ETV Bharat / bharat

सीएम स्टालिन ने गवर्नर को लिखा पत्र- 'आपके पास मेरे मंत्रियों को बर्खास्त करने की कोई शक्ति नहीं'

राज्यपाल आरएन रवि के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है जिसमें दोहराया गया है कि मंत्रिपरिषद से जेल में बंद मंत्री वी सेंथिल बालाजी की उनकी 'बर्खास्तगी' शुरू से ही अमान्य है. 'कानून की अवहेलना की गई है.'

Tamil Nadu CM MK Stalin
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
author img

By

Published : Jun 30, 2023, 10:33 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (CM MK Stalin) ने शुक्रवार को राजभवन को एक विस्तृत पत्र भेजा है. इसमें सेंथिल बालाजी को कैबिनेट से बर्खास्त करने और फिर उस पर रोक लगाने के गवर्नर आरएन रवि (Governor RN Ravi) के तर्क को त्रुटिपूर्ण और जल्दबाजी में लिया निर्णय करार दिया है.

यह संदेश गुरुवार की देर शाम राज्यपाल के 5 पन्नों के पत्र का बिंदुवार खंडन है, जिसमें बालाजी को मंत्रालय से बर्खास्त किया गया और उसके बाद उस फैसले को स्थगित रखा गया है.

स्टालिन ने कहा, 'यद्यपि आपके पत्र की केवल पूर्ण उपेक्षा की आवश्यकता है, मैं आपको इस मुद्दे पर तथ्य और कानून दोनों को स्पष्ट करने के लिए लिख रहा हूं.' यह कहते हुए कि राज्यपाल का पत्र 'कड़े शब्दों में' था, मुख्यमंत्री ने 'संवैधानिक मशीनरी के टूटने' के संकेत पर आपत्ति जताई, जो एक अप्रत्यक्ष धमकी थी.

स्टालिन ने आरोप लगाया कि 'आपने अटॉर्नी जनरल की राय लेने के लिए इसे वापस ले लिया, इससे पता चलता है कि आपने इतने महत्वपूर्ण निर्णय से पहले कानूनी राय भी नहीं ली है. तथ्य यह है कि इस मामले पर आपको कानूनी राय लेने का निर्देश देने के लिए माननीय गृह मंत्री के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी, यह दर्शाता है कि आपने भारत के संविधान के प्रति बहुत कम सम्मान के साथ जल्दबाजी में काम किया है.'

स्टालिन ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्यपाल पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा 'आप पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान किए गए अपराधों के लिए पूर्व मंत्रियों और लोक सेवकों की जांच/मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए मेरी सरकार के अनुरोध पर बेवजह चुप्पी बनाए हुए हैं, जो आपके कार्यालय में कई महीनों से लंबित हैं. यहां तक ​​कि गुटखा मामले में अभियोजन की मंजूरी के लिए सीबीआई के अनुरोध पर भी आपके द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है. वास्तव में, ये चयनात्मक कार्रवाइयां न केवल आपके अस्वास्थ्यकर पूर्वाग्रह को उजागर करती हैं बल्कि आपके द्वारा अपनाए गए ऐसे दोहरे मानकों के पीछे की वास्तविक मंशा को भी उजागर करती हैं.'

स्टालिन ने बालाजी के बचाव में कहा, केवल जब किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है, तो अयोग्यता लागू होती है. स्टालिन ने लिली थॉमस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया.

इसके अलावा, रवि पर संवैधानिक मशीनरी के टूटने के बारे में परोक्ष रूप से निराधार धमकियां देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोग ही हैं जो अंतिम संप्रभु हैं और वे दृढ़ता से सरकार के पीछे हैं।

इसके अलावा, उन्होंने रवि पर संवैधानिक मशीनरी के टूटने के बारे में परोक्ष रूप से निराधार धमकियां देने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ही सर्वोच्च संप्रभु है और वह मजबूती से सरकार के पीछे है.

उन्होंने कहा कि सेंथिल बालाजी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें केवल जांच के लिए गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है. फिर, मनोज नौरूला मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 'भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने यह तय करना प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विवेक पर छोड़ दिया था कि किसी व्यक्ति को उनके मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में बने रहना चाहिए या नहीं. केवल इसलिए कि एक एजेंसी ने किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच शुरू कर दी है, वह मंत्री के रूप में बने रहने के लिए कानूनी रूप से अक्षम नहीं हो जाता है.'

यह दोहराते हुए कि राज्यपाल के पास यह निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है कि मंत्रिमंडल का हिस्सा कौन होना चाहिए या नहीं, पत्र में संविधान के अनुच्छेद 164 (1) की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है. स्टालिन ने कहा, अनुच्छेद 164(2) के तहत मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद केवल निर्वाचित विधान सभा के प्रति जवाबदेह हैं.

उन्होंने कहा कि 'मेरी सलाह के बिना मेरे मंत्री को बर्खास्त करने वाला आपका असंवैधानिक संचार, कानून की नजर में शुरू से ही अमान्य है और इसलिए इसे नजरअंदाज कर दिया गया है.

