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MP: नमाज छोड़कर अस्पताल पहुंचा खान और बन गया मानवता की मिसाल, जानिए पूरा मामला..

एमपी के छतरपुर में रफत खान नाम के एक व्यक्ति ने 2 माह के बच्चे को ब्लड देकर उसकी जान बचाई. अब यह मामला इसलिए चर्चा का विषय बन रहा है, क्योंकि रफत खान शाम की नमाज छोड़कर ब्लड डोनेट करने पहुंचे थे.

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Published : Jan 1, 2023, 2:11 PM IST

छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में रफत खान नाम के एक व्यक्ति ने नमाज छोड़कर एक नवजात शिशु की जान बचा ली, दरअसल रफत खान नमाज पढ़ने जा रहे थे, तभी उन्हें जिला अस्पताल से किसी का फोन आया कि अस्पताल में भर्ती एक दो माह के बच्चे को रक्त की सख्त जरूरत है.

Rafat Khan Left Nawaz And Saved 2 Month Old child
रफत खान ने पेश की मानवता की मिसाल

नमाज़ छोड़कर किया रक्तदान: रफत खान बताते हैं कि, "जब मैं असिर(शाम) की नमाज पढ़ने जा रहे थे, तभी फोन आया और मुझे किसी ने बताया जिला अस्पताल में दो माह का विकास गुप्ता नाम का बालक भर्ती है और उसे A+ ब्लड की जरूरत है, जो की संयोग से मेरा भी है. इसलिए मैंने तय किया की मैं नमाज छोड़कर बच्चे को रक्त देने जाऊंगा, क्योंकि किसी की जान बचाना खुदा की इबादत से कम नहीं है.

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भर्ती बच्चे के पिता से हुई ठगी: भर्ती बच्चे के पिता जितेंद्र गुप्ता बताते है कि, उनका दो माह का बेटा विकास बीमारी के चलते जिला अस्पताल में भर्ती है. दोपहर 1 बजे डॉक्टरों ने उसे कहा कि आपके बेटे को ब्लड की जरूरत है, जितेंद्र ब्लड सेंटर तक गया ही था कि, वहां खड़ा अज्ञात व्यक्ति ब्लड दिलाने के नाम पर उससे 750 रुपए और पर्चा लेकर भाग गया.

ऐसी बची बच्चे की जान: ठगी का शिकार होने के बाद जितेंद्र अज्ञात व्यक्ति को कई घंटो तक ढूंढता रहा, लेकिन वह नहीं मिला तभी परेशान होकर उसने अपने साथ हुई घटना की जानकारी अपने एक रिश्तेदार हो बता दी. अस्पताल पहुंचे रिश्तेदार ने गंभीरता को देखते हुए तुरंत आपा हुजूर ब्लड बैंक चलाने वाले रफत खान से ब्लड की मदद मांगी, जिसके बाद बच्चे की जान बचाइ गई.

छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में रफत खान नाम के एक व्यक्ति ने नमाज छोड़कर एक नवजात शिशु की जान बचा ली, दरअसल रफत खान नमाज पढ़ने जा रहे थे, तभी उन्हें जिला अस्पताल से किसी का फोन आया कि अस्पताल में भर्ती एक दो माह के बच्चे को रक्त की सख्त जरूरत है.

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नमाज़ छोड़कर किया रक्तदान: रफत खान बताते हैं कि, "जब मैं असिर(शाम) की नमाज पढ़ने जा रहे थे, तभी फोन आया और मुझे किसी ने बताया जिला अस्पताल में दो माह का विकास गुप्ता नाम का बालक भर्ती है और उसे A+ ब्लड की जरूरत है, जो की संयोग से मेरा भी है. इसलिए मैंने तय किया की मैं नमाज छोड़कर बच्चे को रक्त देने जाऊंगा, क्योंकि किसी की जान बचाना खुदा की इबादत से कम नहीं है.

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ऐसी बची बच्चे की जान: ठगी का शिकार होने के बाद जितेंद्र अज्ञात व्यक्ति को कई घंटो तक ढूंढता रहा, लेकिन वह नहीं मिला तभी परेशान होकर उसने अपने साथ हुई घटना की जानकारी अपने एक रिश्तेदार हो बता दी. अस्पताल पहुंचे रिश्तेदार ने गंभीरता को देखते हुए तुरंत आपा हुजूर ब्लड बैंक चलाने वाले रफत खान से ब्लड की मदद मांगी, जिसके बाद बच्चे की जान बचाइ गई.

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