भोपाल। देश सहित मध्य प्रदेश में 2 साल में कोरोना और लॉकडाउन ने जनता की माली हालत बिगाड़ दी है. वहीं सरकार भी आमदनी कम होने की बात कह रही है. लेकिन इससे माननीयों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. वह अपनी तनख्वाह बढ़ाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने लगे हैं. मध्य प्रदेश पर भले ही साढ़े 3 लाख करोड़ का कर्ज हो, लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों की सुरक्षा निधि 15 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दी. वहीं, विधायक निधि भी एक करोड़ 85 लाख से ढाई करोड़(2.5) कर दी है. (MP MLA Demand)
दिल्ली सरकार का दिया हवाला: विधायकों की सुरक्षा निधि बढ़ाए जाने के बाद अब विधायक और मंत्री वेतन भत्तों में इजाफा चाहते हैं. इसे लेकर विधानसभा समिति की एक बैठक भी की जा चुकी है. चूंकि, दिल्ली में विधायकों के वेतन में वृद्धि की गई है इसी का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र के पहले तनख्वाह बढ़ाने का दबाव बनाया जा रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि अभी माननीयों को 1 लाख 10 हजार प्रति माह वेतन-भत्ता मिलता है, लेकिन यह पैसे अब उन्हें कम लगने लगा है. अक्सर यह देखा जाता है कि किसी विधेयक या फिर अन्य मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष की एक राय नहीं बनती, लेकिन जब तनख्वाह बढ़ाने की बात हो तो सभी के सुर एक हो जाते हैं.
कमलनाथ ने वेतन भत्ते को लेकर समिति की थी गठित: विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. कमलनाथ (Kamal Nath Government) सरकार ने विधायकों के वेतन भत्ते को लेकर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने समिति का गठन भी किया था. वेतन भत्ता बढ़ाने की तैयारी पूरी हो गई थी. लेकिन इसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई. विधानसभा का मानसून सत्र 25 जुलाई (MP Monsoon Session start from July 25) से शुरू हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक सत्र के पहले विधानसभा में वेतन भत्ता बढ़ाने संबंधी अनुशंसा भी सौंपी जाएंगी.
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बेखबर: पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि 'हम जनप्रतिनिधि हैं और हमें 24 घंटे जनता के बीच रहना पड़ता है. वर्तमान में जो वेतन भत्ते हैं उन्हें बढ़ाया जाए. जिससे विधायकों को थोड़ी राहत मिलेगी'. इधर, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि 'उन्हें वेतन भत्ते की वृद्धि के लिए विधानसभा में बुलाई गई बैठक की कोई जानकारी नहीं है. वेतन वृद्धि करना है या नहीं, इसका फैसला विधानसभा करती है'.
बड़े इवेंट और ब्रांडिंग पर बेहिसाब खर्च कर रही शिवराज सरकार: नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह (Former Minister Govind Singh) ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा 'अभी प्रदेश की माली हालत ठीक नहीं है, लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम मेगा इवेंट कार्यक्रम होते हैं. खर्चों को जोड़ा जाए तो हर महीने करोड़ों रुपये इवेंट करने में फूंके जा रहे हैं. मुख्यमंत्री अपनी ब्रांडिंग पर जनता की गाढ़ी कमाई खर्च कर रहे हैं. केंद्र सरकार से मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति भी बंद हो गई है. जिससे सरकार के खजाने पर बोझ पड़ रहा है. वहीं, बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी भी 28 हजार करोड़ के करीब हो गई है.
10 हजार करोड़ कर्जा लेगी शिवराज सरकार: टेक्निकल गणना के लिहाज से मध्य प्रदेश सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का कुल 3.5 प्रतिशत बाजार से कर्ज ले सकती है. इस आधार पर सरकार 40 हजार करोड़ बाजार से उठा सकती है. वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 'अगले 2 महीने में शिवराज सरकार फिर 10 हजार करोड़ रुपये बाजार से उठाएगी'.
विधायकों को मिलने वाला वेतन और भत्ता
- 30,000 प्रति महीने वेतन
- 35,000 हर महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ता
- 10,000 लेखन सामग्री और डाक भत्ता
- 15,000 प्रति महीने कंप्यूटर ऑपरेटर या अर्दली भत्ता
- 10,000 टेलीफोन भत्ता
- 10,000 मेडिकल के साथ नि:शुल्क रेल और हवाई सुविधा
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