सोलन: देश की मशरूम सिटी ऑफ इंडिया सोलन में रविवार को राष्ट्रीय मशरूम मेले का आयोजन हुआ. जिसमें खास बात यह रही कि इस मेले में एक लाख प्रति किलो बिकने वाली मशरूम भी लोगों का आकर्षण का केंद्र बनी. वहीं, 7 किस्म की मशरूम की प्रजातियों का यहां पर प्रदर्शन किया गया था. जिसकी जानकारी जुटाने के लिए किसान और वैज्ञानिक भी उत्सुक दिखे.
देशभर के करीब 15 से 16 राज्यों के किसान इस राष्ट्रीय मेले में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. वहीं, दूसरी तरफ खुंब निदेशालय सोलन की ओर से G-20 सम्मेलन में भी आईसीएआर के जरिए हिस्सा लिया गया था. G-20 सम्मेलन में भी सात किस्म की मशरूम की प्रदर्शनी लगाई थी. जहां पर विदेशी मेहमानों ने इसका जायजा लिया और इसके बारे में जानकारी हासिल की. जानते हैं किस तरह से मशरूम सिटी ऑफ इंडिया सोलन में आयोजित राष्ट्रीय खुंब मेले में मशरूम की 7 प्रजातियों को की प्रदर्शनी लगाई गई थी, और कौन-कौन सी यह प्रजातियां थी.
शिटाके मशरूम (Shiitake Mushroom): शिटाके मशरूम ज्यादातर पूर्व एशिया में पाए जाने वाला एक खाद्य फंगस है. इसका साइंटिफिक नाम Lentinula edodes है. यह मशरूम की ऐसी प्रजाति है,जो कैंसर और एड्स जैसे भयानक रोगों से लड़ता है. यह स्टमक और कोलोरेक्टल कैंसर में उपयोगी होती है. यह मशरूम कैंसर की दवाई लेटाइनन का मुख्य स्त्रोत है. इस मशरूम का एक्सट्रैक्ट दवाई बनाने के लिए उपयोग में आता है. इस औषधीय मशरूम में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी ऐजिंग के गुणों के साथ-साथ विटामिन डी का भी काफी अच्छा स्रोत होता है. साथ ही, इसमें सेलेनियम और जिंक की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है. जिसकी वजह से इस मशरूम का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. इसके नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाया जा सकता है.
गैनोडर्मा मशरूम (Ganoderma Mushroom): भारत के किसान अतिरिक्त आमदनी के लिये खेती और पशुपालन के साथ-साथ मशरूम की खेती भी कर रहे हैं. मशरूम की साधारण किस्में इन किसानों के लिये असाधारण कमाई का जरिया बनती जा रही है. बाजार में एक मशरूम की किस्म ऐसी भी है, जिसकी खेती से 4 लाख तक की आमदनी आराम से हो सकती है. इस चमत्कारी मशरूम का नाम है गैनोडर्मा ल्यूसिडम. गैनोडर्मा मशरूम में चमत्कारी औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिनसे डायबिटीज, कैंसर, सूजन, अल्सर के साथ-साथ बैक्टीरिया और त्वचा से जुड़ी समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है.
हिरेशियम मशरूम (Hericium Mushroom): आयरन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम हिरेशियम मशरूम बंद पड़ी दिमाग की नसें खोलने के साथ-साथ याददाश्त भी बढ़ाती है. राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान केंद्र सोलन के वैज्ञानिकों ने औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम की यह किस्म तैयार की है. यह मशरूम नर्वस सिस्टम को बिगड़ने नहीं देगी और दिमाग की नसों को खोलने सहित भूलने की बीमारी भी दूर करती है.
बटन मशरूम (Button Mushroom): बटन मशरूम शीतकालीन छत्रक है, जो पमैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम (अक्टूबर से मार्च) में उगायी जाती है. इसकी उपज के लिए तापमान 16 से 25 डिग्री तापमान आवश्यक होता है. कवक जाल बढ़वार के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है. फसल उत्पादन अवस्था के लिए 16 से 2 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक अनुकूल रहता है. अक्सर इसी मशरूम को ज्यादातर खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
ढींगरी मशरूम (Oyster Mushroom): भारत में मशरूम का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. खुंबी की कई प्रजातियां भारत में उगाई जाती हैं. फ्ल्यूरोटस की प्रजातियों को सामान्यतः ढींगरी खुंबी कहते हैं. अन्य खुंबियों की तुलना में सरलता से उगाई जाने वाली ढींगरी खुंबी खाने में स्वादिष्ट, सुगन्ध्ति, मुलायम तथा पोषक तत्वों से भरपूर होती है.
साइजोफेलम मशरूम (Schizophyllum Commune): यह मशरूम की प्रजाति मृत लकड़ी (सैप्रोबिक) पर उगाई जाती है, यह मशरूम लहरदार किनारों के साथ पंखे के आकार का और झुका हुआ प्रतीत होता है. ऊपरी सतह बालों वाली, भूरे सफेद रंग की है. निचली सतह गिल जैसी परतों से बनी होती है जो बीच में सफेद से भूरे रंग में विभाजित होती हैं. फलों का शरीर बिना तने वाला, सख्त, चमड़े जैसा और पीला गूदा वाला होता है. यह प्रजाति खाने योग्य है और मेक्सिको और कुछ उष्णकटिबंधीय देशों में व्यापक रूप से खाई जाती है. हालांकि, अमेरिका और यूरोप में इसे स्वाद मानकों में अंतर के कारण अखाद्य माना जाता है और इसकी कठोर बनावट के कारण भी हो सकता है. उत्तर-पूर्व भारत में, यह मणिपुरी के पानकम में एक पसंदीदा घटक है, जबकि मिजोरम में यह मिजो समुदाय में सबसे अधिक रेटिंग वाले खाद्य मशरूम में से एक है.
कॉर्डिसेप्स मशरूम (Cordyceps Mushroom): सोलन में आयोजित राष्ट्रीय मशरूम मेले में आकर्षण का केंद्र 1 लाख रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाली मशरूम कॉर्डिसेप्स मशरूम बनी हुई है जिसे देखने के लिए लोग आगे आ रहे हैं. खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन में कॉर्डिसेप्स मशरूम के वैज्ञानिक डॉ. सतीश ने बताया कि यह मशरूम काफी अच्छी है और स्वास्थ्य के क्षेत्र से भी काफी अहम मानी जाती है. चीन, थाईलैंड और मलयेशिया के बाद अब भारत में भी हिमालय में उगने वाली औषधीय कॉर्डिसेप्स मिलिटेयर्स मशरूम तैयार होती है और किसान भी इसकी खेती करते है.
इस मशरूम में एंटी कैंसर, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी डायबिटिक, एंटी एजिंग, एनर्जी और इम्युनिटी बूस्टिंग गुण शामिल हैं. डॉ. सतीश ने बताया कि कॉर्डिसेप्स परजीवी मशरूम की एक प्रजाति है. यह मशरूम कम तापमान में पनपती है. इसे कीड़ा जड़ी भी कहा जाता है. डॉ. सतीश बताते है कि यह मशरूम शरीर में स्टेमिना और इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाती है. साथ ही कई रोगों को ठीक करने में कारगर है. यह मशरूम कैंसर, शुगर, थायराइड, अस्थमा, हाई बीपी, दिल की बीमारी, गठिया हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों के लिए संजीवनी का काम करती है. बता दें कि खुंब अनुसंधान केंद्र हर साल मशरूम की नई प्रजातियों को इजाद करता है और किसानों को भी इसका प्रशिक्षण देता है.