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Navratri 2023 में किस सवारी पर आ रहीं हैं माता रानी, जानिए क्या शुभ फल देकर जाएंगी नौ देवियां

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2023) 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. इस बार देवी मां किस सवारी से आएंगी और किससे विदा होंगी, इसके क्या फायदे और नुकसान होंगे, जानिए इस रिपोर्ट में.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 4:37 PM IST

वाराणसी: देवी आराधना का पर्व नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. माता की साधना और देवी के विशेष अनुष्ठान के लिए नवरात्र विशेष फलदाई होता है. वैसे तो नवरात्र के नौ दिन अपने आप में शक्ति प्रदान करते हैं और ऊर्जा से हर किसी को भर देते हैं लेकिन, इस दौरान माता का आना और जाना विशेष महत्व रखता है. सनातन धर्म में नवरात्र के पावन पर्व पर मां दुर्गा हर वर्ष एक नई सवारी पर आती हैं और फिर नई सवारी से ही वापस जाती हैं, जो पूरे वर्ष भर का फल निर्धारित करता है कि क्या अच्छा होगा और क्या बुरा.

किस सवारी पर आएंगी देवी मां, किस पर होगी विदाईः इस बार माता का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है, जबकि माता की विदाई महिष यानी भैंसा से होगी. माता के इस साल आगमन और गमन पर क्या इसका प्रतिफल होगा. इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय ने इसका प्रभाव स्पष्ट तौर पर बताया. उनका कहना है कि माता का आगमन घोड़े पर होने का अर्थ यह माना जा सकता है कि राजनीतिक अस्थिरता इस वर्ष देखने को मिलेगी, जबकि यदि माता दुर्गा महिष यानी भैंस से जा रही हैं तो रोग और शोक का कारक है. यानी देश में तरह-तरह की बीमारियां बढ़ेंगी और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

देवी के नौ स्वरूप की होती है पूजाः प्रोफेसर विनय का कहना है कि नवरात्र के पावन पर्व पर देवी के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं. हर दिन अलग-अलग रूप के पूजन का विधान है. दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णन भी किया गया है. जिसमें देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार देवताओं के साम्राज्य को स्थापित करने के लिए राक्षसों का वध किया इसका वर्णन भी आता है.

देवी मां के कवच का पाठ करने का फलः उन्होंने बताया कि नवरात्र के पावन पर्व पर देवी आराधना विशेष फलदाई है लेकिन यदि शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी तरह का कष्ट है तो दुर्गा सप्तशती का सिर्फ एक अध्याय, जिसे कवच के नाम से जाना जाता है, किया जाए तो बड़ा प्रभाव होता है. नौ दिन तक देवी के आगे बैठकर इस पाठ को करने मात्र से ही आपके जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे और देवी का कवच आपके जीवन पर इस तरह से बनेगा कि आप सदैव प्रसन्नचित रहेंगे.

देवी मां की आराधना कैसे करेंः वैसे तो दुर्गा सप्तशती में कवच, कीलक और अर्गला यह तीन अध्याय होने के बाद कुल 13 अध्याय अलग से हैं, जिनका नौ दिन तक अध्ययन करना माना जाता है लेकिन यदि आप संस्कृत में नहीं कर सकते तो हिंदी की पुस्तक भी उपलब्ध है.

ये भी पढ़ेंः क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और देवी आह्वान का तरीका

ये भी पढ़ेंः किस दिन देवी मां के किस स्वरूप की होगी पूजा

ये भी पढ़ेंः Navratri 2023 के लिए तैयार हो रहीं ईको फ्रेंडली देवी मां की मूर्तियां, पराली का हो रहा प्रयोग

वाराणसी: देवी आराधना का पर्व नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. माता की साधना और देवी के विशेष अनुष्ठान के लिए नवरात्र विशेष फलदाई होता है. वैसे तो नवरात्र के नौ दिन अपने आप में शक्ति प्रदान करते हैं और ऊर्जा से हर किसी को भर देते हैं लेकिन, इस दौरान माता का आना और जाना विशेष महत्व रखता है. सनातन धर्म में नवरात्र के पावन पर्व पर मां दुर्गा हर वर्ष एक नई सवारी पर आती हैं और फिर नई सवारी से ही वापस जाती हैं, जो पूरे वर्ष भर का फल निर्धारित करता है कि क्या अच्छा होगा और क्या बुरा.

किस सवारी पर आएंगी देवी मां, किस पर होगी विदाईः इस बार माता का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है, जबकि माता की विदाई महिष यानी भैंसा से होगी. माता के इस साल आगमन और गमन पर क्या इसका प्रतिफल होगा. इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय ने इसका प्रभाव स्पष्ट तौर पर बताया. उनका कहना है कि माता का आगमन घोड़े पर होने का अर्थ यह माना जा सकता है कि राजनीतिक अस्थिरता इस वर्ष देखने को मिलेगी, जबकि यदि माता दुर्गा महिष यानी भैंस से जा रही हैं तो रोग और शोक का कारक है. यानी देश में तरह-तरह की बीमारियां बढ़ेंगी और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

देवी के नौ स्वरूप की होती है पूजाः प्रोफेसर विनय का कहना है कि नवरात्र के पावन पर्व पर देवी के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं. हर दिन अलग-अलग रूप के पूजन का विधान है. दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णन भी किया गया है. जिसमें देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार देवताओं के साम्राज्य को स्थापित करने के लिए राक्षसों का वध किया इसका वर्णन भी आता है.

देवी मां के कवच का पाठ करने का फलः उन्होंने बताया कि नवरात्र के पावन पर्व पर देवी आराधना विशेष फलदाई है लेकिन यदि शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी तरह का कष्ट है तो दुर्गा सप्तशती का सिर्फ एक अध्याय, जिसे कवच के नाम से जाना जाता है, किया जाए तो बड़ा प्रभाव होता है. नौ दिन तक देवी के आगे बैठकर इस पाठ को करने मात्र से ही आपके जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे और देवी का कवच आपके जीवन पर इस तरह से बनेगा कि आप सदैव प्रसन्नचित रहेंगे.

देवी मां की आराधना कैसे करेंः वैसे तो दुर्गा सप्तशती में कवच, कीलक और अर्गला यह तीन अध्याय होने के बाद कुल 13 अध्याय अलग से हैं, जिनका नौ दिन तक अध्ययन करना माना जाता है लेकिन यदि आप संस्कृत में नहीं कर सकते तो हिंदी की पुस्तक भी उपलब्ध है.

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