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NGT ने मदुरै में जलाशय 'पुडुकुलम कनमोई' को बहाल करने का निर्देश दिया

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने तमिलनाडु सरकार को मदुरै में 'पुडुकुलम कनमोई' को बहाल करने का निर्देश दिया है. उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए अधिकरण ने कहा कि लोक न्यास सिद्धांत (पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन) के अनुसार राज्य प्राकृतिक संसाधनों के पारिस्थितिक मूल्य की रक्षा करने के लिए बाध्य है.

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Published : Sep 1, 2021, 4:27 PM IST

राष्ट्रीय हरित अधिकरण
राष्ट्रीय हरित अधिकरण

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने तमिलनाडु सरकार को मदुरै में 'पुडुकुलम कनमोई' को बहाल करने का निर्देश देते हुए कहा है कि एक जलाशय को केवल इस आधार पर आवास स्थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है कि वह सूख गया है.

उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए अधिकरण ने कहा कि लोक न्यास सिद्धांत (पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन) के अनुसार राज्य प्राकृतिक संसाधनों के पारिस्थितिक मूल्य की रक्षा करने के लिए बाध्य है. अधिकरण राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग, भूमि निष्पादन प्रकोष्ठ द्वारा कुछ पत्रकारों को पुडुकुलम कनमोई आवंटित करने के एक सरकारी आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. यह याचिका राज्य निवासी ए एम विनोद ने दाखिल की थी.

अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठी की पीठ ने कहा कि जल निकाय पर्यावरण की सुरक्षा, सौंदर्य बनाये रखने, सूक्ष्म जलवायु, भूजल के पुनर्भरण और पीने के उद्देश्य के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

पढ़ें - कर्नाटक : चामराजनगर में नो टीकाकरण-नो राशन, नो टीकाकरण-नो पेंशन अभियान

पीठ ने कहा, 'इस मामले में मुद्दा यह है कि क्या किसी जलाशय को केवल इस आधार पर आवास स्थल में परिवर्तित किया जा सकता है कि वह सूख गया है. हमारे विचार में, इसका उत्तर नहीं होना चाहिए.'

पीठ ने कहा कि पत्रकारों के लिए आवास स्थल के आवंटन की आवश्यकता और जलाशय सूख जाने के अलावा इसमें कोई अन्य सामाजिक आवश्यकता नहीं दिखाई गयी है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने तमिलनाडु सरकार को मदुरै में 'पुडुकुलम कनमोई' को बहाल करने का निर्देश देते हुए कहा है कि एक जलाशय को केवल इस आधार पर आवास स्थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है कि वह सूख गया है.

उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए अधिकरण ने कहा कि लोक न्यास सिद्धांत (पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन) के अनुसार राज्य प्राकृतिक संसाधनों के पारिस्थितिक मूल्य की रक्षा करने के लिए बाध्य है. अधिकरण राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग, भूमि निष्पादन प्रकोष्ठ द्वारा कुछ पत्रकारों को पुडुकुलम कनमोई आवंटित करने के एक सरकारी आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. यह याचिका राज्य निवासी ए एम विनोद ने दाखिल की थी.

अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठी की पीठ ने कहा कि जल निकाय पर्यावरण की सुरक्षा, सौंदर्य बनाये रखने, सूक्ष्म जलवायु, भूजल के पुनर्भरण और पीने के उद्देश्य के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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पीठ ने कहा, 'इस मामले में मुद्दा यह है कि क्या किसी जलाशय को केवल इस आधार पर आवास स्थल में परिवर्तित किया जा सकता है कि वह सूख गया है. हमारे विचार में, इसका उत्तर नहीं होना चाहिए.'

पीठ ने कहा कि पत्रकारों के लिए आवास स्थल के आवंटन की आवश्यकता और जलाशय सूख जाने के अलावा इसमें कोई अन्य सामाजिक आवश्यकता नहीं दिखाई गयी है.

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