मुंबई : विशेष न्यायाधीश एचएस सतभाई ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि वह मंदाकिनी खडसे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर रहे हैं. न्यायाधीश सतभाई ने कहा कि विशेष अदालत ने पिछले महीने सम्मन जारी किए जाने के बाद भी पेश नहीं होने पर उनके आचरण एवं अवज्ञा पर ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है.
अदालत ने एकनाथ खडसे को भी 21 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया. उसने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र का संज्ञान लेने के बाद एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी एवं अन्य आरोपियों को तलब किया था.
अदालत ने मंगलवार को कहा कि सम्मन जारी किए जाने के बाद भी मंदाकिनी खडसे छह अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दिन पेश नहीं हुईं, जिसके बाद उन्हें छूट दी गई और और उन्हें मंगलवार को पेश होने को कहा गया.
अदालत ने कहा कि आरोपी क्रमांक तीन (मंदाकिनी खडसे) के आचरण का संज्ञान लिया गया. आज फिर वह गैर हाजिर हैं. उन्होंने जो चिकित्सा प्रमाणपत्र दिया गया है, उससे ज्वर, बदनदर्द और कमजोरी जैसे सामान्य रोग नजर आते हैं. चिकित्सा आधार अदालत में पेशी से छूट के लिए संतोषजनक नहीं है.
उसने कहा कि उनके आचरण एवं सम्मन के प्रति अवज्ञा को ध्यान में रखते हुए उन्हें पेशी के लिए समय देना सही नहीं है. वह जानबूझकर अदालत में पेश नहीं हो रही हैं. उनकी गैरहाजिरी मंशापूर्ण है. अदालत ने उनके विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की.
खडसे दंपत्ति के अलावा उनके दामाद गिरीश चौधरी भी इस मामले में नामजद आरोपी हैं. गिरीश को गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. ईडी ने आरोप लगाया है कि चौधरी एवं खडसे दंपत्ति ने पुणे के समीप भोसारी में 3.75 करोड़ रूपये की सरकारी जमीन खरीदी थी जबकि उसकी असल कीमत 31.01 करोड़ रूपये थी.
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अभियोजन का कहना है कि एकनाथ खडसे ने इस सौदे के लिए राजस्व मंत्री के तौर पर अपने पद का दुरूपयोग किया. खडसे ने इस विवाद के बाद जून 2016 में मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अक्टूबर 2020 में भाजपा छोड़ दी थी और वह राकांपा में चले गए थे.