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युवाओं में बढ़ा जैवलिन थ्रो का क्रेज: दूसरे खेलों को छोड़ भाला फेंक की प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी, 'गोल्डन बॉय' बनना चाहते हैं युवा

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2023, 2:10 PM IST

नीरज चोपड़ा एक के बाद एक नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. उनसे प्रेरणा लेकर अब युवा भाला फेंक की प्रैक्टिस कर रहे हैं. पानीपत के जिस स्टेडियम में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करते थे. उस स्टेडियम में सुबह शाम आपको खिलाड़ी जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते नजर आ जाएंगे. बड़ी बात ये है कि दूसरे खेलों को छोड़कर युवा भाला फेंक की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

neeraj chopra javelin throw
neeraj chopra javelin throw

पानीपत: खेल खिलाड़ियों की बात हो और उसमें हरियाणा का नाम ना आए, ऐसा हो नहीं सकता. पहले हरियाणा की पहचान कुश्ती और बॉक्सिंग के लिए होती थी. अब बाकी खेलों में भी हरियाणा के खिलाड़ी इतिहास रच रहे हैं. हम बात कर रहे हैं नीरज चोपड़ा की. जिन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है. नीरज की इस उपलब्धि पर जश्न का माहौल है.

बढ़ रहा जैवलिन का क्रेज: जब से नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है. तब से हरियाणा में जैवलिन की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. जैवलिन थ्रो के सबसे ज्यादा खिलाड़ी पानीपत जिले से सामने आ रहे हैं. सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्गों पर भी जैवलिन थ्रो का खुमार सिर पर चढ़ा है. पानीपत की 80 साल की दादी दर्शाना देवी जैवलिन थ्रो में वर्ल्ड मास्टर एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.

neeraj chopra javelin throw
भाला फेंक की प्रैक्टिस करने वालों की संख्या बढ़ी

80 की उम्र में दर्शना देवी रोज सुबह और शाम स्टेडियम में जाकर भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती हैं. पानीपत के जिस स्टेडियम में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करते थे. उस स्टेडियम में सुबह शाम आपको खिलाड़ी जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते नजर आ जाएंगे. कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी हैं जो पहले क्रिकेट, कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे खेलों की तैयारी कर रहे थे, लेकिन नीरज चोपड़ा को देखकर उन्होंने अपना खेल बदलकर जैवलिन हाथ में थाम लिया.

neeraj chopra javelin throw
महिला खिलाड़ी भी कर रही जैविलन की प्रैक्टिस

नीरज चोपड़ा पानीपत जिले के खंडरा गांव के निवासी हैं. उन्होंने पानीपत के शिवाजी स्टेडियम से ही जैवलिन की शुरुआत की थी. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से अकेले खंडरा गांव के 70 से ज्यादा युवा भाला फेंक गेम का अभ्यास कर रहे हैं. हरियाणा के बाकी जिलों में भी जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है. नीरज चोपड़ा की एक के बाद एक उपलब्धियों को देखते हुए युवा दूसरे गेम्स को छोड़कर भाला फेंक की तरफ रुख कर रहे हैं.

neeraj chopra javelin throw
80 साल की दर्शाना देवी भी करती हैं जैवलिन की प्रैक्टिस

पानीपत शिवाजी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी रोमित ने बताया कि वो पहले दूसरे खेलों में हिस्सा लेते थे. जब से नीरज चोपड़ा ने खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है, तो उन्होंने अपना गेम बदल लिया और आज वो जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनका कहना है कि पानीपत में जैवलिन को लेकर अच्छे कोच आसानी से मिल रहे हैं. सरकार की तरफ से भी अच्छी सुविधा उन्हें दी जा रही है. इससे उन्हें काफी मदद मिल रही है.

ये भी पढ़ें- Neeraj Chopra Gold Medal: गोल्डन बॉय की कामयाबी में संयुक्त परिवार का महत्वपूर्ण योगदान, पिता सतीश चोपड़ा ने बताए सफलता के राज

10 साल की उम्र है परफेक्ट: नीरज के फिटनेस कोच रहे जितेंद्र जागलान ने बताया कि एक अच्छा एथलीट बनने के लिए बड़ी मेहनत लगती है. बच्चे की शुरुआत अगर 10 साल की उम्र से की जाए, तो वो बेहतर होती है. छोटी उम्र से ही अगर एक खिलाड़ी के शरीर में लचीलापन और टेक्निक आ जाए तो, वो आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक से पहले बहुत की कम लोग जैवलिन थ्रो के बारे में जानते थे. आज बच्चा-बच्चा नीरज चोपड़ा बनने के सपने देख रहा है. जितेंद्र जागलान ने बताया कि 10 से लेकर 14 साल के बच्चे इस गेम में हिस्सा ले रहे हैं.

