बैंकॉक : म्यांमार के राष्ट्रवादी बौद्ध भिक्षु वीराथु को सोमवार को जेल से रिहा कर दिया गया. वह मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. देश की पूर्ववर्ती असैन्य सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने का प्रयास करने के आरोप हटाए जाने के बाद उन्हें रिहा किया गया.
यह आरोप यांगून क्षेत्र सरकार द्वारा मई 2019 की शुरुआत में की गई टिप्पणी के लिए लाया गया था, जिसमें आंग सान सू की का अपमान शामिल था, जो उस समय म्यांमार की नेता थीं. इस साल फरवरी में एक सैन्य अधिग्रहण में उनकी सरकार को हटा दिया गया था.
ऑनलाइन समाचार वेबसाइट पीपुल मीडिया ने कहा कि उसे मेजर जनरल जाव मिन तुन ने वीराथु की रिहाई की पुष्टि की है. वीराथु के मित्र और बौद्ध भिक्षु कार्यकर्ता पार माउंट खा ने पुष्टि की कि आरोप हटा लिए गए हैं. उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि वीराथु को रिहा कर दिया गया है. हम उनकी रिहाई का स्वागत करते हैं.
मेजर जनरल जाव मिन तुन म्यामांर की सेना के प्रवक्ता हैं जो तातमादाव के नाम से जाने जाते हैं.
2012 में पश्चिमी राज्य रखाइन में बौद्धों और जातीय अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के बीच हुए घातक दंगों के बाद भिक्षु, विराथु सुर्खियों में छा गए. उन्होंने एक राष्ट्रवादी संगठन की स्थापना की जिस पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था.
पढ़ें : म्यांमार में आखिर क्यों रंग बदल रहा है तानाशाह, आंग सान सू की का क्या होगा?
सरकार और कानून के खिलाफ जानें के कारण विराथु को एक अदालत ने दंड संहिता की एक धारा के तहत गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था. वह 2019 से भगोड़ा थे. हालांकि, पिछले नवंबर में वे खुद को कानून के हवाले करने के लिए आगे आए थे.
विराथु और उनके समर्थकों द्वारा राष्ट्रवादी अभियान शुरू करने के बाद अन्य जातीय समूहों और अन्य क्षेत्रों के मुसलमानों को भी अपमान और कभी-कभार हिंसा का सामना करना पड़ा. टाइम मैगजीन (Time Magazine) ने 2013 में एक कवर स्टोरी में विराथु को द फेस ऑफ बुद्धिस्ट टेरर (The Face of Buddhist Terror) कहा था. बता दें कि, विराथु और उनके समर्थक अंतर्धार्मिक विवाहों को कठिन बनाने वाले कानूनों की पैरवी करने में भी सफल रहे.