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No Caste Religion in FIR in Haryana: हरियाणा में FIR में नहीं होगा जाति-धर्म का जिक्र, लिखने पर बताना होगा कारण, DGP ने HC में दिया हलफनामा

No Caste Religion in FIR in Haryana: हरियाणा के थानों में अब FIR में जाति-धर्म का जिक्र करना वर्जित है. यदि जाति-धर्म लिखना जरुरी भी हुआ तो उसे लिखने का कारण भी देना होगा. हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले में हलफनामा दायर किया है.

No Caste Religion in FIR in haryana
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 9:01 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के थानों में दर्ज की जाने वाली FIR में पुलिस जाति-धर्म का जिक्र नहीं कर पाएगी. अगर कहीं भी जाति-धर्म का उल्लेख करना जरूरी हुआ, तो उसका कारण भी दिया जाना आवश्यक है. हरियाणा पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में इसको लेकर हलफनामा दायर किया है. इसमें कहा गया है कि हरियाणा पुलिस ने राज्य में अपने फील्ड स्टाफ से कहा है कि वे कुछ विशिष्ट आपराधिक मामलों को छोड़कर एफआईआर/पुलिस कार्रवाई में संदिग्ध/आरोपी/सूचना देने वाले व्यक्ति के धर्म का जिक्र ना करें.

ये भी पढ़ें: Monu Manesar Case Update: मोनू मानेसर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल, पटौदी फायरिंग केस में राइफल बरामद

वहीं, इससे पहले भी हरियाणा डीजीपी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया था. जिसमें कोर्ट को बताया था कि किसी धार्मिक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उनके पूजा स्थलों को अपवित्र करने के मामलों में, सूचना देने वाले के साथ ही शिकायतकर्ता या पीड़ितों और उन संदिग्ध आरोपित व्यक्तियों के धर्म का धारा 295 के तहत एफआईआर दर्ज करते समय उल्लेख किया जाना जरूरी है.

जिस पर पुलिस कार्रवाई में व्यक्ति के धर्म या जाति के जिक्र को गलत करार देते हुए हाईकोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को इस प्रथा को रोकने के लिए उठाए कदमों की जानकारी सौंपने का आदेश दिया था. वहीं, हरियाणा से पहले हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को एफआईआर में आरोपियों का धर्म या जाति लिखने से रोका था.

इस मामले में अंबाला निवासी महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की. हाईकोर्ट ने महिला को अग्रिम जमानत दे दी थी. लेकिन इस मामले में पुलिस की कार्रवाई के दौरान उसके धर्म का जिक्र करने पर संज्ञान ले लिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई में आरोपित या अन्य पक्षों की जाति या धर्म का जिक्र अनावश्यक है. बावजूद इसके इन्हें दर्ज किया जा रहा है.

इसी तरह का मामला पंजाब में भी उठा था. जिसमें एक व्यक्ति के धर्म का जिक्र किया गया था. तब हाईकोर्ट की एक अन्य बेंच ने एफआईआर या किसी पुलिस कार्रवाई में किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख करने के संबंध में संज्ञान लिया था. कोर्ट के आदेश पर पंजाब ने हलफनामा दायर किया था. जिसमें बताया गया था कि पंजाब ने सर्कुलर जारी कर पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आपराधिक मामलों की कागजी कार्रवाई में व्यक्ति के धर्म या जाति का उल्लेख न किया जाए.

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चंडीगढ़: हरियाणा के थानों में दर्ज की जाने वाली FIR में पुलिस जाति-धर्म का जिक्र नहीं कर पाएगी. अगर कहीं भी जाति-धर्म का उल्लेख करना जरूरी हुआ, तो उसका कारण भी दिया जाना आवश्यक है. हरियाणा पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में इसको लेकर हलफनामा दायर किया है. इसमें कहा गया है कि हरियाणा पुलिस ने राज्य में अपने फील्ड स्टाफ से कहा है कि वे कुछ विशिष्ट आपराधिक मामलों को छोड़कर एफआईआर/पुलिस कार्रवाई में संदिग्ध/आरोपी/सूचना देने वाले व्यक्ति के धर्म का जिक्र ना करें.

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वहीं, इससे पहले भी हरियाणा डीजीपी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया था. जिसमें कोर्ट को बताया था कि किसी धार्मिक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उनके पूजा स्थलों को अपवित्र करने के मामलों में, सूचना देने वाले के साथ ही शिकायतकर्ता या पीड़ितों और उन संदिग्ध आरोपित व्यक्तियों के धर्म का धारा 295 के तहत एफआईआर दर्ज करते समय उल्लेख किया जाना जरूरी है.

जिस पर पुलिस कार्रवाई में व्यक्ति के धर्म या जाति के जिक्र को गलत करार देते हुए हाईकोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को इस प्रथा को रोकने के लिए उठाए कदमों की जानकारी सौंपने का आदेश दिया था. वहीं, हरियाणा से पहले हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को एफआईआर में आरोपियों का धर्म या जाति लिखने से रोका था.

इस मामले में अंबाला निवासी महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की. हाईकोर्ट ने महिला को अग्रिम जमानत दे दी थी. लेकिन इस मामले में पुलिस की कार्रवाई के दौरान उसके धर्म का जिक्र करने पर संज्ञान ले लिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई में आरोपित या अन्य पक्षों की जाति या धर्म का जिक्र अनावश्यक है. बावजूद इसके इन्हें दर्ज किया जा रहा है.

इसी तरह का मामला पंजाब में भी उठा था. जिसमें एक व्यक्ति के धर्म का जिक्र किया गया था. तब हाईकोर्ट की एक अन्य बेंच ने एफआईआर या किसी पुलिस कार्रवाई में किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख करने के संबंध में संज्ञान लिया था. कोर्ट के आदेश पर पंजाब ने हलफनामा दायर किया था. जिसमें बताया गया था कि पंजाब ने सर्कुलर जारी कर पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आपराधिक मामलों की कागजी कार्रवाई में व्यक्ति के धर्म या जाति का उल्लेख न किया जाए.

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