मधेपुरा : बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं खस्ताहाल हो चुकीं हैं. मधेपुरा के सरकारी अस्पताल में मरीजों के लिए दवाई तो दूर की बात ठीक से ओढ़ने और बिछाने का भी इंतजाम नहीं. ऊपर से एक कमरे में क्षमता से ज्यादा मरीजों को लिटाया गया है. दरअसल मुरहो पीएचसी में परिवार नियोजन के तहत 13 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया. लेकिन इन्हें सुविधाओं के नाम पर सोने को पुआल और ठंड में ठिठुकर रात बिताने को मिला. ऊपर से ड्यूटी डॉक्टर रात में नदारद रहे. महज एक डॉक्टर के भरोसे 13 लोगों को छोड़ दिया गया.
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ठंड में पुआल पर लेटकर मरीजों ने काटी रातें: यहां से बच गए तो शौचालय में इन्फेक्शन जान ले लेगा. क्योंकि शौचालय कूड़ा घर बना हुआ है. न्यूनत 9 डिग्री तापमान में महिलाओं को बेड तक मयस्सर नहीं थी. इन महिलाओं के परिवार वालों ने हॉस्पिटल के आसपास पुआल का इंतजाम कर जुगाड़ से किसी तरह रातें काटी. फिर भी मरीज रातभर ठंड से कांपते रहे. मरीजों को अपने हाल में अस्पताल प्रबंधन छोड़कर लापता हो गया. गनीमत रही की सुबह तक सभी जिंदा रहे. ये तस्वीरें जब मीडिया को मिलीं तो अस्पताल प्रबंधन को सांप सूंघ गया. जिम्मेदार एक ही ड्यूटी डॉक्टर के होने का हवाला देते रहे. वो भी रातभर नदारद रहा.
''साहब यहां कुछ इंतजाम नहीं है. रातभर हम लोग ठंड से ठिठुरते रहे. शौचालय गंदा पड़ा है. डॉक्टर रातभर नहीं थे. जैसे तैसे रात गुजारी है. हमें बहुत ठंड लगी है. ऑपरेशन के बाद हमें लावारिस की तरह छोड़ दिया गया''- मरीज के परिजन
टार्गेट पूरा करने के चक्कर में जोखिम में जान : सवाल ये है कि जब डॉक्टर नहीं थे तो फिर 13 लोगों के ऑपरेशन करने की क्या जरूरत थी? क्या अपना टार्गेट पूरा करने के लिए गरीब मरीजों को जान लेनी है. एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव अस्पतालों में अच्छी सुविधाएं देने का दावा करते हैं, दूसरी तरफ इंतजाम के नाम पर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं है दिख रहा. अगर मरीजों के परिजनों ने पुआल का जुगाड़ नहीं किया होता तो सुबह तक इनका बचना भई मुश्किल था. इस मामले में जब मुरहो पीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक से पूछा गया तो उन्होंने ये बात स्वीकार की है कि पीएचसी में एक ही डॉक्टर है और वो भी रात में नहीं थे. सिर्फ नर्स ही इन मरीजों की ऑफिशियल देखरेख कर रहीं थीं.
''हमारे पास तीन डॉक्टर हैं एक छुट्टी पर हैं, दूसरा ट्रेनिंग में गया हुआ है. एक डॉक्टर था जिसने ऑपरेशन किया. पता चला है कि वो भी रात को नहीं था. शौचालय की गंदगी को लेकर हम लोग प्रशासन को लिख चुके हैं लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. हम अपने स्तर पर साफ सफाई करवा रहे हैं''- संतोष कुमार, अस्पताल प्रबंधक, मुरहो पीएचसी, मधेपुरा
सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में अंतर: बहरहाल जिस तरह से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव लगातार स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने का दावा कर रहे हैं, वैसे में मधेपुरा सदर पीएचसी का हाल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि चिकित्सक की घोर कमी है. एक चिकित्सक रात में 13 मरीजों की परिवार नियोजन ऑपरेशन कर फरार थे. उन्होंने साफ सफाई के मामले में कहा कि हम लोगों ने कई बार सिविल सर्जन को लिखा है. लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. किसी तरह हम लोग अपने स्तर से साफ सफाई करवाते हैं.
बिना बेहोश किए ही खगड़िया के अलौली में कर दिया 23 महिलाओं का ऑपरेशन: ऐसा पहली बार नहीं है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर लापरवाही दिखी हो. खगड़िया के अलौली प्रखंड में 23 महिलाओं का परिवार नियोजन का ऑपरेशन बिना बेहोश किए कर दिया गया था. वीडियो सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमे की फजीहत हुई थी.
जमुई में ऑपरेशन के बाद जमीन पर लिटाया : खैरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बंध्याकरण शिविर का आयोजन किया गया था तब 33 महिलाओं का ऑपरेशन हुआ. लेकिन अस्पताल में इन महिलाओं को इंजेक्शन देकर जमीन पर लिटा दिया गया. इस मामले में भी प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.