लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (National Botanical Research Institute एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने हर्बल फूड कलर (Herbal Food Color) बनाया है. खास बात यह है कि ये कलर वेस्ट मैटेरियल (Waste material) से तैयार किए गए हैं. पीले रंग के लिए गेंदा, लाल रंग के लिए प्याज के छिलके और हरे रंग को बनाने के लिए जलकुंभी इत्यादि का इस्तेमाल किया गया है. वैज्ञानिक महेश पाल के अनुसार, तीन से चार साल की मेहनत का यह सफल नतीजा है.
वैज्ञानिक महेश पाल बताते हैं कि साल 2018 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (Government of India) ने हमें सस्ते दरों में फूड्स रंग बनाने के लिए कहा था. 2018 से ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया था. वेस्ट मैटेरियल को इकट्ठा कर स्टूडेंट्स ने काफी काम किया. हर वक्त हर्बल फूड रंग को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया. पीले रंग को बनाने के लिए गेंदे के फूल का इस्तेमाल किया गया है लाल रंग को बनाने के लिए मंडियों से प्याज के छिलके इकट्ठा किए गए. तालाबों की जलकुंभी से हरे रंग का फूड कलर बनाया है.
वैज्ञानिक महेश पाल ने बताया कि हर्बल फूड्स रंग को बनाने में किसी भी हैवी मैटेरियल लैड, कॉपर और जिंक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. महेश पाल ने बताया कि बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक फूड्स कलर बेहद खतरनाक होते हैं. उसमें भारी मात्रा में हैवी मैटेरियल का मिश्रण किया जाता है. इनके ज्यादा उपयोग से कैंसर जैसी बड़ी बीमारी का खतरा बना रहता है. हर्बल फूड्स रंग सिंथेटिक फूड्स रंग से बिल्कुल अलग है. क्योंकि इसमें किसी प्रकार की केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. दिखने में भी बेहद आकर्षक और खाने का जायका बढ़ाने में मददगार होंगे.
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वैज्ञानिक ने बताया कि एनबीआरआई से तैयार हर्बल फुड्स रंग जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होंगे. बाजार में उतारने से पहले कई कंपनियों से बातचीत चल रही है. आने वाले दो दिनों में इस विषय में मीटिंग भी है. उसमें इन हर्बल फुड्स कलर का प्रेजेंटेशन करेंगे. मार्केट में जब यह रंग आएगा तो इसके दाम कम ही रहेंगे, ताकि आम लोग इसे आसानी से खरीद सकें.