नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी (TMC supremo Mamata Banerjee) की पार्टी ने पश्चिम बंगाल के अलावा देशभर में 21 जुलाई यानी आज वर्चुअल रैली करने का फैसला लिया है. हालांकि, इस बार कोरोना के कारण ये रैली वर्चुअली होने जा रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इरादा बंगाल के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी जनता को संबोधित करने का है. इस पर कोकराझार सीट से लोकसभा सांसद नबा कुमार सरानिया ने कहा कि टीएमसी असम की जनता के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है.
उन्होंने कहा कि लोग कांग्रेस और एआईयूडीएफ गठबंधन को भाजपा की बी टीम के रूप में सोचते हैं और दोनों दलों के बीच मतभेद पहले ही सामने आ चुके हैं. इसलिए, असम में टीएमसी का प्रवेश राज्य के राजनीतिक समीकरण में एक बड़ा विकास हो सकता है, जो यहां पर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है. पश्चिम बंगाल में पिछले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए सरानिया ने कहा कि भाजपा के खिलाफ टीएमसी की जीत ने अन्य राज्यों में कई गैर-भाजपा दलों को प्रेरित किया है.
टीएमसी एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है. असम में अल्पसंख्यक भी टीएमसी में जाने के इच्छुक हैं. 2019 के बाद, मैंने यह भी पाया है कि अल्पसंख्यक एक अलग गठबंधन की तलाश कर रहे हैं जो उन्हें सुरक्षा दे सके, क्योंकि वे भाजपा का समर्थन नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी रणनीतिक गलतियों के कारण बैक टू बैक चुनाव हार गई है.
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उन्होंने कहा कि अगर हम 2019 के आम चुनाव के बारे में बात करते हैं, तो यह अनुमान लगाया गया था कि मोदी कभी सत्ता में नहीं आएंगे. हालांकि, विपक्ष की कुछ रणनीतिक गलतियों के कारण, भाजपा दोबारा सत्ता में आई. बिहार में असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस ने बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ा, इससे भाजपा को मदद मिली. पश्चिम बंगाल में भी, कांग्रेस ने उसी रणनीति को उपयोग करने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे.
टीएमसी के कई नेता मेरे संपर्क में
सरानिया ने कहा कि टीएमसी के कई नेता उनके संपर्क में हैं. सरकार और परेश बरुआ के नेतृत्व वाले यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के बीच चल रही बातचीत का जिक्र करते हुए सरानिया ने कहा है कि वह एक मध्यस्थ की ज्वर की भूमिका निभा सकते हैं. कहा कि सरकार और उल्फा के बीच बहुत जरूरत है. अगर सरकार मुझसे पूछती है तो मैं निश्चित रूप से एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता हूं.
आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने से पहले विधायक उल्फा के पूर्व नेता थे. सरानिया ने कहा कि मैं संगठन का सदस्य था और वर्तमान में संसद में असम के लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. मैं निश्चित रूप से क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करूंगा.