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भगोरिया मेले के रंग में रंगे 'मामा', आदिवासियों संग ढोल की ताल पर जमकर थिरके - Shivraj Singh Chouhan attends Bhagoria Mahotsav in Barwani

भगोरिया मेला आदिवासी संस्कृति का अहम पर्व है. मेले में आदिवासी युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में आती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं. परिवारों की रजामंदी से भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते तय होने की परंपरा भी निराली है. इस दौरान युवतियां अपनी पसंद से लड़कों को चुनती हैं. बाद में उनकी शादी होती है.

Shivraj Singh Chouhan dance video
शिवराज सिंह चौहान भगोरिया उत्सव डांस वीडियो
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Published : Mar 17, 2022, 9:58 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को पत्नी साधना सिंह के साथ भगोरिया उत्सव में शामिल होने बड़वानी पहुंचे. इस दौरान प्रदेश के 'मामा' शिवराज पत्नी संग आदिवासियों के साथ पारंपरिक नृत्य करते हुए नजर आए. यहां जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद की तरफ से आजादी 75वें अमृत महोत्सव के तहत आयोजित भगोरिया हाट उत्सव में गौंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया जनजातियों के नृत्यों का प्रदर्शन किया गया.

शिवराज सिंह चौहान भगोरिया उत्सव डांस वीडियो

बता दें, प्रदेश के आदिवासी अंचल में आयोजित होने वाला भगोरिया मेला आदिवासी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है. भगोरिया के आदिवासी पर्व की शुरुआत दशकों पहले हुई थी. प्राचीन दौर में इसे भगोर कहा जाता था. मेले में आदिवासियों की अलग-अलग टोलियां बांसुरी मांदल और ढोल बजाती नजर आती हैं. इस दौरान आदिवासी लड़कियां भी पारंपरिक वेशभूषा में होती थीं. मेले में तरह-तरह के व्यंजन गुड़ की जलेबी पहन-भजिया ताड़ी आदि की भी खासी मांग होती है.

शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान

आदिवासी संस्कृति का अहम पर्व है भगोरिया
मेले में आदिवासी युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में आती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं. परिवारों की रजामंदी से भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते तय होने की परंपरा भी निराली है. इस दौरान युवतियां अपनी पसंद से लड़कों को चुनती हैं. बाद में उनकी शादी होती है.

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पान खाने से तय होता है रिश्ता
कहा जाता है कि लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद है या नहीं, यह लड़की के पान खाने के बाद से तय होता है. यदि लड़की पान खा लेती है तो उसे हां समझा जाता है. इसके बाद लड़का भगोरिया मेले से ही लड़की को लेकर निकल जाता है. जो भगोरिया के बाद अपने गांव वापस लौटते हैं. इसके बाद दोनों की शादी कर दी जाती है.

गुलाबी रंग से होता था प्यार
मेले की मान्यता यह भी है कि भगोरिया में लड़का-लड़की यदि एक दूसरे को गुलाबी रंग लगा दे तो इसे प्यार का इजहार समझा जाता है. हालांकि अब आधुनिक दौर में भगोरिया मेलों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ मारपीट और शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं. जिसके कारण भगोरिया का मूल स्वरूप कहीं ना कहीं खंडित हो रहा है.

यह भी पढ़ें- जानिए ज्योतिष शास्त्र में होली की विशेष बातें और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को पत्नी साधना सिंह के साथ भगोरिया उत्सव में शामिल होने बड़वानी पहुंचे. इस दौरान प्रदेश के 'मामा' शिवराज पत्नी संग आदिवासियों के साथ पारंपरिक नृत्य करते हुए नजर आए. यहां जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद की तरफ से आजादी 75वें अमृत महोत्सव के तहत आयोजित भगोरिया हाट उत्सव में गौंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया जनजातियों के नृत्यों का प्रदर्शन किया गया.

शिवराज सिंह चौहान भगोरिया उत्सव डांस वीडियो

बता दें, प्रदेश के आदिवासी अंचल में आयोजित होने वाला भगोरिया मेला आदिवासी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है. भगोरिया के आदिवासी पर्व की शुरुआत दशकों पहले हुई थी. प्राचीन दौर में इसे भगोर कहा जाता था. मेले में आदिवासियों की अलग-अलग टोलियां बांसुरी मांदल और ढोल बजाती नजर आती हैं. इस दौरान आदिवासी लड़कियां भी पारंपरिक वेशभूषा में होती थीं. मेले में तरह-तरह के व्यंजन गुड़ की जलेबी पहन-भजिया ताड़ी आदि की भी खासी मांग होती है.

शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान

आदिवासी संस्कृति का अहम पर्व है भगोरिया
मेले में आदिवासी युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में आती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं. परिवारों की रजामंदी से भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते तय होने की परंपरा भी निराली है. इस दौरान युवतियां अपनी पसंद से लड़कों को चुनती हैं. बाद में उनकी शादी होती है.

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पान खाने से तय होता है रिश्ता
कहा जाता है कि लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद है या नहीं, यह लड़की के पान खाने के बाद से तय होता है. यदि लड़की पान खा लेती है तो उसे हां समझा जाता है. इसके बाद लड़का भगोरिया मेले से ही लड़की को लेकर निकल जाता है. जो भगोरिया के बाद अपने गांव वापस लौटते हैं. इसके बाद दोनों की शादी कर दी जाती है.

गुलाबी रंग से होता था प्यार
मेले की मान्यता यह भी है कि भगोरिया में लड़का-लड़की यदि एक दूसरे को गुलाबी रंग लगा दे तो इसे प्यार का इजहार समझा जाता है. हालांकि अब आधुनिक दौर में भगोरिया मेलों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ मारपीट और शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं. जिसके कारण भगोरिया का मूल स्वरूप कहीं ना कहीं खंडित हो रहा है.

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