पानीपत: खेल खिलाड़ियों की बात हो और उसमें हरियाणा का नाम ना आए, ऐसा हो नहीं सकता. पहले हरियाणा की पहचान कुश्ती और बॉक्सिंग के लिए होती थी. अब बाकी खेलों में भी हरियाणा के खिलाड़ी इतिहास रच रहे हैं. हम बात कर रहे हैं नीरज चोपड़ा की. जिन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है. नीरज की इस उपलब्धि पर जश्न का माहौल है.

बढ़ रहा जैवलिन का क्रेज: जब से नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है. तब से हरियाणा में जैवलिन की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. जैवलिन थ्रो के सबसे ज्यादा खिलाड़ी पानीपत जिले से सामने आ रहे हैं. सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्गों पर भी जैवलिन थ्रो का खुमार सिर पर चढ़ा है. पानीपत की 80 साल की दादी दर्शाना देवी जैवलिन थ्रो में वर्ल्ड मास्टर एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.

neeraj chopra javelin throw
भाला फेंक की प्रैक्टिस करने वालों की संख्या बढ़ी

80 की उम्र में दर्शना देवी रोज सुबह और शाम स्टेडियम में जाकर भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती हैं. पानीपत के जिस स्टेडियम में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करते थे. उस स्टेडियम में सुबह शाम आपको खिलाड़ी जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते नजर आ जाएंगे. कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी हैं जो पहले क्रिकेट, कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे खेलों की तैयारी कर रहे थे, लेकिन नीरज चोपड़ा को देखकर उन्होंने अपना खेल बदलकर जैवलिन हाथ में थाम लिया.

neeraj chopra javelin throw
महिला खिलाड़ी भी कर रही जैविलन की प्रैक्टिस

नीरज चोपड़ा पानीपत जिले के खंडरा गांव के निवासी हैं. उन्होंने पानीपत के शिवाजी स्टेडियम से ही जैवलिन की शुरुआत की थी. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से अकेले खंडरा गांव के 70 से ज्यादा युवा भाला फेंक गेम का अभ्यास कर रहे हैं. हरियाणा के बाकी जिलों में भी जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है. नीरज चोपड़ा की एक के बाद एक उपलब्धियों को देखते हुए युवा दूसरे गेम्स को छोड़कर भाला फेंक की तरफ रुख कर रहे हैं.

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80 साल की दर्शाना देवी भी करती हैं जैवलिन की प्रैक्टिस

पानीपत शिवाजी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी रोमित ने बताया कि वो पहले दूसरे खेलों में हिस्सा लेते थे. जब से नीरज चोपड़ा ने खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है, तो उन्होंने अपना गेम बदल लिया और आज वो जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनका कहना है कि पानीपत में जैवलिन को लेकर अच्छे कोच आसानी से मिल रहे हैं. सरकार की तरफ से भी अच्छी सुविधा उन्हें दी जा रही है. इससे उन्हें काफी मदद मिल रही है.

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10 साल की उम्र है परफेक्ट: नीरज के फिटनेस कोच रहे जितेंद्र जागलान ने बताया कि एक अच्छा एथलीट बनने के लिए बड़ी मेहनत लगती है. बच्चे की शुरुआत अगर 10 साल की उम्र से की जाए, तो वो बेहतर होती है. छोटी उम्र से ही अगर एक खिलाड़ी के शरीर में लचीलापन और टेक्निक आ जाए तो, वो आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक से पहले बहुत की कम लोग जैवलिन थ्रो के बारे में जानते थे. आज बच्चा-बच्चा नीरज चोपड़ा बनने के सपने देख रहा है. जितेंद्र जागलान ने बताया कि 10 से लेकर 14 साल के बच्चे इस गेम में हिस्सा ले रहे हैं.

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