जबलपुर। एमपी पुलिस अमले में शामिल हुई तीसरी आंख, अत्याधुनिक कैमरे से लैस एक मोबाइल वैन को जबलपुर पुलिस ने अपने बेड़े में शामिल किया है आने वाले चुनाव के मद्देनजर पुलिस की निगरानी की सुविधा बढ़ाने के लिए यह नई गाड़ी बनाई गई है इसमें कंट्रोल रूम में बैठे-बैठे ही अधिकारी पूरे जिले में आपात स्थितियों की निगरानी कर सकेंगे. राजनीतिक दलों के लिए अब मनमानी कठिन होगी.
सर्विलेंस मोबाइल व्हीकल: पुलिस की जीप में एक अत्याधुनिक सिस्टम लगाया गया है इस लाइव वैन में 4 कैमरे लगाए गए हैं जिनमें तीन कैमरे तीनों दिशाओं में स्थाई लगे हुए हैं और एक कैमरा मूवेबल है इसे ना केवल चारों तरफ घुमाया जा सकता है बल्कि लगभग 3 फीट तक ऊपर ले जाने के लिए इसमें एक लिफ्ट भी लगी हुई है. इस कैमरे से लगभग 300 मीटर दूर की वस्तु को जूम करके देखा जा सकता है. इसका नियंत्रण ड्राइवर सीट के ठीक बाजू में बैठे हुए अधिकारी के पास रहेगा.
कहीं भी जाने में सामर्थ्य: इस सिस्टम को लगातार चलाए रखने के लिए जीप के पीछे बड़ी-बड़ी बैटरी लगाई गई हैं ताकि यह कम से कम 24 घंटे तक बिना किसी समस्या के काम कर सके. बैटरी को चार्ज करने के लिए जीप पर एक सोलर पैनल भी लगाया गया है. यह जीप शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से आ जा सकती है. वहीं इन कैमरों से मिलने वाले आउटपुट को ना केवल गाड़ी के भीतर लगे हुए स्क्रीन पर देखा जा सकता है बल्कि इसका सीधा प्रसारण पुलिस कंट्रोल रूम तक भी करने की व्यवस्था इस गाड़ी में की गई है.
पुलिस की तीसरी आंख: जबलपुर के रेडियो एसपी जितेंद्र पटेल का कहना है कि आने वाले चुनाव के मद्देनजर इस वाहन को तैयार किया गया है क्योंकि सभी जगहों पर पुलिस पूरी नजर नहीं रख पाती लेकिन इस गाड़ी को उन जगहों पर तैनात किया जाएगा, जहां उपद्रव की स्थिति होगी या फिर राजनीतिक गहमागहमी की स्थिति होगी ताकि पुलिस के पास ना केवल निगाह रखने की सुविधा मिलेगी बल्कि घटनाक्रम के सबूत भी पुलिस के पास होंगे.
जितेंद्र पटेल का कहना है कि कई बार वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच पाते लेकिन इस तीसरी आंख के जरिए बिना मौके पर पहुंचे हुए भी वरिष्ठ अधिकारियों को पल-पल की जानकारी कंट्रोल रूम में बैठे हुए ही लाइव मिल पाएगी और इससे आपातकालीन स्थितियों को नियंत्रण में लाने के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती भी तय की जा सकेगी.
सुधरेगी पुलिस व्यवस्था: पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस वाहन के पुलिस हमले में शामिल होने से ना केवल कानून व्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी बल्कि अधिकारियों का समय भी बचेगा और पुलिस की क्षमता बढ़ेगी. दरअसल चुनाव के दौरान कई बार पुलिस के सामने पशोपेश के हालात बन जाते हैं और पुलिस किसी एक पक्ष में खड़ी नजर ना आए इसलिए ज्यादा से ज्यादा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी बढ़ाई जा रही है. सार्वजनिक कार्यक्रमों की पारदर्शिता के लिए यह एक महत्वपूर्ण यंत्र है.