पानीपत: खेल खिलाड़ियों की बात हो और उसमें हरियाणा का नाम ना आए, ऐसा हो नहीं सकता. पहले हरियाणा की पहचान कुश्ती और बॉक्सिंग के लिए होती थी. अब बाकी खेलों में भी हरियाणा के खिलाड़ी इतिहास रच रहे हैं. हम बात कर रहे हैं नीरज चोपड़ा की. जिन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है. नीरज की इस उपलब्धि पर जश्न का माहौल है.
बढ़ रहा जैवलिन का क्रेज: जब से नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है. तब से हरियाणा में जैवलिन की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. जैवलिन थ्रो के सबसे ज्यादा खिलाड़ी पानीपत जिले से सामने आ रहे हैं. सिर्फ युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्गों पर भी जैवलिन थ्रो का खुमार सिर पर चढ़ा है. पानीपत की 80 साल की दादी दर्शाना देवी जैवलिन थ्रो में वर्ल्ड मास्टर एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.
80 की उम्र में दर्शना देवी रोज सुबह और शाम स्टेडियम में जाकर भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती हैं. पानीपत के जिस स्टेडियम में नीरज चोपड़ा प्रैक्टिस करते थे. उस स्टेडियम में सुबह शाम आपको खिलाड़ी जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते नजर आ जाएंगे. कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी हैं जो पहले क्रिकेट, कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे खेलों की तैयारी कर रहे थे, लेकिन नीरज चोपड़ा को देखकर उन्होंने अपना खेल बदलकर जैवलिन हाथ में थाम लिया.
नीरज चोपड़ा पानीपत जिले के खंडरा गांव के निवासी हैं. उन्होंने पानीपत के शिवाजी स्टेडियम से ही जैवलिन की शुरुआत की थी. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से अकेले खंडरा गांव के 70 से ज्यादा युवा भाला फेंक गेम का अभ्यास कर रहे हैं. हरियाणा के बाकी जिलों में भी जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है. नीरज चोपड़ा की एक के बाद एक उपलब्धियों को देखते हुए युवा दूसरे गेम्स को छोड़कर भाला फेंक की तरफ रुख कर रहे हैं.
पानीपत शिवाजी स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी रोमित ने बताया कि वो पहले दूसरे खेलों में हिस्सा लेते थे. जब से नीरज चोपड़ा ने खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है, तो उन्होंने अपना गेम बदल लिया और आज वो जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनका कहना है कि पानीपत में जैवलिन को लेकर अच्छे कोच आसानी से मिल रहे हैं. सरकार की तरफ से भी अच्छी सुविधा उन्हें दी जा रही है. इससे उन्हें काफी मदद मिल रही है.
10 साल की उम्र है परफेक्ट: नीरज के फिटनेस कोच रहे जितेंद्र जागलान ने बताया कि एक अच्छा एथलीट बनने के लिए बड़ी मेहनत लगती है. बच्चे की शुरुआत अगर 10 साल की उम्र से की जाए, तो वो बेहतर होती है. छोटी उम्र से ही अगर एक खिलाड़ी के शरीर में लचीलापन और टेक्निक आ जाए तो, वो आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक से पहले बहुत की कम लोग जैवलिन थ्रो के बारे में जानते थे. आज बच्चा-बच्चा नीरज चोपड़ा बनने के सपने देख रहा है. जितेंद्र जागलान ने बताया कि 10 से लेकर 14 साल के बच्चे इस गेम में हिस्सा ले रहे हैं.