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मध्य प्रदेश : दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त नौ महीने के बच्चे ने दम तोड़ा

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Published : May 25, 2021, 5:34 AM IST

स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी की टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा मासूम आयुष अर्खेल आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया. सोमवार शाम करीब 7 बजे मासूम की जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मौत हो गई.

बच्चे ने दम तोड़ा
बच्चे ने दम तोड़ा

भोपाल : मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्पाइनल एट्रोफी नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा 9 महीने का मासूम आयुष अर्खेल आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया. मासूम के इलाज का खर्च सुन हर कोई हैरान हो रहा था. उसके इलाज के लिए अमेरिका में उपलब्ध 16 करोड़ रुपए कीमत वाले इंजेक्शन की जरुरत थी.

मासूम को इलाज के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में चिल्ड्रन वॉर्ड के NICU केयर में भर्ती कराया गया था. वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था, लेकिन सोमवार 24 मई शाम करीब 7 बजे वह जिंदगी की जंग हार गया. बता दें, मासूम के इलाज में उसके पिता की अपील पर कुछ लोग मदद के लिए सामने भी आए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

दुर्लभ बीमारी से था ग्रसित

आयुष अर्खेल स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी की टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था. बीमारी के कारण पीड़ित बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने लगती है. मांसपेशियां भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में स्तनपान करने और सांस लेने में कठिनाई भी होने लगती है.

पढ़ें- कर्नाटक : थाने में युवक को पेशाब पीने को मजबूर करने वाला पीएसआई निलंबित

पिता ने क्राउड फंडिंग कर बेटे की जान बचाने के प्रयास में जुटा था

इस बीमारी से ठीक होने के लिए मासूम को जो इंजेक्शन लगना था उसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए थी. यह इंजेक्शन स्विटजरलैंड की एक कंपनी बनाती है. मासूम के पिता ने मदद के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से गुहार भी लगाई थी ताकि उनके बेटे का जीवन बच सके, कई दानदाता मदद के लिए सामने भी आए. लेकिन मासूम आयुष अर्खेल को बचाया नहीं जा सका. इससे पहले इसी तरह के मामले में महाराष्ट्र में वहां के लोगों और सरकार के प्रयासों से नौ साल के बच्चे की जान बच गई थी.

भोपाल : मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्पाइनल एट्रोफी नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा 9 महीने का मासूम आयुष अर्खेल आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया. मासूम के इलाज का खर्च सुन हर कोई हैरान हो रहा था. उसके इलाज के लिए अमेरिका में उपलब्ध 16 करोड़ रुपए कीमत वाले इंजेक्शन की जरुरत थी.

मासूम को इलाज के लिए जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में चिल्ड्रन वॉर्ड के NICU केयर में भर्ती कराया गया था. वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था, लेकिन सोमवार 24 मई शाम करीब 7 बजे वह जिंदगी की जंग हार गया. बता दें, मासूम के इलाज में उसके पिता की अपील पर कुछ लोग मदद के लिए सामने भी आए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

दुर्लभ बीमारी से था ग्रसित

आयुष अर्खेल स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी की टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था. बीमारी के कारण पीड़ित बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने लगती है. मांसपेशियां भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में स्तनपान करने और सांस लेने में कठिनाई भी होने लगती है.

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पिता ने क्राउड फंडिंग कर बेटे की जान बचाने के प्रयास में जुटा था

इस बीमारी से ठीक होने के लिए मासूम को जो इंजेक्शन लगना था उसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए थी. यह इंजेक्शन स्विटजरलैंड की एक कंपनी बनाती है. मासूम के पिता ने मदद के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से गुहार भी लगाई थी ताकि उनके बेटे का जीवन बच सके, कई दानदाता मदद के लिए सामने भी आए. लेकिन मासूम आयुष अर्खेल को बचाया नहीं जा सका. इससे पहले इसी तरह के मामले में महाराष्ट्र में वहां के लोगों और सरकार के प्रयासों से नौ साल के बच्चे की जान बच गई थी.

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