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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम पर जताया ऐतराज

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Published : Jan 4, 2022, 3:21 PM IST

स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम (Surya Namaskar in schools) आयोजित किए जाने के निर्देश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है. बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष बहु-धार्मिक और बहु-संस्कृतिक देश है. इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है.

Surya Namaskar program
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

लखनऊ : स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम (Surya Namaskar in schools) आयोजित किए जाने के निर्देश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है. बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष बहु-धार्मिक और बहु-संस्कृतिक देश है. इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है. स्कूल की पाठ्यचर्या और अपाठ्यचर्या में भी इसका ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. संविधान हमें अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाए या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किए जाए.

  • All India Muslim Personal Law Board opposes Govt directive to organize 'Surya Namaskar' program in schools between Jan 1-Jan 7 on the 75th anniversary of Independence Day; says 'Surya Namaskar' is a form of Surya puja and Islam does not allow it pic.twitter.com/KcUq2xAGIm

    — ANI (@ANI) January 4, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक संप्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि जैसा कि तथ्य से स्पष्ट है कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है. जिसमें 30000 स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा.

1-7 जनवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है. आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से निर्देशित किया गया है. मौलाना ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक असंवैधानिक कृत्य है और देश प्रेम का झूठा प्रचार है. सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है.

इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करें. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने जारी किए हुए बयान में कहा कि यदि सरकार चाहे तो देश प्रेम की भावना को उभारने के लिए राष्ट्रगान पढ़वाए.

यह भी पढ़ें- 20 बार सूर्य नमस्कार में एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ विपुल का नाम

सरकार देश प्रेम का हक अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें और देश में बढ़ती बेरोजगारी व महंगाई पर ध्यान दें. मौलाना ने कहा कि आपसी नफरत का औपचारिक प्रचार, मुद्रा का अवमूल्यन, देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता और सरकार की ओर से सार्वजनिक संपत्ति की निरंतर बिक्री दअरसल वास्तविक मुद्दे हैं. इन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. मौलाना रेहमानी ने कहा कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना जरूरी है.

लखनऊ : स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम (Surya Namaskar in schools) आयोजित किए जाने के निर्देश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है. बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष बहु-धार्मिक और बहु-संस्कृतिक देश है. इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है. स्कूल की पाठ्यचर्या और अपाठ्यचर्या में भी इसका ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है. संविधान हमें अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाए या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किए जाए.

  • All India Muslim Personal Law Board opposes Govt directive to organize 'Surya Namaskar' program in schools between Jan 1-Jan 7 on the 75th anniversary of Independence Day; says 'Surya Namaskar' is a form of Surya puja and Islam does not allow it pic.twitter.com/KcUq2xAGIm

    — ANI (@ANI) January 4, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक संप्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि जैसा कि तथ्य से स्पष्ट है कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है. जिसमें 30000 स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा.

1-7 जनवरी 2022 तक के लिए यह कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है. आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से निर्देशित किया गया है. मौलाना ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक असंवैधानिक कृत्य है और देश प्रेम का झूठा प्रचार है. सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है.

इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करें. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने जारी किए हुए बयान में कहा कि यदि सरकार चाहे तो देश प्रेम की भावना को उभारने के लिए राष्ट्रगान पढ़वाए.

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सरकार देश प्रेम का हक अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें और देश में बढ़ती बेरोजगारी व महंगाई पर ध्यान दें. मौलाना ने कहा कि आपसी नफरत का औपचारिक प्रचार, मुद्रा का अवमूल्यन, देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता और सरकार की ओर से सार्वजनिक संपत्ति की निरंतर बिक्री दअरसल वास्तविक मुद्दे हैं. इन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. मौलाना रेहमानी ने कहा कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में सम्मिलित होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना जरूरी है.

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