नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) गुरुवार को दिल्ली स्थित एक मस्ज़िद और एक मदरसे में पहुंचे. उन्होंने वहां मुस्लिम समाज के कुछ इमाम और अन्य बुद्धिजीवियों से मुलाकात की, जिसके बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया और एक नई बहस भी छिड़ गई. आरएसएस की तरफ से जारी व्यक्तव्य में कहा गया कि यह एक सतत चलने वाली संवाद प्रक्रिया है और संघ प्रमुख समाजिक जीवन में विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते रहते हैं.
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष की ओर से असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि भागवत से मिलने वाले लोग कथित तौर पर मुस्लिम एलीट तबके के लोग हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा से सभी वाकिफ हैं, लेकिन ये लोग उनसे मिल रहे हैं. ये लोग जो खुद को ज्ञानी समझते हैं उन्हें जानकारी नहीं है कि जमीन पर हकीकत क्या है. ओवैसी ने आगे कहा कि किसी से मिलना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है और वह इस पर कोई सवाल नहीं करेंगे, लेकिन ऐसे लोगों को फिर उनके ऊपर भी सवाल नहीं उठाने चाहिये.
हालांकि मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने मोहन भागवत से मिलने वाले मुस्लिम प्रतिनिधियों को सरकारी दरबारी मुसलमान बताते हुए सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत और मुस्लिम समाज के कुछ नेताओं, व्यवसायी और बुद्धिजीवियों के साथ बैठक का आयोजन कराने वाले लोग इम्पार (IMPAR) नाम के संगठन से ताल्लुक रखते हैं. यह संगठन सरकार के दरबारी मुसलमानों का एक नेटवर्क है. इस तरह के सोशल मीडिया पोस्ट को असदुद्दीन ओवैसी का भी समर्थन मिला और ट्विटर पर ओवैसी ने इसे शेयर भी किया.
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अब इम्पार (Indian Muslims for Progress and Reforms) का इस पूरे प्रकरण पर बयान सामने आया है. इम्पार के अध्यक्ष एमजे खान ने स्पष्ट किया है कि संघ प्रमुख और मुस्लिम प्रतिनिधियों की बैठक करवाने में उनकी संस्था की कोई भूमिका नहीं रही है. संस्था के खिलाफ मुस्लिम समाज में दुष्प्रचार किया जा रहा है. जिन पांच प्रमुख मुस्लिम प्रतिनिधियों की मोहन भागवत से मुलाकात हुई वह पहले ही इम्पार से अलग होकर अपनी अलग संस्था बना चुके हैं. एमजे खान ने बताया कि कुल सात लोग इम्पार से इसी मुद्दे पर अलग हो गए थे, क्योंकि वह चाहते थे कि संगठन को आरएसएस और भाजपा से मिल कर काम करना चाहिये.
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इस मामले में संस्था के अध्यक्ष का पक्ष था कि सरकार से समन्वय संभव है, लेकिन राजनीतिक पार्टी या आरएसएस से मिलना उनकी प्राथमिकता का हिस्सा नहीं रहा. इस तरह से आरएसएस प्रमुख की मुस्लिम प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद मुस्लिम समाज से ही सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ इसे एक सकारात्मक पहल बता रहे हैं तो कुछ लोग कह रहे हैं कि मुस्लिम समाज के कुछ प्रमुख नेता ही अब आरएसएस की विचारधारा को जानते हुए भी उनके साथ बैठ रहे हैं.
बता दें कि मोहन भागवत ने गुरुवार को ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष उमर अहमद इलियासी से दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित एक मस्ज़िद में मुलाकात की थी. एक घंटे से ज्यादा तक चली मुलाकात के बाद इलियासी ने उन्हें राष्ट्रपिता कहते हुए संबोधित किया था. इसके बाद भागवत पुरानी दिल्ली स्थित एक मदरसा में भी पहुंचे थे. पिछले महीने 22 अगस्त को भागवत ने दिल्ली स्थित संघ मुख्यालय में पांच और मुस्लिम प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की थी.