नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) छात्र संघ की कार्यकारी परिषद का चुनाव रविवार को संपन्न हुआ, जिसमें कुल 11 में से 6 पदों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. वहीं, एनएसयूआई ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है. कुल 135 प्रतिनिधियों ने इस चुनाव में अपने मत का प्रयोग किया, जिनमें 103 प्रतिनिधियों ने अभाविप समर्थित प्रत्याशियों पर मुहर लगाई है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव के केंद्रीय पैनल में उपाध्यक्ष व सचिव पद पर भी अभाविप ने बड़ी जीत दर्ज की थी. अब कार्यकारी परिषद के चुनावी परिणाम ने भी एबीवीपी की कैंपस में सक्रियता व सांगठनिक कौशल का परिचय दिया है. बता दें कि डूसू व कॉलेज छात्रसंघ में जो अध्यक्ष व केंद्रीय पार्षद होते हैं वह कार्यकारी परिषद के सदस्यों को चुनते हैं.
डूसू की सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने कहा कि एबीवीपी व डूसू छात्रों के मुद्दों पर हमेशा से काम करते आ रहा है. सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने भी इसी के चुनाव में एबीवीपी को ही चुना एवं बहुमत दिया है. जैसे ही इसी के निर्वाचित सदस्य अपना पदभार ग्रहण करते हैं वैसे ही हम सक्रियता से छात्र हितों में कार्य करेंगे.
एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि एबीवीपी छात्रों के मुद्दों पर सदैव सक्रिय है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के एबीवीपी पदाधिकारी छात्रों के विभिन्न मुद्दों पर पहले से ही काम शुरू कर चुके हैं. हॉस्टल, मेट्रो पास, कैंपस में बस की फ्री सेवा, इन सब मुद्दों पर हम प्रशासन से संवाद में बने हुए हैं, निश्चित ही अभाविप नेतृत्वित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की नवनिर्वाचित कार्यकारी परिषद से डूसू को अधिक शक्ति मिलेगी.
बता दें कि डूसू चुनाव में 27 सितंबर को मतदान हुआ था. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश पर मतगणना पर रोक लगा दी गई थी. मतगणना पर रोक लगाने का कारण छात्र संघ चुनाव लड़े प्रत्याशियों के द्वारा विश्वविद्यालय और कॉलेज की दीवारों पर बैनर पोस्टर लगाकर उनको गंदा करने का था. हालांकि दीवारों को पेंट करने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए 26 नवंबर से पहले डीयू प्रशासन को डूसू चुनाव की मतगणना कराने का निर्देश दिया था. इस पर अमल करते हुए डीयू प्रशासन के द्वारा 25 नवंबर को डूसू चुनाव की मतगणना कराई गई थी. मतगणना के दौरान अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर एनएसयूआई ने जीत दर्ज की थी, जबकि सचिव और उपाध्यक्ष के पद पर एबीवीपी के प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया था.
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