नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) की ओर से बुधवार को कहा गया कि 'रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम' के दिल्ली-मेरठ गलियारे पर निर्माणाधीन आनंद विहार स्टेशन पर पाइपलाइन, सीवर संबंधी अलग-अलग कार्यों (यूटिलिटी डाइवर्जन वर्क) के लिए 'माइक्रो टनलिंग' तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उसने बताया कि यहां पर यूटिलिटी डाइवर्जन वर्क दिल्ली जल बोर्ड की सीवर लाइन से संबंधित है. सीवर लाइन इस स्थान पर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के गलियारे से होकर गुजर रही है.
दिल्ली-मेरठ गलियारा 82 किमी लंबा है और इस पर आरआरटीएस के 22 स्टेशन हैं जिनमें से चार दिल्ली में होंगे. यह गलियारा राष्ट्रीय राजधानी को गाजियाबाद, मोदी नगर और मेरठ से जोड़ेगा.
एनसीआरटीसी ने एक वक्तव्य में कहा, 'माइक्रो टनलिंग तकनीक भूमिगत सुरंग निर्माण की तकनीक है जिसका आमतौर पर इस्तेमाल जलनिकासी पाइपलाइन समेत अन्य कामों की खातिर छोटी-छोटी सुरंगे बनाने के लिए किया जाता है ताकि निर्माण के दौरान आम लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो.'
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इसमें बताया गया कि उपरोक्त तकनीक के इस्तेमाल से उस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही प्रभावित नहीं होती और इसका इस्तेमाल खासतौर से व्यस्त इलाकों में किया जाता है.
उल्लेखनीय है कि आनंद विहार आरआरटीएस यात्रियों के आवागमन के लिहाज से बहुत व्यस्त इलाका है. यहां पर मेट्रो की दो लाइन, एक रेलवे स्टेशन और दो अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) हैं.
(पीटीआई-भाषा)