रायपुर : कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) में बहुत से लोगों ने जान गंवाई है, लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्होंने इस महामारी में अपने आप को साबित किया है. ऐसी ही रायपुर के गुढ़ियारी की रहने वाली 32 वर्षीय निधि डोंगरे भी हैं. वे प्रगति कॉलेज से B.Ed की परीक्षा दे रही हैं. निधि डोंगरे के भाई गौरव डोंगरे ने ETV भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह कोरोना की दूसरी लहर में उनकी बड़ी बहन ने अपनी हिम्मत बनाए रखी. कोरोना पॉजिटिव (corona positive) होने के बाद भी वह हिम्मत नहीं हार रही है. ऐसे में निधि अस्पताल से ही एग्जाम दे रही हैं (giving exam from hospital).
निधि अभी प्रगति कॉलेज से B.Ed का एग्जाम दे रही हैं. उनका एग्जाम 1, 2 और 3 जून को था और कॉपी उन्हें 8 जून तक जमा करनी थी, लेकिन अभी उनकी हालत ऐसी नहीं है कि वे एग्जाम दे पाएं, लेकिन इसके बावजूद वो अपनी कॉपी लिखने की पूरी कोशिश कर रही हैं. गौरव डोंगरे ने ETV भारत के माध्यम से कॉलेज से गुजारिश की है कि उन्हें कुछ कंसेशन दिया जाए, ताकि निधि अपनी कॉपी कंप्लीट कर कॉलेज में जमा करा सकें. 2010 में पिता के गुजर जाने के बाद निधि ने बहुत संघर्ष किया. पहले वो पढ़ाती थीं. उसके बाद बजाज एलायंज में जॉब करती थीं. अब वे B.Ed की परीक्षा दे रही हैं.
अचानक बिगड़ी तबीयत
गौरव ने बताया कि उनकी दीदी को 14 अप्रैल से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने लगी. जिसके बाद उनका आरटीपीसीआर टेस्ट (RTPCR Test) कराया गया जो निगेटिव आया, लेकिन उनको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके बाद डॉक्टर की सलाह के बाद घर पर ही उनका ट्रीटमेंट किया जा रहा था. 18 अप्रैल को अचानक निधि का ऑक्सीजन लेवल काफी कम होने लगा. जिसके बाद घर में सभी लोग घबरा गए. इसके बाद निधि को संतोषी नगर के एक निजी अस्पताल में एडमिट किया गया.
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वेंटिलेटर पर थी निधि
19 अप्रैल से 25 अप्रैल तक निधि अस्पताल में एडमिट थीं. लेकिन वहां उनके स्वास्थ में कोई सुधार नहीं आया. वहां के डॉक्टर ने बताया कि उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इसके बाद फिर निधि को प्राइवेट हॉस्पिटल से संजीवनी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. संजीवनी हॉस्पिटल में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया.
रायपुर एम्स में किया गया भर्ती
25 अप्रैल से 11 मई तक वो संजीवनी हॉस्पिटल में ही थीं. इस दौरान वह कोरोना पॉजिटिव भी हुईं और रिकवर भी कर रही थीं. लंबे समय तक प्राइवेट हॉस्पिटल में रहने के बाद परिवार को फाइनेंशियल प्रॉबलम होने लगी. गौरव ने बताया कि 22 दिनों में उनका 10 लाख रुपये प्राइवेट अस्पताल में खर्च हो गया. जिसके बाद परिवार की सहमति से 12 मई को निधि को रायपुर एम्स (Raipur AIIMS) में एडमिट किया गया.
2 महीने बाद परिवार ने ली राहत की सांस
फिलहाल निधि एम्स में एडमिट है. गौरव ने बताया कि उनकी दीदी ने इस दौरान काफी मुश्किलें सही हैं. कोरोना की दूसरी लहर में जब हमने दीदी को संजीवनी हस्पताल में एडमिट कराया था, तो रोज उनके पास से 10 से 15 डेड बॉडी जाती थी. उसके बाद भी दीदी ने हिम्मत नहीं हारी और आज हम सब को मोटिवेट कर रही हैं. दीदी ने इतने दिन सर्वाइव किया है, वह बस उनके विल पावर की वजह से और परिवार के आशीर्वाद से. गौरव ने कहा कि आज उनकी बहनी आउट ऑफ डेंजर है. डॉक्टर ने जब ये बात हमें बताई तो 2 महीने बाद हमारे चेहरों पर संतुष्टि दिखाई दी, लेकिन अभी भी उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है, जिस वजह से अभी भी उन्हें अस्पताल में ही रखा गया है. निधि का 70% से ज्यादा लंग्स डैमेज है. डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें अभी ठीक होने में 2 महीने से 6 महीने तक लग सकते हैं.