मुजफ्फरपुर : बिहार में मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही का मामला गंभीर होता जा रहा है. मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल होने से 25 से ज्यादा लोगों की आंखें खराब (people Lost Eyes in Muzaffarpur) हो गईं थीं. जिसके बाद अब तक 15 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है. कई पीड़ित मरीज अब भी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में इलाजरत हैं, जिनकी स्थिति क्रिटिकल बतायी जा रही है. अब ऑपरेशन के बाद अपनी आंख गंवा चुके लोगों की फरियाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (Petition Filed In National Human Rights Commission) तक भी पहुंच गई है.
जूरन छपरा स्थित आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही के मामले को लेकर मरीजों के परिजनों ने अब मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है. मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने बिहार मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मामले की जानकारी दी है, साथ ही एक याचिका भी दाखिल की गई है. अधिवक्ता ने मामले के संबंध में पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी पत्र लिखा है.
मेडिकल कॉलेज के ही एक डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करने का एक गाइडलाइन है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश जारी कर चुका है. उन्होंने बताया कि एक दिन में एक डॉक्टर 12 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. लेकिन, एसीएमओ के बयान के अनुसार 22 नवंबर को एक दिन में 65 लोगों का ऑपरेशन किन परिस्थितियों में हुआ, यह जांच का विषय है.
NHRC ने बिहार के मुख्य सचिव से मांगा जवाब
बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 25 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है. अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है. जिसमें बताया गया है कि 22 नवंबर 2021 को बिहार के मुजफ्फरपुर में SKMCH में मोतियाबिंद सर्जरी के कारण छह रोगियों की आंखें निकालनी पड़ीं है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में बिहार सरकार के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी किया है. नोटिस में मामले को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. एनएचआरसी ने बिहार के मुख्य सचिव से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
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गौरतलब है कि मोतियाबिंद के सभी ऑपरेशन डॉ एनडी साहू ने किए है. लेकिन डॉ साहू ने ऑपरेशन करने की बात से इंकार कर दिया था. इसके बाद मंगलवार को जब जांच टीम ने कड़ी पूछताछ की तो उन्होंने ऑपरेशन की बात कबूली. जांच टीम अब आगे भी उनसे पूछताछ करेगी. इधर, एक दिन में 65 ऑपरेशन करने के सवाल पर अस्पताल प्रबंधन बुरी तरह घिरी नजर आ रही है. तो वहीं ऑपरेशन के बाद चार लोगों की आंखें निकाले जाने की बात भी अस्पताल प्रशासन ने छिपा रखी थी. प्रबंधन ने इसकी सूचना डीएम और सिविल सर्जन किसी को नहीं दी थी.
वहीं, इस मामले में सीएस डॉ विनय शर्मा ने बताया कि वो खुद बुधवार को अस्पताल गए. जहां उन्होंने पूरी जानकारी ली कि आखिर ऑपरेशन में इन्फेकशेन हुआ कैसे? इतनी बड़ी लापरवालही क्यों हुई? अब तक ऑपरेशन कराये 65 मरीजों का पूरा डिटेल आई हॉस्पिटल द्वारा नहीं दिया गया है. जांच टीम ने आई हॉस्पिटल के OT को अगले आदेश तक के लिए सील कर दिया है.
सीएस ने बताया कि एसकेएमसीएच जहां संक्रमित भर्ती हैं, उनके लिए विशेष वार्ड बनाया गया है. संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अभी बढ़ रही है. आई हॉस्पिटल के OT से लिये गए कई सैम्पल की SKMCH स्थित लैब में जांच कराई जा रही है. सीएस ने संक्रमित मरीजों से बातचीत भी की है. इस मामले पर विभाग पूरी जांच में लगा है.
बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के जूरन छपरा स्थित आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंखों का ऑपरेशन कराया था. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही बरती गई. इस लापरवाही के कारण अब तक 15 लोगों ने हमेशा के लिए अपनी आखें गंवा दी हैं. खराब हुई आखों को निकालने का सिलसिला अभी भी जारी है. कई और लोगों की आखों में इन्फेक्शन है.