भोपाल। मध्यप्रदेश वन विभाग की बिल्डिंग बनने में 15 साल लग गए. करीब तीन लाख वर्ग फिट में बनने जा रही बिल्डिंग की नींव 2008 में रखी गई थी, लेकिन ग्रीन बिल्डिंग का कॉन्सेप्ट सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया. दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है कि 2008 में जब बिल्डिंग की डिजाइन रखी गई तो इसकी लागत 86 करोड़ थी, बाद में बजट मूल्यांकन में कीमत 253 करोड़ पहुंच गई. लिहाजा बजट के अभाव में बिल्डिंग अधूरी पड़ी रही और आखिरकार 2023 में जब बिल्डिंग बन कर तैयार हुई तो इसकी लागत 184 करोड़ आंकी गई. वहीं ईटीवी भारत ने इस भवन का जायजा लिया.
प्रदेश की पहली इको और ग्रीन बिल्डिंग नहीं बन सकी ग्रीन: इस बिल्डिंग की डिजाइन को इस तरह तैयार किया गया था कि इसके सभी कमरों में सूरज की रोशनी आ सकती थी. दिन में बिना लाइट जलाए काम किया जा सकता था, लेकिन रुकते-रुकते बजट बढ़ता गया. वन विभाग के पास बजट का अभाव था. जिसके चलते आखिरकार इसको सामान्य बिल्डिंग ही बनाना पड़ा.
क्या रही वजह: बता दें 2008 में बिल्डिंग का बजट 86 करोड़ था. बाद में बजट मूल्यांकन में कीमत 253 करोड़ तक पहुंच गई. वन विभाग बजट उपलब्ध नहीं करा पाया. 2019-20 तक काम रुका रहा, फिर से मूल्यांकन में निकलकर आया कि यदि ग्रीन बिल्डिंग के कॉन्सेप्ट पर काम हुआ तो लागत बढ़ जाएगी. इसलिए इंटीरियर में बदलाव किया गया और बहु मंजिला भवन अन्य इमारतों की तरह ही रहा गया.
क्या होना था ग्रीन बिल्डिंग में: इसमें सूर्य के प्रकाश से पूरा भवन रोशन होता. इसके अलावा Ac का उपयोग कम करने पर भी जोर दिया गया था. हवा का फ्लो लगातार बना रहे, इस तरह से डिजाइन किया गया था. सेंसर आधारित एचबीएसी वातानुकूलित सिस्टम से भवन ठंडा रहता, लेकिन अब इनमें इस तरह का सिस्टम नहीं होगा.
कब कितना काम हुआ:
- 27 जुलाई 2008 को शुरू हुआ काम
- 10 जनवरी 2010 तक पूरा होना था
- 15 नवंबर 2022 की थी डेडलाइन
इस तरह निर्मित हुआ भवन:
- 184 करोड़ रुपये आई लागत
- 4 मंजिला है वन विभाग का मुख्यालय
- 80 कमरे होंगे अधिकारियों के लिए
- 3 लाख वर्गफीट में बनी है इमारत
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हरित भवन की संकल्पना पर बनना था भवन: खिड़कियों पर दोहरे कांच के काम से प्रकाश तो आता लेकिन गर्मी नहीं लगती. बिजली के लिए कुछ जगहों पर सौर पैनल प्रणाली का उपयोग होना था.
अभी:
- सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम से गंदा पानी साफ होगा
- गारबेज ट्रीटमेंट सिस्टम से कचरे का होगा निपटारा