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नेपाल से सटी सीमा पर बेहतर होगा इन्फ्रास्ट्रक्चर, 'नो मेंस लैंड' के समानांतर बनेगी सड़क

देश की नेपाल से सटी सीमा पर आवागमन को बेहतर बनाने के लिए यूपी की नेपाल के साथ लगती हुई 551 किलोमीटर लंबी सीमा पर 'नो मेन्स लैंड' के समानांतर सड़कें बनाई जाएंगी. इसको केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंजूरी दे दी गई है.

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Published : Jul 28, 2021, 5:21 PM IST

India Nepal Border, Road Construction
सड़क निर्माण

बहराइच (उत्तर प्रदेश): केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की नेपाल सीमा (India Nepal Border) से सटे जंगलों में सशस्त्र सीमा बल (Armed Border Force) की सभी सीमा चौकियों को जोड़ते हुए नो मेंस लैंड के समानांतर सड़कें बनाई (Road Construction) जाएंगी.

योजना में आवागमन में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जंगल से दूर वन क्षेत्र में 10 मीटर ऊंचे एलिवेटेड फ्लाईओवर (Elevated Flyover) एवं जंगल से सटे गांव की जमीनें अधिग्रहित कर सड़क निर्माण होगा. नेपाल के सीमावर्ती कतर्निया घाट वन्यजीव विहार (Wildlife Sanctuary) के प्रभागीय वनाधिकारी आकाश दीप बधावन ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश में भारत-नेपाल सीमावर्ती नो मेंस लैंड के समानांतर वन क्षेत्रों में सड़कें बनाने के निर्देश दिए हैं. देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनने वाली ये सड़कें नेपाल सीमावर्ती एसएसबी की सभी सीमा चौकियों से होकर गुजरेंगी.

यूपी के 5 जिलों से जुड़ी है नेपाल की 551 किमी सीमा

बधावन ने बताया कि यूपी के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों से जुड़ी करीब 551 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए नो मेंस लैंड के निकट सशस्त्र सीमा बल की सीमा चौकियां हैं. कतर्निया घाट जंगल में एसएसबी की 16 बीओपी हैं.

पढ़ें:नेपाल सीमा पर बहराइच का थारू बहुल बलईगांव बनेगा पर्यटन स्थल

डीएफओ ने बताया कि कतर्निया घाट प्रभात के वन क्षेत्र की 45 हेक्टेयर और बलरामपुर के सोहेलवा जंगल की 138 हेक्टेयर सहित प्रदेश के जंगलों व आसपास की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन सड़क निर्माण के लिए ली जाएंगी. उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में सड़कें बनेंगी. उनमें कतर्निया घाट वन्यजीव विहार और नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क को जोड़ने वाला खाता कॉरिडोर शामिल है.

होगा एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण

वन्य जीवन की दृष्टि से दोनों देशों में विशेष अहमियत वाले खाता कॉरिडोर में विलुप्त होने की कगार पर अति दुर्लभ एक सींग वाले भारतीय गैंडे, जंगली हाथी, बाघ, तेंदुए, ब्लैक स्पाटेड डियर, व्हाइट स्पाटेड डियर, साइबेरियन बर्ड्स और वल्चर की बहुतायत है. मध्य प्रदेश के कान्हा और पन्ना नेशनल पार्क तथा दिल्ली मेरठ देहरादून एक्सप्रेस-वे के रास्ते में पड़ने वाले शिवालिक के जंगल से होकर जाने वाली सड़कों को जमीन से 10 मीटर उठाकर एलिवेटेड फ्लाईओवर बनाए गए हैं.

पढ़ें: नेपाल सीमा पर एक व्यक्ति गिरफ्तार, एक करोड़ से अधिक रुपये की स्मैक बरामद

अब इसी तर्ज पर यूपी के तराई के जंगलों में भी फ्लाई ओवर बनाने की योजना है. सरकार का मकसद है कि इन ऊंचे फ्लाई ओवर के नीचे जंगली हाथी और शेर आदि वन्यजीव बगैर किसी परेशानी और बाधा के विचरण करें तथा फ्लाई ओवर पर सुरक्षा कर्मी, अर्धसैनिक बल व वन कर्मी निर्बाध पेट्रोलिंग कर सकें.

वन्य जीव संरक्षण विशेषज्ञों ने किया है सर्वेक्षण

जंगल से सटी ग्राम समाज की जमीनों पर भी सड़कें बनेंगी. वन क्षेत्र से दूरी बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा व विकास की गतिविधियों के साथ हजारों पेड़ों और जानवरों को बचाया जा सकेगा. इस सड़क के निर्माण के दौरान और बनने के बाद वाहनों के आवागमन के कारण वन्यजीवों पर संभावित पर्यावरणीय प्रभाव कम करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विश्व प्रसिद्ध वन्य जीव संरक्षण विशेषज्ञों की एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति भेजकर उत्तर प्रदेश के वनों का सर्वेक्षण कराया है. यह कमेटी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हो रहे विकास के बीच वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के उपाय खोजेगी.

