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MP Azab Gazab बिना बिजली खरीदे ही कर दिया 17 सौ करोड़ का भुगतान, भरपाई के लिए दरें बढ़ाने की तैयारी

बिजली कंपनियों से किए गए गैरजरूरी करार और बिजली कंपनियों के लगातार बढ़ते घाटे का बोझ एक बार फिर मध्यप्रदेश में आम जनता पर पड़ सकता है. बिजली कंपनियों का घाटा कम करने के लिए राज्य सरकार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की (Electricity rates increase soon) तैयारी कर रही है.

Paid 1700 crores without buying electricity
बिना बिजली खरीदे ही कर दिया भुगतान
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Published : Dec 27, 2022, 6:58 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली खरीदी के लिए किए गए करार कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं, जिसमें सरकार को बिजली खरीदे ही करोड़ों का भुगतान करना पड़ रहा है. पिछले तीन साल में ही सरकार 1773 करोड़ रुपए का भुगतान (Paid 1700 crores without buying electricity) कर चुकी है. वहीं, बिजली कंपनियों के घाटे की भरपाई के लिए एक बार फिर बिजली की दरें बढ़ाए जाने का विरोध शुरू हो गया है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बिजली की दरें न बढ़ाए जाने की मांग की है.

इसलिए देने पड़े सरकार को 17 सौ करोड़ : विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि पिछले तीन सालों में बिजली कंपनियों ने 1773 करोड़ का भुगतान उन पॉवर प्लांट को किया है, जिनसे एक भी यूनिट बिजली नहीं खरीदी गई. विधानसभा में सरकार द्वारा दिए गए जवाब में बताया गया कि साल 2019-20 में 494.25 करोड का भुगतान किया गया. साल 2020-21 में 908.27 करोड़ और साल 2021-22 में 371.19 करोड़ का भुगतान किया गया. इस तरह तीन साल में ही बिजली कंपनियों ने 1773.71 करोड़ का भुगतान कर दिया. इस नुकसान की भरपाई बिजली कंपनियां आम लोगों से वसूलने की तैयारी कर रहा है.

बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव : बिजली कंपनियों ने इसके लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है. बिजली दर में 3.20 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है. यह बढोत्तरी 1537 करोड़ की प्रस्तावित हानि के लिए की गई है. प्रस्ताव में बताया गया है कि कंपनियों को सभी मदों से 49530 करोड़ के राजस्व की जरूरत होगी, लेकिन राजस्व प्राप्ति 47992 करोड़ का ही प्राप्त होगा.

बिजली से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए अब आमजन को यह समिति देगी सलाह, हुआ गठन

कैसे सुधरे कंपनियों की हालत : तमाम प्रयासों के बाद भी बिजली कंपनियों का लाइनलॉस कम नहीं हो सका है. इसके उलट पिछले सालों में इसमें बढ़ोत्तरी हुई है. बिजली कंपनियों की तकनीकी और वाणिज्यिक हानि 15 फीसदी तक लानी थी, लेकिन यह 30 फीसदी से कम नहीं पहुंच पाई. गैरजरूरी करार सरकार और कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं. सरकार इन्हें चाहकर भी खत्म नहीं कर पा रही है. ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर के मुताबिक शर्तों के अनुसार ही पॉवर प्लांट कर राशि का भुगतान किया जा रहा है. नियमों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, जहां तक बिजली दरें बढ़ाने का सवाल है, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली खरीदी के लिए किए गए करार कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं, जिसमें सरकार को बिजली खरीदे ही करोड़ों का भुगतान करना पड़ रहा है. पिछले तीन साल में ही सरकार 1773 करोड़ रुपए का भुगतान (Paid 1700 crores without buying electricity) कर चुकी है. वहीं, बिजली कंपनियों के घाटे की भरपाई के लिए एक बार फिर बिजली की दरें बढ़ाए जाने का विरोध शुरू हो गया है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बिजली की दरें न बढ़ाए जाने की मांग की है.

इसलिए देने पड़े सरकार को 17 सौ करोड़ : विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि पिछले तीन सालों में बिजली कंपनियों ने 1773 करोड़ का भुगतान उन पॉवर प्लांट को किया है, जिनसे एक भी यूनिट बिजली नहीं खरीदी गई. विधानसभा में सरकार द्वारा दिए गए जवाब में बताया गया कि साल 2019-20 में 494.25 करोड का भुगतान किया गया. साल 2020-21 में 908.27 करोड़ और साल 2021-22 में 371.19 करोड़ का भुगतान किया गया. इस तरह तीन साल में ही बिजली कंपनियों ने 1773.71 करोड़ का भुगतान कर दिया. इस नुकसान की भरपाई बिजली कंपनियां आम लोगों से वसूलने की तैयारी कर रहा है.

बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव : बिजली कंपनियों ने इसके लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है. बिजली दर में 3.20 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है. यह बढोत्तरी 1537 करोड़ की प्रस्तावित हानि के लिए की गई है. प्रस्ताव में बताया गया है कि कंपनियों को सभी मदों से 49530 करोड़ के राजस्व की जरूरत होगी, लेकिन राजस्व प्राप्ति 47992 करोड़ का ही प्राप्त होगा.

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कैसे सुधरे कंपनियों की हालत : तमाम प्रयासों के बाद भी बिजली कंपनियों का लाइनलॉस कम नहीं हो सका है. इसके उलट पिछले सालों में इसमें बढ़ोत्तरी हुई है. बिजली कंपनियों की तकनीकी और वाणिज्यिक हानि 15 फीसदी तक लानी थी, लेकिन यह 30 फीसदी से कम नहीं पहुंच पाई. गैरजरूरी करार सरकार और कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं. सरकार इन्हें चाहकर भी खत्म नहीं कर पा रही है. ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर के मुताबिक शर्तों के अनुसार ही पॉवर प्लांट कर राशि का भुगतान किया जा रहा है. नियमों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, जहां तक बिजली दरें बढ़ाने का सवाल है, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.

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