जहां तक राज्यपाल के 'असंयमित भाषा' के आरोप का सवाल है. संदेश में लिखा कि, 'तमिलनाडु सरकार हमेशा आपके और आपके कार्यालय के प्रति उचित सम्मान रखती रही है. हम अपनी तमिल संस्कृति के अनुरूप आपके प्रति हमेशा सुखद, विनम्र और सम्मानजनक रहे हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें आपके द्वारा जारी असंवैधानिक निर्देशों का पालन करना होगा.'

ये भी पढ़ें-

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (CM MK Stalin) ने शुक्रवार को राजभवन को एक विस्तृत पत्र भेजा है. इसमें सेंथिल बालाजी को कैबिनेट से बर्खास्त करने और फिर उस पर रोक लगाने के गवर्नर आरएन रवि (Governor RN Ravi) के तर्क को त्रुटिपूर्ण और जल्दबाजी में लिया निर्णय करार दिया है.

यह संदेश गुरुवार की देर शाम राज्यपाल के 5 पन्नों के पत्र का बिंदुवार खंडन है, जिसमें बालाजी को मंत्रालय से बर्खास्त किया गया और उसके बाद उस फैसले को स्थगित रखा गया है.

स्टालिन ने कहा, 'यद्यपि आपके पत्र की केवल पूर्ण उपेक्षा की आवश्यकता है, मैं आपको इस मुद्दे पर तथ्य और कानून दोनों को स्पष्ट करने के लिए लिख रहा हूं.' यह कहते हुए कि राज्यपाल का पत्र 'कड़े शब्दों में' था, मुख्यमंत्री ने 'संवैधानिक मशीनरी के टूटने' के संकेत पर आपत्ति जताई, जो एक अप्रत्यक्ष धमकी थी.

स्टालिन ने आरोप लगाया कि 'आपने अटॉर्नी जनरल की राय लेने के लिए इसे वापस ले लिया, इससे पता चलता है कि आपने इतने महत्वपूर्ण निर्णय से पहले कानूनी राय भी नहीं ली है. तथ्य यह है कि इस मामले पर आपको कानूनी राय लेने का निर्देश देने के लिए माननीय गृह मंत्री के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी, यह दर्शाता है कि आपने भारत के संविधान के प्रति बहुत कम सम्मान के साथ जल्दबाजी में काम किया है.'

स्टालिन ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्यपाल पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा 'आप पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान किए गए अपराधों के लिए पूर्व मंत्रियों और लोक सेवकों की जांच/मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए मेरी सरकार के अनुरोध पर बेवजह चुप्पी बनाए हुए हैं, जो आपके कार्यालय में कई महीनों से लंबित हैं. यहां तक ​​कि गुटखा मामले में अभियोजन की मंजूरी के लिए सीबीआई के अनुरोध पर भी आपके द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है. वास्तव में, ये चयनात्मक कार्रवाइयां न केवल आपके अस्वास्थ्यकर पूर्वाग्रह को उजागर करती हैं बल्कि आपके द्वारा अपनाए गए ऐसे दोहरे मानकों के पीछे की वास्तविक मंशा को भी उजागर करती हैं.'

स्टालिन ने बालाजी के बचाव में कहा, केवल जब किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है, तो अयोग्यता लागू होती है. स्टालिन ने लिली थॉमस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया.

इसके अलावा, रवि पर संवैधानिक मशीनरी के टूटने के बारे में परोक्ष रूप से निराधार धमकियां देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लोग ही हैं जो अंतिम संप्रभु हैं और वे दृढ़ता से सरकार के पीछे हैं।

इसके अलावा, उन्होंने रवि पर संवैधानिक मशीनरी के टूटने के बारे में परोक्ष रूप से निराधार धमकियां देने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ही सर्वोच्च संप्रभु है और वह मजबूती से सरकार के पीछे है.

उन्होंने कहा कि सेंथिल बालाजी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें केवल जांच के लिए गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है. फिर, मनोज नौरूला मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 'भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने यह तय करना प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विवेक पर छोड़ दिया था कि किसी व्यक्ति को उनके मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में बने रहना चाहिए या नहीं. केवल इसलिए कि एक एजेंसी ने किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच शुरू कर दी है, वह मंत्री के रूप में बने रहने के लिए कानूनी रूप से अक्षम नहीं हो जाता है.'

यह दोहराते हुए कि राज्यपाल के पास यह निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है कि मंत्रिमंडल का हिस्सा कौन होना चाहिए या नहीं, पत्र में संविधान के अनुच्छेद 164 (1) की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है. स्टालिन ने कहा, अनुच्छेद 164(2) के तहत मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद केवल निर्वाचित विधान सभा के प्रति जवाबदेह हैं.

उन्होंने कहा कि 'मेरी सलाह के बिना मेरे मंत्री को बर्खास्त करने वाला आपका असंवैधानिक संचार, कानून की नजर में शुरू से ही अमान्य है और इसलिए इसे नजरअंदाज कर दिया गया है.

जहां तक राज्यपाल के 'असंयमित भाषा' के आरोप का सवाल है. संदेश में लिखा कि, 'तमिलनाडु सरकार हमेशा आपके और आपके कार्यालय के प्रति उचित सम्मान रखती रही है. हम अपनी तमिल संस्कृति के अनुरूप आपके प्रति हमेशा सुखद, विनम्र और सम्मानजनक रहे हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें आपके द्वारा जारी असंवैधानिक निर्देशों का पालन करना होगा.'

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.