनुशासन के कारण कोरोना भी फेल!
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Published : Jun 4, 2021, 3:50 AM IST

नैनीताल: कोरोना की दूसरी लहर ने गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. शहरों के बाद जहां कोरोना अब ग्रामीण इलाकों में भी पैर पसारता जा रहा है वहीं, नैनीताल जिले में एक गांव ऐसा है, जहां ग्रामीणों की जागरूकता, जिम्मेदारी और अनुशासन ने कोरोना की एंट्री नहीं होने दी है. हम बात कर रहे हैं मुक्तेश्वर के सतोली गांव (satoli village) की.

कोरोना की दूसरी लहर का असर इस बार शहरों के साथ गांवों में देखने को मिला है. गांवों में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं. लेकिन मुक्तेश्वर के सतोली गांव में ऐसा नहीं हुआ. सतोली गांव से कोरोना कोसों दूर है. इसका श्रेय जाता है, ग्राम प्रधान पुष्पा नयाल को. ग्राम प्रधान पुष्पा नयाल और ग्रामीणों ने कोरोना को मात देने के लिए अपनी एसओपी (मानच संचालन प्रक्रिया) तैयार की थी.

नैनीताल का सतोली गांव

निगेटिव रिपोर्ट के बिना गांव में एंट्री नहीं

ग्रामीणों की तरफ से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के बिना गांव के अंदर नहीं आने दिया जाएगा. अगर कोई व्यक्ति दूरदराज के क्षेत्रों या राज्यों से गांव में आता है, तो उसके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गांव के बाहर क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है.

गांव से बाहर जाने पर रोक

इतना ही नहीं गांव से बाहर जाने पर भी रोक लगाई है. अगर किसी को दवाई, राशन या अन्य सामान की आवश्यकता होती है तो उसको होम डिलीवरी की सुविधा दी गई है. ताकि गांव महामारी से बच सके.

पढ़ें- भारत समेत एशियाई देशों को 70 लाख वैक्सीन देगा अमेरिका

ग्राम प्रधान खुद लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रख रही हैं. अगर किसी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, तो उसको 108 या अन्य माध्यम से अस्पताल भेज कर उपचार भी करवाया जा रहा है.

नैनीताल: कोरोना की दूसरी लहर ने गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. शहरों के बाद जहां कोरोना अब ग्रामीण इलाकों में भी पैर पसारता जा रहा है वहीं, नैनीताल जिले में एक गांव ऐसा है, जहां ग्रामीणों की जागरूकता, जिम्मेदारी और अनुशासन ने कोरोना की एंट्री नहीं होने दी है. हम बात कर रहे हैं मुक्तेश्वर के सतोली गांव (satoli village) की.

कोरोना की दूसरी लहर का असर इस बार शहरों के साथ गांवों में देखने को मिला है. गांवों में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं. लेकिन मुक्तेश्वर के सतोली गांव में ऐसा नहीं हुआ. सतोली गांव से कोरोना कोसों दूर है. इसका श्रेय जाता है, ग्राम प्रधान पुष्पा नयाल को. ग्राम प्रधान पुष्पा नयाल और ग्रामीणों ने कोरोना को मात देने के लिए अपनी एसओपी (मानच संचालन प्रक्रिया) तैयार की थी.

नैनीताल का सतोली गांव

निगेटिव रिपोर्ट के बिना गांव में एंट्री नहीं

ग्रामीणों की तरफ से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के बिना गांव के अंदर नहीं आने दिया जाएगा. अगर कोई व्यक्ति दूरदराज के क्षेत्रों या राज्यों से गांव में आता है, तो उसके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गांव के बाहर क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है.

गांव से बाहर जाने पर रोक

इतना ही नहीं गांव से बाहर जाने पर भी रोक लगाई है. अगर किसी को दवाई, राशन या अन्य सामान की आवश्यकता होती है तो उसको होम डिलीवरी की सुविधा दी गई है. ताकि गांव महामारी से बच सके.

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ग्राम प्रधान खुद लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रख रही हैं. अगर किसी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, तो उसको 108 या अन्य माध्यम से अस्पताल भेज कर उपचार भी करवाया जा रहा है.

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