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यासीन मलिक की पेशी पर SC ने जताई नाराजगी, कहा- व्यक्तिगत उपस्थिति जैसा कोई आदेश नहीं दिया

टेरर फंडिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक तिहाड़ जेल में बंद है. शुक्रवार को वह सुनवाई के दौरान कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से मौजूद था. इस पर जो जजों की बेंच ने चिंता जताई है. सुमित सक्सेना की रिपोर्ट.

Yasin Malik in court
यासीन मलिक की पेशी
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Published : Jul 21, 2023, 7:08 PM IST

Updated : Jul 21, 2023, 10:59 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच शुक्रवार को उस समय हैरान रह गई जब कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को अदालत कक्ष में अपने मामले पर बहस करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित देखा. यासीन मलिक आतंकी फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है.

बेंच ने कहा कि 'हमारी ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है कि वह (व्यक्तिगत रूप से) उपस्थित होंगे.' केंद्र ने कहा कि मलिक को अदालत में लाया गया और यह एक गंभीर सुरक्षा मुद्दा है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ मलिक को अदालत कक्ष में देखकर आश्चर्यचकित रह गई, जबकि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के संबंध में कोई आदेश नहीं था.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि भविष्य में उन्हें इस तरह जेल से बाहर न लाया जाए. मेहता ने कहा कि 'धारा 268 के आदेश के मद्देनजर, वह जेल से बाहर नहीं आ सकता... कोई भी पक्ष जो वकील के माध्यम से नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहता है उसे इजाजत लेनी जरूरी है. हमारा मानना ​​​​है कि ऐसी कोई अनुमति न तो मांगी गई है या दी गई है.'

जस्टिस कांत ने कहा कि 'हमारे द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं है कि वह (व्यक्तिगत रूप से) उपस्थित होंगे...' मेहता ने कहा कि 'यह हमारी ओर से एक गलती है, लेकिन चूंकि आप इस मामले को नहीं उठा रहे हैं तो मैं इस पर बात नहीं कर रहा हूं.'

न्यायमूर्ति दत्ता ने मामले की सुनवाई से किनारा कर लिया. मेहता ने जोर दिया कि 'उसे जेल से बाहर नहीं लाया जा सकता.' इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि 'हमने केवल अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के उन आदेशों पर रोक लगाने का स्थगन आदेश पारित किया था और कभी भी ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना चाहिए, और मुझे याद है, हमने मौखिक रूप से भी नहीं कहा.'

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा, 'इस अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या की गई है और यह एक बड़ा सुरक्षा जोखिम है, कुछ भी अप्रिय घटना हो सकती है...माय लॉर्ड देख लें कि उसे लाने की जरूरत नहीं है.'

सुनवाई समाप्त करते हुए न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि मामले को एक अलग पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सकता है, जहां न्यायमूर्ति दत्ता सदस्य नहीं हैं. मेहता ने कहा कि 'ये बड़ा सुरक्षा का मामला है...हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे बाहर न लाया जाए.'

न्यायमूर्ति कांत ने मौखिक रूप से कहा कि आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं. मेहता ने कहा कि हम इसे उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है.

जिस मामले में मलिक पेश हो रहे थे, वह जम्मू में विशेष अदालत के आदेशों की आलोचना करते हुए सीबीआई द्वारा दायर एक अपील है, जिसके तहत मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए नया प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया था.

1989 में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के संबंध में गवाहों से जिरह के लिए मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की गई थी.

शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल 2023 को नोटिस जारी कर कहा, 'तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जम्मू (टीएडीए/पोटा) की अदालत द्वारा पारित आदेश दिनांक 20092022 और 21092022 के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी.'

सॉलिसिटर मेहता ने गृह सचिव को लिखा पत्र: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि जेल अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा से समझौता किया गया, जो कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को अदालत परिसर में लाए थे और इसे 'गंभीर चूक' बताया.

मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि उनका दृढ़ विचार है कि यह एक गंभीर सुरक्षा चूक है. मेहता ने लिखा, 'यासीन मलिक जैसा आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध जानता है, भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था.' पत्र में मेहता ने मलिक की सुरक्षा के प्रभारी अधिकारी से उन्हें व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत में लाने के कारणों के बारे में सवाल किया.

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बेंच ने कहा कि 'हमारी ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है कि वह (व्यक्तिगत रूप से) उपस्थित होंगे.' केंद्र ने कहा कि मलिक को अदालत में लाया गया और यह एक गंभीर सुरक्षा मुद्दा है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ मलिक को अदालत कक्ष में देखकर आश्चर्यचकित रह गई, जबकि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के संबंध में कोई आदेश नहीं था.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे कि भविष्य में उन्हें इस तरह जेल से बाहर न लाया जाए. मेहता ने कहा कि 'धारा 268 के आदेश के मद्देनजर, वह जेल से बाहर नहीं आ सकता... कोई भी पक्ष जो वकील के माध्यम से नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहता है उसे इजाजत लेनी जरूरी है. हमारा मानना ​​​​है कि ऐसी कोई अनुमति न तो मांगी गई है या दी गई है.'

जस्टिस कांत ने कहा कि 'हमारे द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं है कि वह (व्यक्तिगत रूप से) उपस्थित होंगे...' मेहता ने कहा कि 'यह हमारी ओर से एक गलती है, लेकिन चूंकि आप इस मामले को नहीं उठा रहे हैं तो मैं इस पर बात नहीं कर रहा हूं.'

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा, 'इस अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या की गई है और यह एक बड़ा सुरक्षा जोखिम है, कुछ भी अप्रिय घटना हो सकती है...माय लॉर्ड देख लें कि उसे लाने की जरूरत नहीं है.'

सुनवाई समाप्त करते हुए न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि मामले को एक अलग पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सकता है, जहां न्यायमूर्ति दत्ता सदस्य नहीं हैं. मेहता ने कहा कि 'ये बड़ा सुरक्षा का मामला है...हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे बाहर न लाया जाए.'

न्यायमूर्ति कांत ने मौखिक रूप से कहा कि आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं. मेहता ने कहा कि हम इसे उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है.

जिस मामले में मलिक पेश हो रहे थे, वह जम्मू में विशेष अदालत के आदेशों की आलोचना करते हुए सीबीआई द्वारा दायर एक अपील है, जिसके तहत मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए नया प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया था.

1989 में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के संबंध में गवाहों से जिरह के लिए मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की गई थी.

शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल 2023 को नोटिस जारी कर कहा, 'तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जम्मू (टीएडीए/पोटा) की अदालत द्वारा पारित आदेश दिनांक 20092022 और 21092022 के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी.'

सॉलिसिटर मेहता ने गृह सचिव को लिखा पत्र: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि जेल अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा से समझौता किया गया, जो कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक को अदालत परिसर में लाए थे और इसे 'गंभीर चूक' बताया.

मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा कि उनका दृढ़ विचार है कि यह एक गंभीर सुरक्षा चूक है. मेहता ने लिखा, 'यासीन मलिक जैसा आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध जानता है, भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था.' पत्र में मेहता ने मलिक की सुरक्षा के प्रभारी अधिकारी से उन्हें व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत में लाने के कारणों के बारे में सवाल किया.

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Last Updated : Jul 21, 2023, 10:59 PM IST
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