नई दिल्ली : आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में बताया कि जनवरी 2022 को भारत सरकार ने 100 स्मार्ट शहरों (Smart City Mission) के लिए 28413.60 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से 23,668.27 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है. 162908 करोड़ रुपये की 6124 परियोजनाओं में आदेश जारी किया गया है, 58735 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को एससीएम लॉन्च किया है. 2016 से 2018 तक चार दौर की प्रतियोगिता के माध्यम से 100 स्मार्ट शहरों का चयन किया गया है. एससीएम दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार पांच वर्षों में 48000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और प्रति शहर प्रति वर्ष औसतन 100 करोड़ रुपये होंगे. राज्य सरकार और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा एक समान आधार पर समान राशि का योगदान दिया जा रहा है.
पुरी द्वारा दिए गए बयान में यह भी संकेत दिया गया है कि स्मार्ट शहरों में विकास उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा है. दरअसल केंद्र ने पहले स्मार्ट सिटी मिशन को लागू करने की समय सीमा जून 2023 तक बढ़ा दी थी. महामारी के कारण स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में काम धीमा हो गया है. यह हमारे शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी.
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के शहरी अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर केके पांडे ने कहा कि कार्यक्रम की भौतिक प्रगति को पहले 2021 तक मापने योग्य होने की उम्मीद थी, जब पहले 20 स्मार्ट शहरों को पूरा किया जाना था. पुरी ने आगे बताया कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत स्लम पुनर्विकास के लिए 3013.73 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है.