जम्मू : नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (National Conference vice president Omar Abdullah) ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी नेताओं की बेंगलुरु में होने वाली अगली बैठक में शामिल होगी. अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को (17 और 18 जुलाई को होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक) निमंत्रण मिला है और उन्होंने इसमें शामिल होने का फैसला किया है. बैठक में पार्टी का प्रतिनिधित्व कौन करेगा यह अब तक तय नहीं किया गया है.' विपक्षी नेताओं की 23 जून को पटना में हुई बैठक का संदर्भ देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि उक्त बैठक अगले संसदीय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए थी.
अब्दुल्ला ने हालांकि, जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं की संभावित एकता पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'राज्य स्तर पर रणनीति को कैसे लागू किया जाएगा यह हम पर छोड़ देना चाहिए. हम देखेंगे कि स्थिति कैसी होती है और क्या किया जा सकता है. (जम्मू-कश्मीर विधानसभा)चुनाव का बिगुल अभी बजा नहीं है और आप चाहते हैं कि हम अपनी रणनीति पहले ही सार्वजनिक कर दें.' इससे पहले उमर अब्दुल्ला पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के लिए यहां पहुंचे. इस दौरान पूर्व एमएलसी सुरिंदर चौधरी नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए.
वहीं श्रीनगर में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है क्योंकि चुनाव जीतना उतना आसान नहीं होगा जितना वह दिखाना चाहती है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पिछले पांच-आठ वर्षों में भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ दोस्ती का कहीं भी सम्मान नहीं किया लेकिन अब मजबूरी में मेल-मिलाप की कोशिश कर रही है.
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा को अपना एजेंडा तय करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा के एजेंडे का समर्थन नहीं करती, लेकिन अगर ऐसा कोई कानून लागू किया जाता है तो किसी भी समुदाय के लिए कोई छूट नहीं होनी चाहिए, यहां तक कि आदिवासियों के लिए भी नहीं. भाजपा द्वारा यूसीसी जैसे मूल मुद्दे उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि भाजपा किस तरह से राजग को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है. यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा को लगता है कि जमीनी हालात उसके पक्ष में नहीं है.'
अब्दुल्ला ने कहा, 'एक-एक करके, उसके दोस्त चले गए. उनके सबसे पुराने दोस्त जैसे कि शिवसेना या अकाली दल या अन्य पार्टियां. इसलिए, जो बदलाव हुआ है वह यह कि भाजपा मजबूरी में दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है ताकि राजग को फिर से मजबूत किया जा सके.' उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में भाजपा चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) से बात कर रही है और पंजाब में अकाली दल को वापस गठबंधन में लाने की कोशिश कर रही है.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘वे महाराष्ट्र में शिवसेना से बात कर रहे हैं. इसलिए, भाजपा के मूल एजेंडे को छोड़ दें, भाजपा जिस आधार को अपने पक्ष में बताती है, वास्तविकता यह है कि 2024 (चुनाव) उनके लिए उतना आसान नहीं होगा जितना वे आपके (मीडिया) माध्यम से लोगों को दिखाना चाहते हैं.' अब्दुल्ला ने कहा कि यूसीसी के बारे में अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए विरोध या समर्थन करने जैसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, 'मेरे पास पहले दस्तावेज या प्रस्ताव जैसा कुछ होना चाहिए. चूंकि अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है इसलिए हम सिर्फ हवा में बातें कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'प्रस्ताव आने दीजिए, उसे संसद में पेश होने दीजिए, फिर अगर कोई बात किसी समुदाय के खिलाफ होगी तो हम उसका विरोध करेंगे. लेकिन, जब कोई प्रस्ताव ही नहीं है तो हम विरोध क्या करेंगे?'
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(अतिरिक्त इनपुट-भाषा)