नई दिल्ली: उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में पिछले 17 दिनों से फंसे मजदूरों को अंतत: बाहर निकाल लिया गया है. यह रेस्क्यू कई टीमों की जी तोड़ मेहनत की बदौलत पूरा हुआ. इसमें 12 मीटर की खुदाई में किसी मशीन का इस्तेमाल नहीं करना था, जिसके लिए रैट माइंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. इस रैट माइंस तकनीक के तहत काम करने वालों में दिल्ली के मुन्ना कुरैशी ने भी अहम भूमिका निभाई.
दरअसल, राजीव नगर के रहने वाले मुन्ना, दिल्ली में रैट माइनर्स का काम करते हैं. उनकी टीम रैट माइनर्स टेक्नोलॉजी के जरिए सीवर की साफ सफाई में एक्सपर्ट है. जब उत्तरकाशी टनल में फंसे लोगों को निकालने के बारे में इस तरीके का इस्तेमाल किया गया, तब मुन्ना कुरैशी की टीम बुलाई गई, जिन्होंने हाथों से आखिरी के 12 मीटर का मलबा हटाया. मुन्ना की टीम में उनके साथ मोनू कुमार, वकील खान, फिरोज प्रसादी, विपिन व अन्य रैट माइनर्स भी शामिल रहे.
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इस तकनीक का इस्तेमाल मुख्यत: मेघालय की पहाड़ी इलाकों में किया जाता है. पहाड़ी इलाकों में कई गैर कानूनी कोयले की खदान है, जहां मशीनों को ले जाना मुश्किल है. ऐसे में कोयले तक पहुंचाने के लिए रैट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है और मजदूर हाथों से खदान खोदकर अंदर घुसते हैं. इसमें वापस आने के लिए रस्सी और बांस का सहारा लिया जाता है. पहले दिल्ली में सीवर की सफाई के लिए भी यह तरीका अपनाया जाता था, लेकिन अब इसपर रोक लगा दी गई है.
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