(पीटीआई-भाषा)

बहराइच (उत्तर प्रदेश): केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की नेपाल सीमा (India Nepal Border) से सटे जंगलों में सशस्त्र सीमा बल (Armed Border Force) की सभी सीमा चौकियों को जोड़ते हुए नो मेंस लैंड के समानांतर सड़कें बनाई (Road Construction) जाएंगी.

योजना में आवागमन में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जंगल से दूर वन क्षेत्र में 10 मीटर ऊंचे एलिवेटेड फ्लाईओवर (Elevated Flyover) एवं जंगल से सटे गांव की जमीनें अधिग्रहित कर सड़क निर्माण होगा. नेपाल के सीमावर्ती कतर्निया घाट वन्यजीव विहार (Wildlife Sanctuary) के प्रभागीय वनाधिकारी आकाश दीप बधावन ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रदेश में भारत-नेपाल सीमावर्ती नो मेंस लैंड के समानांतर वन क्षेत्रों में सड़कें बनाने के निर्देश दिए हैं. देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनने वाली ये सड़कें नेपाल सीमावर्ती एसएसबी की सभी सीमा चौकियों से होकर गुजरेंगी.

यूपी के 5 जिलों से जुड़ी है नेपाल की 551 किमी सीमा

बधावन ने बताया कि यूपी के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों से जुड़ी करीब 551 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए नो मेंस लैंड के निकट सशस्त्र सीमा बल की सीमा चौकियां हैं. कतर्निया घाट जंगल में एसएसबी की 16 बीओपी हैं.

पढ़ें:नेपाल सीमा पर बहराइच का थारू बहुल बलईगांव बनेगा पर्यटन स्थल

डीएफओ ने बताया कि कतर्निया घाट प्रभात के वन क्षेत्र की 45 हेक्टेयर और बलरामपुर के सोहेलवा जंगल की 138 हेक्टेयर सहित प्रदेश के जंगलों व आसपास की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन सड़क निर्माण के लिए ली जाएंगी. उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में सड़कें बनेंगी. उनमें कतर्निया घाट वन्यजीव विहार और नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क को जोड़ने वाला खाता कॉरिडोर शामिल है.

होगा एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण

वन्य जीवन की दृष्टि से दोनों देशों में विशेष अहमियत वाले खाता कॉरिडोर में विलुप्त होने की कगार पर अति दुर्लभ एक सींग वाले भारतीय गैंडे, जंगली हाथी, बाघ, तेंदुए, ब्लैक स्पाटेड डियर, व्हाइट स्पाटेड डियर, साइबेरियन बर्ड्स और वल्चर की बहुतायत है. मध्य प्रदेश के कान्हा और पन्ना नेशनल पार्क तथा दिल्ली मेरठ देहरादून एक्सप्रेस-वे के रास्ते में पड़ने वाले शिवालिक के जंगल से होकर जाने वाली सड़कों को जमीन से 10 मीटर उठाकर एलिवेटेड फ्लाईओवर बनाए गए हैं.

पढ़ें: नेपाल सीमा पर एक व्यक्ति गिरफ्तार, एक करोड़ से अधिक रुपये की स्मैक बरामद

अब इसी तर्ज पर यूपी के तराई के जंगलों में भी फ्लाई ओवर बनाने की योजना है. सरकार का मकसद है कि इन ऊंचे फ्लाई ओवर के नीचे जंगली हाथी और शेर आदि वन्यजीव बगैर किसी परेशानी और बाधा के विचरण करें तथा फ्लाई ओवर पर सुरक्षा कर्मी, अर्धसैनिक बल व वन कर्मी निर्बाध पेट्रोलिंग कर सकें.

वन्य जीव संरक्षण विशेषज्ञों ने किया है सर्वेक्षण

जंगल से सटी ग्राम समाज की जमीनों पर भी सड़कें बनेंगी. वन क्षेत्र से दूरी बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा व विकास की गतिविधियों के साथ हजारों पेड़ों और जानवरों को बचाया जा सकेगा. इस सड़क के निर्माण के दौरान और बनने के बाद वाहनों के आवागमन के कारण वन्यजीवों पर संभावित पर्यावरणीय प्रभाव कम करने के लिए केंद्र सरकार ने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विश्व प्रसिद्ध वन्य जीव संरक्षण विशेषज्ञों की एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति भेजकर उत्तर प्रदेश के वनों का सर्वेक्षण कराया है. यह कमेटी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हो रहे विकास के बीच वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के उपाय खोजेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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