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हिजाब विवाद के बीच मुस्लिम परिवार ने स्कूल को दान की ढाई एकड़ जमीन - मुस्लिम परिवार ने स्कूल को दान की ढाई एकड़ जमीन

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच एक मुस्लिम परिवार चर्चा में है. दरअसल इस परिवार ने ढाई एकड़ जमीन सरकारी स्कूल (land to govt school) को दान में दी है. पढ़ें पूरी खबर.

Muslim family donate land
मुस्लिम परिवार ने स्कूल को दान की ढाई एकड़ जमीन
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Published : Feb 17, 2022, 4:42 PM IST

मैसूर: कर्नाटक में जहां एक ओर स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर तीखी बहस छिड़ी है, एक मुस्लिम परिवार ने सरकारी स्कूल को ढाई एकड़ जमीन दान में दी है (Muslim family donate land).

मैसूर जिले मरचल्ली गांव के महमूद जाफर के परिवार के पास 12 एकड़ जमीन है. महमूद जाफर का निधन हो चुका है. उनके चार बेटों ने गांव बचेगौदानहल्ली स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय को 60 लाख रुपये की ढाई एकड़ जमीन दान में दी है.

दरअसल महमूद जाफर ने स्कूल को जमीन दान करने की इच्छा जताई थी. बेटों ने उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी की. उनकी इच्छा के अनुसार कल उनके पुत्र महमूद राखीब ने एचडी कोटे उप पंजीयक कार्यालय को एक दान पत्र सौंपा.

मीडिया से बात करते हुए महमूद राखीब ने कहा, 'बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ने के लिए जगह की कमी है, साथ ही खेल का मैदान भी नहीं है. जमीन का इस्तेमाल अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने के लिए भी किया जाएगा.' अब शिक्षक और ग्रामीण, मुस्लिम परिवार के इस काम की काफी तारीफ कर रहे हैं.

पढ़ें- कर्नाटक विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस प्रमुख और मंत्री के बीच मारपीट होते-होते बची

मैसूर: कर्नाटक में जहां एक ओर स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर तीखी बहस छिड़ी है, एक मुस्लिम परिवार ने सरकारी स्कूल को ढाई एकड़ जमीन दान में दी है (Muslim family donate land).

मैसूर जिले मरचल्ली गांव के महमूद जाफर के परिवार के पास 12 एकड़ जमीन है. महमूद जाफर का निधन हो चुका है. उनके चार बेटों ने गांव बचेगौदानहल्ली स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय को 60 लाख रुपये की ढाई एकड़ जमीन दान में दी है.

दरअसल महमूद जाफर ने स्कूल को जमीन दान करने की इच्छा जताई थी. बेटों ने उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी की. उनकी इच्छा के अनुसार कल उनके पुत्र महमूद राखीब ने एचडी कोटे उप पंजीयक कार्यालय को एक दान पत्र सौंपा.

मीडिया से बात करते हुए महमूद राखीब ने कहा, 'बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ने के लिए जगह की कमी है, साथ ही खेल का मैदान भी नहीं है. जमीन का इस्तेमाल अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने के लिए भी किया जाएगा.' अब शिक्षक और ग्रामीण, मुस्लिम परिवार के इस काम की काफी तारीफ कर रहे हैं.

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