रांचीः भाकपा माओवादियों ने अपने केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के विरोध में 20 नवंबर को भारत करने की घोषणा की है. इसके साथ ही आज यानी 15 नवंबर से 19 नवंबर तक प्रतिरोध दिवस मनाने का ऐलान किया है. भाकपा माओवादी के पूर्वी रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता संकेत ने सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है.
पूर्वी रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता संकेत ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 12 नवंबर की सुबह संगठन के वरिष्ठ और बुजुर्ग केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो के मेंबर प्रशांत बोस और उनकी पत्नी केंद्रीय कमेटी के सदस्य शीला मरांडी को झारखंड पुलिस की ओर से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दोनों को उस समय गिरफ्तार किया, जब वह अपना इलाज करवाने के लिए जा रहे थे.
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विज्ञप्ति के माध्यम से यह आरोप लगाया है कि दोनों के ऊपर पुलिस जुल्म कर रही है. प्रशांत और शीला को इलाज की जरूरत है, लेकिन उन्हें जेल भेज दिया गया है. संकेत ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 75 वर्षीय प्रशांत बोस और 61 वर्षीय शीला दोनों ही वृद्ध हैं और अस्वस्थ चल रहे है. इसके बावजूद पुलिस हिरासत में दोनों से पूछताछ के दौरान शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं.
आज से प्रतिरोध दिवस
भाकपा माओवादियों ने यह ऐलान किया है कि केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के खिलाफ आज यानी 15 नवंबर से लेकर 19 नवंबर तक प्रतिरोध दिवस मनाया जाएगा. इसके साथ ही 20 नवंबर को एकदिवसीय भारत बंद की जाएगी. उन्होंने मांग की है कि प्रशांत बोस को राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर बिना शर्त रिहा किया जाए.
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बढ़ाई गई जेल की सुरक्षा
प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. इसके साथ ही सरायकेला जेल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इसकी वजह है कि सरायकेला जेल में प्रशांत और उसकी पत्नी बंद है. वहीं, नक्सलियों के प्रतिरोध दिवस को देखते हुए भी नक्सल प्रभावित जिलों को अलर्ट कर दिया गया है. सुरक्षाबलों को अभियान के दौरान पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है.
पांच दशक से था सक्रिय
भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड और बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था.
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इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की पुलिस के साथ साथ केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.